जयपुर। भारत में अब सिंगल पैरेंट्स भी बच्चा गोद (Child Adoption) ले सकते हैं। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने नए नियम में यह प्रावधान किया गया है कि अब अविवाहित, विधवा, तलाकशुदा या कानूनी रूप से अलग रह रहे 35 से 60 साल की उम्र के अकेले लोग भी बच्चे को गोद ले सकते हैं। इससे पहले, 2016 के मॉडल फॉस्टर केयर गाइडलाइंस के तहत, सिर्फ विवाहित जोड़े ही बच्चे गोद ले सकते थे। हालांकि, एक अकेली महिला किसी भी लिंग का बच्चा बच्चा गोद ले सकती है, लेकिन पुरुष सिर्फ पुरुष बच्चे को ही गोद ले सकता है।
सरकार के इन नए नियमों के अनुसार अब किसी भी व्यक्ति को, चाहे वह शादीशुदा हो या नहीं, विधवा हो, तलाकशुदा हो या कानूनी रूप से अलग रह रहा हो, बच्चा गोद (Child Adoption) लेने की परमिशन है। इसके अलावा, फॉस्टर पेरेंट अब दो साल के बजाय पांच साल तक बच्चे की देखभाल करने के बाद उसे गोद ले सकते हैं। आपको बता दें कि फॉस्टरिंग एक ऐसा सिस्टम है जिसमें एक बच्चा अस्थायी रूप से या तो विस्तारित परिवार या असंबंधित व्यक्तियों के साथ रहता है।
सरकारी नियमों के अनुसार भारत में, जिन बच्चों को गोद (Child Adoption) लिया जा सकता है, उनकी उम्र 6 साल से अधिक होनी चाहिए। इसके साथ ही वो बाल देखभाल संस्थानों में रह रहे हों और उनके ‘अयोग्य अभिभावक’ होने चाहिए। गोद लेने में कठिन या विशेष जरूरतों की श्रेणी में आने वाले नाबालिग बच्चों को भी गोद ले सकते हैं।
यदि कोई विवाहित जोड़ा बच्चे को गोद (Child Adoption) लेना चाहता है, तो अब नए नियमों के अनुसार उन्हें 2 साल तक एक स्थिर वैवाहिक जीवन जीना होगा। 2016 के दिशा-निर्देशों को 2021 में किशोर न्याय (देखभाल और बच्चों की सुरक्षा) अधिनियम में संशोधन और 2022 के किशोर न्याय (देखभाल और बच्चों की सुरक्षा) मॉडल नियमों के अनुसार संशोधित किया गया है। सभी राज्यों में जून में ही संशोधित दिशा-निर्देश जारी किए गए थे।
2016 के दिशा-निर्देशों में फॉस्टर पेरेंट्स की उम्र के मामले में बताया गया है कि दोनों पति-पत्नी की उम्र 35 साल से अधिक होनी चाहिए। संशोधित दिशा-निर्देश अधिक विशिष्ट हैं। इसमें 6 से 12 साल और 12 से 18 साल की उम्र के बच्चों को गोद (Child Adoption) लेने हेतु विवाहित जोड़े की संयुक्त उम्र” कम से कम 70 साल होनी चाहिए। वहीं, एक अकेले फॉस्टर पेरेंट की उम्र कम से कम 35 साल होनी चाहिए। यह संभावित फॉस्टर पेरेंट्स की अधिकतम उम्र भी निर्दिष्ट करता है। 6 से 12 साल की उम्र के बच्चे को गोद लेने के लिए एक अकेले व्यक्ति के लिए 55 साल तक और 12 से 18 साल की उम्र के बच्चे को गोद लेने के लिए 60 साल तक होनी चाहिए।
बताया गया है कि फॉस्टर पेरेंट्स अब एक प्लेटफॉर्म – चाइल्ड अडॉप्शन रिसोर्स इंफॉर्मेशन एंड गाइडेंस सिस्टम (CARINGS) के जरिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। इस प्लेटफॉर्म का उपयोग पहले से ही संभावित दत्तक माता-पिता पंजीकरण के लिए कर रहे थे। 2024 के फॉस्टर केयर दिशा-निर्देशों में एक निर्दिष्ट ऑनलाइन पोर्टल का प्रावधान है जहां संभावित फॉस्टर पेरेंट्स जिला बाल संरक्षण इकाइयों द्वारा उनकी पहुंच के लिए अपने दस्तावेज अपलोड कर सकते हैं। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, मार्च 2024 तक गोवा, हरियाणा और लक्षद्वीप को छोड़कर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 1,653 बच्चे पालक देखभाल में थे।
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