Thar Desert: थार के रेगिस्तान को जैव विविधता से भरा माना जाता है और इसके अंदर कई ऐसे तत्व और खनीज है जो बहुत ही नायब होते है। लेकिन अब इन सब पर खतरा मंडराता जा रहा है और कई पौधे और जंतु विलुप्त होने की कगार पर पहूंच गए है। धारों की पहचान रेत से होती है लेकिन यहां कुद ऐसे नायाब पौधे भी है जो दुनिया में कहीं नहीं मिलते है।
अकेशिया जेकमोंटाई के बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी है क्योंकि यह बहुत कम पाया जाता है। जिस जगह यह पनता है वहां प्रदूषण बिल्कुल नहीं होने देता है। कहा जाता है कि सुनार इसे सोना पिघलाने के लिए इस्तेमाल करते है। क्योंकि यह पूरा जल जाता है, लेकिन धुआं बिल्कुल भी नहीं देता है। लेकिन अब अब यह पौधा खत्म होने की कगार पर पहुंच गया है।
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इस प्रकार का एक टेफरोसिया फेल्सीपेरम पौधा भी विलुप्त होने के कगार पर है। इसे रतिबियानी भी कहते हैं जो धोरों में लाल रंग की झाड़ी के रूप में दिखाई देती है। लेकिन यह झाड़ी भी विलुप्त हो रही है।
थार मरुस्थल भारत में पूरे मौसम को प्रभावित करता है
9 वां विश्व का सबसे बड़ा मरुस्थल है थार
यहां हजाों की संख्या पादपों की प्रजातियां मिलती हैं
झाड़ी और पेड़ भी बहुत ही महत्वपूर्ण है।
पश्चिमी राजस्थान में क्लाइमेट के साथ छेड़खानी हो रही है, जिसके चलते ऐसा हो रहा है। अगर इसको नहीं रोका गया तो आने वाले सालों में रेगिस्तान का अस्तिव केवल इतिहास की कीताबों में रह जाएगा।
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