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राजस्थान यूनिवर्सिटी में पहले ट्रांसजेंडर को मिला एडमिशन, छात्रसंघ चुनाव लड़ने की तैयारी

 

  • राजस्थान के पहले ट्रांसजेंडर को मिला बर्थ सर्टिफिकेट
  • राजस्थान यूनिवर्सिटी में पहले ट्रांसजेंडर को मिला एडमिशन
  • नूर शेखावत ने छात्रसंघ चुनाव लड़ने की भी जताई इच्छा

 

राजस्थान में पहली बार 19 जुलाई को जयपुर ग्रेटर नगर निगम की ओर से पहला ट्रांसजेंडर जन्म प्रमाण पत्र जारी किया गया। ट्रांसजेंडर नूर शेखावत ने यह बर्थ सर्टिफिकेट लेकर इतिहास रचा। संघर्ष का सफर यहीं पर खत्म नहीं होता। ट्रांसजेंडर नूर शेखावत ने प्रदेश की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी में एडमिशन भी ले लिया है। इस तरह नूर शेखावत राजस्थान यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेने वाले पहले ट्रांसजेंडर बन गए हैं। काफी संघर्ष के बाद यूनिवर्सिटी की सेंट्रल एडमिशन कमेटी ने स्पेशल केस के तहत एडमिशन दिया है। 

 

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नूर को एडमिशन देकर RU ने पेश की नजीर 

ट्रांसजेंडर नूर शेखावत को एडमिशन देकर राजस्थान यूनिवर्सिटी ने नजीर पेश की है। नूर को स्पेशल केस के तहत एडमिशन दिया गया। किन्ही कारणों से उन्होनें ऑनलाइन आवेदन भी नहीं किया था। फिर भी एडमिशन कमेटी ने सर्वसम्मति से यह फैसला लिया। यूनिवर्सिटी एडमिशन कमेटी के कन्वीनर और सिंडिकेट सदस्य प्रो. एसएल शर्मा का कहना है कि जब उनके सामने केस आया तो तुरंत इस पर एक्शन लिया गया। इसके बाद महारानी कॉलेज की प्रिंसिपल निमाली सिंह को इस केस के बारे में जानकारी दी तो उन्होंने भी एडमिशन की अनुमति दे दी।

 

छात्रसंघ चुनाव लड़ने की भी इच्छा

नूर शेखावत यूनिवर्सिटी के महारानी कॉलेज में एडमिशन लेने के बाद काफी खुश है। उन्होनें कॉलेज की पढ़ाई के साथ-साथ छात्रसंघ चुनाव लड़ने की भी इच्छा जताई है। नूर शेखावत का सपना था कि उनके नाम के आगे भी डॉक्टर लगे। पढ़ाई में लंबा ब्रेक होने के बाद उनकी पढ़ाई के प्रति ललक खत्म नहीं हुई। आखिरकार उन्होनें एडमिशन लिया और अपना सपने को पूरा करने की शुरुआत की। नूर शेखावत की रूचि साइकोलॉजी, सोशियोलॉजी और पॉलिटिकल साइंस जैसे सब्जेक्ट में है। फिलहाल सब्जेक्ट का चुनाव नहीं हो पाया है। 

 

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संघर्ष की कहानी

नूर शेखावत ने बताया कि 2013 में उन्होनें 12वीं पास की। लेकिन उसके बाद पढ़ाई छूट गई थी। स्कूल में भी एक ट्रांसजेंडर होने के नाते खूब ताने सुनने पड़ते थे, लेकिन हिम्मत नहीं हारी। उसके बाद लोगों के घरों में जाकर बधाइयां भी ली। लेकिन उस जिंदगी से घुटन होने लगी। फिर वापस पढ़ाई की इच्छा जगी, लेकिन डॉक्यूमेंट नहीं थे।

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