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Shekhawati Holi 2024 : शेखावाटी की गींदड़ और गेर की परम्परा है इतने साल पुरानी,जानकर रह जाएंगे हैरान

Shekhawati Holi 2024 : होली रंगों और हंसी खुशी का त्योहार है। इस होली आप भी अपने रिश्तेदारों और दोस्तों के साथ सारे गिले शिकवे भूलकर होली मनाएं। ताकी इस साल वाली होली आपकी भी यादगार होली बन जाए। लेकिन याद रहे कि होली खेलते समय किसी को जबरदस्ती रंग ना लगाए,कहीं ऐसा ना हो आपका बहुत अच्छा मित्र आपसे नाराज हो जाए।

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राजस्थान में होली का त्योहार हर अंचल में विशेष तरीकों से मनाया जाता है। ऐसे ही शेखावाटी की होली पूरे देश में ही नहीं वरन् पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। तभी तो देश-विदेश (Shekhawati Holi 2024) से सैलानी यहां होली मनाने आते हैं। रुस, फ्रांस, अमेरिका, इंडोनेशिया आदि देशों से सैलानी आते हैं। जिनको शेखावाटी की होली खूब भाती है। क्या आपको पता है कि शेखावाटी में खेले जाने वाली ये गेर और गींदड़ की परम्परा कितनी पुरानी है।

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इतने समय से खेली जा रही शेखावाटी में होली

शेखावाटी की ये गेर और गींदड़ खेलने की परम्परा काफी समय से पूरे विश्व (Shekhawati Holi 2024) में फेमस होती जा रही है। लेकिन बहुत कम लोगों को ये जानकारी है कि ये गेर की परम्परा शेखावाटी अंचल में पिछले 114 साल से चली आ रही है। इसीलिए विदेशों से मेहमान आते हैं यहां होली खेलने। यहां आकर वो शेखावाटी के मंडावा में होली का रंग जमाते हैं। एस दूसरे को सूखे रगों से रंगते हैं तो वहीं झुंझुनूं जिले में काफी दूर यानी सात संमदर पार से मेहमान होली का लुफ्त उठाने आते हैं। मंडावा, डुंडलोद और मलसीसर की होली जहां सांप्रदायिक सौहार्द की पहचान है तो वहीं पर्यावरण संरक्षण की भी अनूठी मिसाल है।

ऐसे खेला जाता है गींदड़ नृत्य

शेखावाटी का ये बेमिसाल डांस कुछ-कुछ गुजरात के गरबा जैसा ही होता है। इस डांस को पुरुषों द्वारा ही किया जाता है। लड़कियां या औरतें इसमें भाग नहीं लेती हैं। इस डांस में पुरुष अपने हाथों में लकड़ी की डंडियां रखते हैं जो अपने से पीछे वाले पुरुष की डंडियों के साथ चोट करते हुए चलते हैं। ये पूरी प्रक्रिया गोल घेरे में की जाती है। इस घेरे में एक तरह का ऊंचा मचान भी होता है जिसमें एक झण्डा लगा दिया जाता है। और इसके चारों और गाने बजाने वाले कलाकार बैठ जाते हैं। इस तरह से नगाड़े चंग और ढ़प की आवाज से गोल गोल घूमते हुए ये डांस अत्यधिक मनमोहक होता है।

Saya Chouhan

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