जयपुर। HSS Fair Jaipur : हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा मेला राजस्थान की राजधानी जयपुर में 26 सितंबर से शुरू हो रहा है जो 30 सितंबर 2024 तक चल रहा है। इस मेले के उद्धाटन से लेकर उपस्थित रहने वाले अतिथिगण एवं विनीत इस प्रकार हैं:—
आश्विन कृष्ण नवमी, युगाब्द 5126 विक्रम संवत् 2081, गुरुवार, 26 सितम्बर, 2024 सायं 4:00 बजे
स्थान : दशहरा मैदान, आदर्श विद्या मन्दिर के सामने, आदर्श नगर, जयपुर
1. जगद्गुरु निम्बार्काचार्य श्री श्याम शरण देवाचार्य श्री ‘श्रीजी’ महाराज
2. संत सान्निध्य पूज्या दीदी माँ साध्वी ऋतम्भरा
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़
1. पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती, परमाध्यक्ष परमार्थ निकेतन ऋषिकेश
2. डॉ. चिन्मय पंड्या, प्रतिकुलपति देव संस्कृति विश्वविद्यालय
1. किशोर रूंगटा, चेयरमैन
2. सीए. सुभाष चन्द बापना, अध्यक्ष
3. डॉ. एम.एल. स्वर्णकार, वाइस चेयरमैन
4. सोमकान्त शर्मा, सचिव
5. अशोक ओढरानी, वाइस चेयरमैन
6. दिनेश पीतलिया, कोषाध्यक्ष
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मेला समय : प्रातः 10:00 बजे से रात्रि 10:00 बजे तक
स्थान : दशहरा मैदान, आदर्श विद्या मन्दिर के सामने, आदर्श नगर, जयपुर
26.9.2024 — मेला उद्घाटन— सांय 4 बजे
27.9.2024 — कन्या सुवासिनी वंदन — प्रात: 10 बजे
27.9.2024 — गंगा-भूमि वंदन — सांय 5 बजे
27.9.2024 — ‘मातुश्री अहिल्या बाई होल्कर’ नाटक सांय 7 बजे
28.9.2024 — शिक्षक वंदन — प्रात: 10 बजे
28.9.2024 — वृक्ष-गौ-तुलसी वंदन — सांय 4 बजे
28.9.2024 — कत्थक विविधा — सांय — 7 बजे
29.9.2024 — मातृ-पितृ वंदन — प्रात: 10:30 बजे
29.9.2024 — समरस भारत संगम — प्रात: दोपजर 3 बजे
29.9.2024 — ‘धरती राजस्थान री’ सांस्कृतिक संध्या — सांय 7 बजे
30.9.2024 — परमवीर वंदन व समापन — प्रात: 11 बजे
सेवा — सेवा कार्यों की प्रदर्शनी
शौर्य — मण्डपम ‘भारत को जानें’ प्रदर्शनी
प्रेरणा — दादी-नानी का घर (कथा-कहानी)
अभिव्यक्ति — विज्ञान मॉडल प्रदर्शनी
‘प्रयास’ कला उत्सव — भारतीय मूल्यों पर लाइव पेंटिंग
मंथन — हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा कॉन्क्लेव
परिचय—
हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा फाउण्डेशन द्वारा समाज के विभिन्न आध्यात्मिक और सामाजिक संगठनों व संस्थाओं द्वारा प्राणी मात्र के कल्याण के लिए किये जा रहे सेवा कार्यों को प्रदर्शनी के माध्यम से सेवा के प्रति हिन्दू समाज की प्रतिबद्धता को उजागर किया जाता है। विभिन्न संस्थाओं और संगठनों के माध्यम से क्या-क्या सेवा कार्य किये जा रहे हैं और उन सेवा कार्यों में जन साधारण कैसे सहभागी बन सकता है, ऐसे उपलब्ध सभी विकल्पों के साक्षात् दर्शन करने के उद्देश्य से हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा फाउण्डेशन प्रतिवर्ष मेला आयोजित करता है। हिन्दू आध्यात्मिक एवं सामाजिक संगठनों द्वारा किये जा रहे विविध सेवा कार्यों में जन सहभागिता का एक अभिनव आंदोलन।
हिन्दुत्व की परिभाषा —
हिन्दू स्पीरिच्युअल एवं सर्विस फेयर में हिन्दू तथा हिन्दूत्व की उस परिभाषा को सम्मिलित किया गया है जो माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दी गई है “सर्वोच्च न्यायालय ने डॉ. रमेश प्रभु बनाम प्रभाकर काशीनाथ कुन्टे के बाद में दिनांक 11.12.1995 के निर्णय में (ऑल इण्डिया रिपोर्टर 1996 एआईआर 113 में प्रकाशित) कहा है कि ‘हिन्दुत्व शब्द में भारतीय जनता की संस्कृति और विश्वास समाहित हैं, जिनमें उनकी जीवनशैली समाहित है और यह कोई संकुचित धार्मिक विचार नहीं है।’ न्यायालय ने यह भी निर्धारित किया कि हिन्दुत्व का दर्शन, जो कि अन्य विश्वासों के प्रति सहिष्णु है, यह भारतीय संविधान के पंथ निरपेक्षता के सिद्धान्तों से संगत है।”
लक्ष्य —
‘मूल्य निर्माण से ही राष्ट्र निर्माण’
हमारा लक्ष्य ऐसे जीवन और व्यवहार को बढ़ाना है जो पर्यावरण, वायुमण्डल, जल स्रोत, वन एवं वन्य जीवों, मानवीय मूल्यों, नारी सम्मान और देशभक्ति भाव का संरक्षण-संवर्द्धन करें।
मूल सन्देश —
हिन्दू आध्यात्मिक अॐ मेले का मूल सन्देश देश (राष्ट्र), देव (देवता) और धर्म (हिन्दू मूल्य अवधारणा) का संरक्षण-संबात है। राष्ट्र (देश), देव (दिव्यता) और धर्म (हिन्दू जीवन मूल्यों) इन तीनों प्रेरणा- स्तम्भों के अभाव में हमारा सांस्कृतिक अस्तित्व नहीं रहेगा। छः वैचारिक अधिष्ठान हमारे जीवन मूल्यों में समाहित है। इस प्राचीन देश में ये अधिष्ठान व्यवहार में प्रयोग किए जाते हैं और ये देव समर्पण (दिव्यता) से ओत- प्रोत हैं।
सिद्धान्त —
“ईशावास्यं इदं सर्वम्” (सर्वत्र ईश्वर है)
“आत्मनों मोक्षार्थ जगत् हिताय च” (मानवता की सेवा में ही मोक्ष प्राप्ति)
हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा फाउण्डेशन द्वारा समाज में सद्गुण एवं समूल्य अर्थात् जिन मूल्यों एवं गुणों की आज हमारे समाज, परिवार और राष्ट्र निर्माण के लिए अत्यन्त आवश्यकता है उस हेतु निम्न छः वैचारिक अधिष्ठानों पर अपना ध्यान केन्द्रित किया है, ये वैचारिक अधिष्ठान गुणवत्ता व मूल्यों पर आधारित हैं तथा आज परिवार संस्था की स्थिरता, समाज व राष्ट्र के दृढिकरण के लिए अत्यन्त आवश्यक है। ये छः अधिष्ठान हैं-
यह आज स्थापित हो चुका है कि वन और वन्य जीवन के बिना मानव और प्राणीमात्र का जीवन संभव नहीं है। मानव और वन्य जीवन परस्पर एकात्म हैं, संग्रथित है।
विभिन्न पारिस्थितिकी अध्ययनों से यह प्रमाणित हो गया है कि समस्त जीवित प्राणी आन्तरिक रूप से आपस में संबंधित है तथा एकात्म है और विश्व के कल्याण के लिए इसे भी सुरक्षा दी जानी चाहिए। मानव और प्राणी मात्र परस्पर संबंधित है।
यह भी आज एक स्थापित सत्य है कि पर्यावरण की रक्षा विश्व के समस्त राष्ट्र प्रदूषण और पर्यावरण संरक्षण की सबसे बड़ी समस्या से जूझ रहे हैं, स्वस्थ मानवीय जीवन के लिए पर्यावरण की रक्षा की जानी अनिवार्य है। मानव और पर्यावरण परस्पर अन्योन्याश्रित हैं।
पश्चिम के अनुभव से स्पष्ट हो चुका है कि जिनके परिवार और पारिवारिक मूल्य नष्ट हो रहे हैं, उनका समाज पतित हो रहा है। पारिवारिक मूल्य मानवीय प्रगति और विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। व्यक्ति और परिवार को पृथक् नहीं किया जा सकता। उनमें अद्वितीय अन्तर संबंध है।
महिला उत्पीड़न की बढ़ती घटनाओं और महिलाओं की घटती जनसंख्या से स्त्री-पुरुष अनुपात में आए असंतुलन से उपजी चिन्ता के समाधान हेतु यह आज की सर्वोच्च आवश्यकता है कि मानव समाज, राष्ट्र और संपूर्ण विश्व की भलाई के लिए नारी गरिमा की अभिवृद्धि हो। नारी के समधान की रक्षा के बिना परिवार और समाज बिखर जाएगा।
भारत में धर्म (जीवन मूल्यों) और राष्ट्र-सामाजिक जीवन में एकाकार है। इस प्राचीन देश के अलावा सनातन धर्म के लिए कोई धरती सुलभ नहीं है। एक सशक्त राष्ट्र के बिना कोई भी सुरक्षित नहीं है। इसलिए भारत राष्ट्र को एक देवता जैसा सम्मान दिए जाने की जरूरत है तथा इस राष्ट्र की सेवा करने वालों का भी सम्मान होना चाहिए।
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