Chaitra Navratri 2024: चैत्र नवरात्रों का आगमन जल्दी ही शुरु होने वाला है। इसी के साथ इस दिन से कई सारे शुभ कार्यों को भी किया जाता है। इन शुभ कार्यों को करने के लिए सभी कुल के लोग अपनी कुल देवी और कुल देवता को जरुर पूजते हैं। आज आपको ऐसे ही शेखावाटी के एक मंदिर के बारे में बताने जा रहें हैं जो कि 400 साल से आस्था का केंद्र बना हुआ है। स्थानीय लोगों की इतनी मान्यता है कि हर रोज यहां भक्तों का तांता लगा रहता है।
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आज आपको बताने जा रहें हैं झुंझुनूं रानी सती मंदिर के बारे में। रानी सती का मंदिर शेखावाटी की आन बान शान झुंझुनूं जिले में स्थित है। मंदिर का उद्धाटन 1912 में किया गया। मंदिर परिसर में चैत्र माह में ही नहीं बल्की बारह मास भक्तों का तांता लगा रहता है। स्थानीय लोग देवी को स्त्री शक्ति का प्रतीक मानते हैं। ये मंदिर बहुमंजिला सरंचना में बना हुआ है। जो बाहर से किसी आकर्षक महल के जैसे दिखाई देता है। यहां पर 16 देवियों के एक साथ मंदिर स्थापित है। जिनकी एक साथ पूजा की जाती है।
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रानी सती का वास्तविक नाम नारायणी देवी था। जिन्हें कालान्तर में रानी सती (Chaitra Navratri 2024) के नाम से जाना जाने लगा। और स्थानीय लोग इस देवी को सती दादी के नाम से ज्यादा बुलाते हैं। सती दादी स्थानीय लोग इन्हें प्यार से बुलाते हैं। मान्यता है कि युद्ध के दौरान सती दादी के पति की मृत्यु हो गई थी। जिसके बाद उन्होंने खुद को भी अपने पति के साथ ही अग्नी में समर्पित कर दिया। जिसके बाद पहले तो स्थानीय लोग इन्हें देवी के रुप में मानने लगे। इसके बाद इन्हें सती का दर्जा मिल गया और बाद में इनकी इसी मंदिर प्रांगण में पूजा अर्चना की जाने लगी।
हर वर्ष इस मंदिर प्रागंण में जात्रियों की भीड़ लगी रहती है। नवरात्री पर इस मंदिर (Chaitra Navratri 2024) में नवविवाहित जोड़े अपने वैवाहिक जीवन की शुरुआत करने के लिए माता से आशिर्वाद लेने आते हैं। साथ ही जिन जोड़ो की सती दादी ने हाल ही में गोद भरी थी वो भी अपने बच्चों का मुंडन करवाने आते हैं। मान्यता है कि इस मंदिर में जो जोड़े माता का आशिर्वाद लेने आता है उनका जीवन और घर आंगन खुशियों से भरा रहता है।
हर साल झुंझुनूं के इस प्रसिद्ध मंदिर में भादो मास की अमावस्या के दिन उत्सव और मेला लगता है। इस दिन मंदिर में बड़ी संख्यां मे श्रद्धालु शामिल होते हैं। और अपनी मनोकामना पूरी करने आते हैं। सती दादी राजपूतों की कुल देवी भी बताई जाती है। और वैसे अग्रवाल समाज की भी ये आराध्य देवी हैं। इसीलिए दूर दराज से लोग यहां पर अपने बच्चों का मुंडन आदि करवाने आते रहते हैं।
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