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cm ashok Gehlot
Rajasthan : राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने छात्र संघ चुनाव को लेकर भजनलाल सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने प्रदेश में एकबार फिर से छात्र संघ चुनाव शुरू करवाने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ एक पोस्ट की है। उन्होंने प्रदेश में छात्र संघ चुनाव कराने की मांग की है। छात्रों पर बल प्रयोग करना अनुचित है। पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत ने हवाला दिया कि हमारी सरकार के दौरान परिस्थियों दूसरी थी, इसी वजह से उस वक्त छात्र चुनाव नहीं हो पाए।
पूर्ववर्ती गहलोत सरकार (Ashok Gehlot) के दौरान कोरोना महामारी के चलते छात्र संघ चुनाव पर रोक लगा दी गई थी। इसके बाद विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की रिपोर्ट के आधार पर गहलोत सरकार ने छात्र संघ चुनाव पर प्रतिबंध लगा दिया था। लेकिन अब गहलोत के रुख में बदलाव आया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट के माध्यम से कहा कि राजस्थान की भाजपा सरकार द्वारा छात्र संघ चुनाव को पुनः शुरू न करना उचित नहीं है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि हमारी सरकार के कार्यकाल में विधानसभा चुनाव की पूर्व तैयारियों के कारण छात्र संघ चुनाव स्थगित किए गए थे, लेकिन अब परिस्थितियां बदल चुकी हैं और चुनाव कराना समय की मांग है।
पूर्ववर्ती गहलोत सरकार के दौरान छात्र संघ चुनाव पर बैन लगाए जाने के बाद अब गहलोत ने मजबूती से चुनावों की वकालत शुरू कर दी है। उन्होंने कहा कि उनके साथ-साथ विपक्ष और सरकार के कई विधायक, सांसद, और मंत्री भी छात्र संघ की राजनीति से ही निकले हैं। यहां तक कि स्वयं मुख्यमंत्री गहलोत भी एबीवीपी के सदस्य रह चुके हैं। गहलोत ने स्पष्ट किया कि छात्र संघ चुनाव राजनीति की प्रारंभिक पाठशाला है, इसलिए इन्हें फिर से शुरू करवाया जाना चाहिए। इसके अलावा छात्र संघ चुनाव के लिए बनाई गई आदर्श आचार संहिता की भी पालना सुनिश्चित करवाई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि छात्र संघ चुनाव की मांग करने वाले छात्र नेताओं पर बल प्रयोग करना अनुचित है।
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बता दें कि राजस्थान के सभी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में सत्र 2023-2024 के दौरान छात्रसंघ चुनाव नहीं कराए गए। उस वक्त गहलोत सरकार में छात्र संघ चुनाव नहीं कराने को लेकर राजस्थान के विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने एक रिपोर्ट दी। रिपोर्ट में बताया गया था कि चुनाव में बाहुबल और धनबल का इस्तेमाल होता है। छात्रसंघ चुनाव के लिए लिंगदोह कमेटी द्वारा निर्धारित शर्तें लागू हैं, लेकिन इन शर्तों का व्यापक उल्लंघन होता है। कमेटी के नियमों के अनुसार, चुनाव पर 5 हजार रुपये से अधिक खर्च नहीं किया जा सकता, जबकि प्रत्याशी लाखों रुपये खर्च कर देते हैं। इसके अलावा चुनावों के दौरान छात्रों के बीच हिंसा और आपसी संघर्ष बढ़ जाते हैं, और एक-दूसरे पर हमले भी किए जाते हैं।
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