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Rajasthan by-election : जयपुर। राजस्थान में 7 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर तारीखों की भी घोषणा हो चुकी है। 13 नवंबर को वोटिंग होगी है और 23 नवंबर को तस्तीर साफ हो जाएगा। ऐसे में अब सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है। सभी पार्टियों ने पूरी ताकत लगा दी है, आइए जानते है तीन ऐसी सीटों के बारे में, जहां भाजपा को मुश्किल पैदा होने वाली है। रामगढ़, झुंझुनूं और दौसा सीट पर कांग्रेस परिवार में ही टिकट दे सकती है। आइए जानते है क्या है पूरा माजरा? राजस्थान में तारीखों की खोषणा के बाद सभी 7 सीटों पर सियासी हलचल तेज हो गई है। इन 7 सीटों में जिसमें से 4 सीटें कांग्रेस के खाते की हैं और एक सीट पर आरएलपी, एक पर बीएपी और एक सीट पर बीजेपी का कब्जा रहा है, इसमें झुंझुनू, रामगढ़ और दौसा पर अलग ही समीकरण बन रहे है। क्योंकि यहां से कांग्रेस की तस्वीर लगभग साफ हो गई है। कांग्रेस के खाते की चार में से इन 3 सीटों पर परिवार के लोग ही दावा ठोंक रहे हैं।
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ओला परिवार का गढ़ मानी जाने वाली झुंझुनूं सीट पर की बात करें तो यहां से बृजेंद्र ओला के बेटे अमित ओला, बहू आकांक्षा ओला या पत्नी राजबाला ओला को मैदान में उतारा जा सकता है। झुंझुनू विधानसभा सीट बृजेंद्र ओला के सांसद बनने के बाद झुंझुनू सीट खाली हो गई थी। इस सीट पर बृजेंद्र ओला का बेटा अमित ओला और बहू आकांक्षा ओला चर्चा में हैं। 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के बृजेंद्र ओला भाजपा के निषित चौधरी को हराकर विधायक बने थे और अब वह सांसद बन चुके है। जिससे यहां उपचुनाव हो रहे है और यह सीट कांग्रेस और ओला परिवार का गढ़ मानी जाती है, जिसे भाजपा के लिए काफी मुश्किल माना जाता है।
वहीं अगर दौसा सीट की बात करे तो मुरारीलाल मीणा के सांसद बनने के बाद दौसा विधानसभा सीट खाली हुई है। यहां से उनकी पत्नी सविता मीणा और उनकी बेटी निहारिका का नाम चर्चा में चल रहा है। दौसा सीट पर कांग्रेस हमेशा आदिवासी उम्मीदवार उतारती रही है। भाजपा ब्राह्मण चेहरे पर दांव खेलती रही है और दौसा सीट पर सबसे ज्यादा मीणा मतदाताओं की संख्या है, उसके बाद ब्राह्मण मतदाता आते हैं। ऐसे में कांग्रेस ब्राह्मण मतदाताओं को अपनी तरफ खींचने के लिए ब्राह्मण चेहरा उतार सकती है। कांग्रेस ने अगर यह फार्मूला अपनाया तो संदीप शर्मा को उम्मीदवार बनाया जा सकता है। संदीप को पायलट खेमे का माना जाता है, इससे मीणा और गुर्जर वोट उनकी तरफ जा सकते हैं और कांग्रेर आसानी से इस सीट को भी निकाल सकती है।
रामगढ़ सीट जो दिवंगत विधायक जुबेर खान की मौत के बात यह सीट खाली हो गई है। इस सीट भी जुबैर खान के परिवार में ही टिकट दी जा सकती है। यहां से जुबैर खान के बेटे उनके छोटे बेटे आर्यन खान का नाम चर्चा में चल रहा है। रामगढ़ विधानसभा सीट पर कुल 2 लाख 71 हजार 117 मतदाता हैं। इस सीट पर मेव समाज की सबसे ज्यादा 80 हजार वोटर हैं. एससी 50 हजार, राजपूत 35 हजार, पंजाबी/सिख 25 हजार, जाट 15 हजार, सैनी 15 हजार, ब्राह्मण 10 हजार, बनिया 10 हजार और गुर्जर 5 हजार वोटर्स हैं। कांग्रेस का मानना है कि मेव और दलित वोट अगर कांग्रेस के पक्ष में हो जाएं तो जीत आसान होगी। क्योंकि मेव वोटों का मतदान 90 फीसदी तक हो जाता है। इसके अलावा अन्य जातियों में कांग्रेस वोट का कैडर भी है, इसलिए कांग्रेस यहां पर जुबेर परिवार को टिकट देकर सहानुभूति कार्ड खेल सकती है।
तो अब झुंझुनू, दौसा और रामगढ़ सीटपर कांग्रेस पक्ष में माहौल है ऐसे में यहां से भाजपा को मुश्किल हो सकती है। लेकिन अब सबसे बड़ा सवाल यहीं है कि इन तीन सीटों पर भाजपा कांग्रेस को टक्टर दे पाएगी या नहीं, इसके अलावा एक सीट आरएलपी और एक सीट बाप पार्टी ले सकती है, तो ऐसे में अब भाजपा के सामने कड़ी चुनौती है।
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