जयपुर। भारत का सबसे पुराना चौथ माता मंदिर (Choth Mata Mandir Barwada) लगभग 567 साल पुराना है। यह मंदिर (Chauth Mata Mandir) राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के चौथ का बरवाड़ा कस्बे में स्थित है। इस चौथ माता मंदिर की स्थापना 1451 (Chauth Mata Mandir History) में वहां के शासक भीम सिंह ने करवाई थी। करवा चौथ के व्रत में चौथ माता की पूजा (Choth Mata Puja Vrat) जाती है और उनसे सुहागिन स्त्रियां अपने सुहाग की रक्षा के लिए प्रार्थना करती हैं। चौथ माता गौरी देवी का ही एक रुप है। चौथ माता की पूजा करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है और दाम्पत्य जीवन में सुख बढ़ता है।
चौथ माता को हिन्दू धर्म की प्रमुख देवी माना जाता है जो माता पार्वती का ही एक रूप है। भारत का सबसे पुराना चौथ माता का मंदिर चौथ का बरवाड़ा कस्बे में स्थापित है जहाँ पर हर महीने की चतुर्थी पर लाखों भक्त माता जी के दर्शन करने आते हैं।
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चौथमाता कंजर जनजाति की कुल देवी है।
भारत का सबसे पुराना चौथ माता मंदिर लगभग 567 साल पुराना है जो राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के चौथ का बरवाड़ा कस्बे में स्थित है।
राजस्थान में बहुत सी जनजातियां पाई जाती हैं जिनमें मीणा, सहरिया, गाड़िया लोहार ऐसी ही कुछ प्रमुख जनजातियां हैं। इन्हीं जनजातियों में से एक कंजर जनजाति भी है। चौथ माता कंजर जनजाति की ही कुल देवी है।
चौथ माता की सवारी शेर है।
बरवाड़ा चौथ माता के मंदिर में हर चौथ को बड़ा मेला लगता है। इस दौरान देशभर से दर्शन करने के लिए श्रद्धालु पहुंचते हैं। 1000 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर तक पहुंचने के लिए लगभग 700 सीढ़ियां चढ़नी होती है।
चौथ माता का दूसरा नाम करक चतुर्थी या करवा चौथ भी है। विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए इस त्योहार के दौरान चंद्रमा निकलने तक निर्जला व्रत रखती है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को चौथ माता की पूजा होती है।
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प्रत्येक माह कृष्ण पक्ष चतुर्थी के दिन संकट चतुर्थी तथा चौथमाता का व्रत किया जाता है। इसके लिए दिनभर निराहार उपवास किया जाता है। फिर रात्रि को चन्द्रोदय होने पर अर्घ्य देकर तथा गणेशजी एवं चौथ माता की पूजा करके लड्डू का भोग लगाकर भोजन करते हैं।
इस बार चौथ का बरवाड़ा का लक्खी मेला 29 जनवरी से आयोजित किया जा रहा है।
इस बार सकट चौथ का व्रत माघ मास की चतुर्थी तिथि को है जो 29 जनवरी 2024 को पड़ रही हे।
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