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जयपुर के बलराम मंदिर में दिखेगा वृन्दावन जैसा खूबसूरत नजारा

जयपुर शहर में इन दिनों Ram Mandir के प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर सभी मंदिरों में जबरदस्त तैयारियां देखने को मिल रही है। जयपुर को छोटी काशी के नाम से जाना जाता है और इसके पीछे प्राचीन मंदिरों की कहानी है जो अपनी आप में अलग पहचान रखते है। लेकिन समय के साथ जयपुर शहर में नए-नए भव्य मंदिर बन रहे है और इनकी खूबसूरती देखकर हर कोई दिवाना हो जाता है।

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जयपुर में एक बड़ा कृष्ण बलराम मंदिर भी इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। इस मंदिर के बनने के पीछे की कहानी भी बहुत पुरानी है। 1975 को जयपुर के एक बहुत प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित सज्जन श्री मावीर प्रसाद जयपुरियाजी से इसकी शुरूआत होती है। उस समय वृन्दावन मंदिर में प्रति दिन हजारों की संख्या में भक्त दर्शन करते आते थे और इसी वजह से ऐसा भव्य मंदिर जयपुर में बनने की कहानी शुरू होती है।

हरे कृष्ण मार्ग, जगतपुरा में 6 एकड़ भूमि में एक मंदिार बनाया जा रहा है और इसकी पूरी लागत लगभग 150 करोड़ रुपये से ज्यादा होने का दावा किया गया है। यह प्रोजेक्ट मार्च 2027 तक पूरा होगा और इसका काम तेज गति से चल रहा है।

यह मंदिर केवल पूजा स्थल नहीं होगा यहां सभी आयु वर्ग के लोग आ सकते हैं और वेदों, पुराणों, रामायण और महाभारत के ज्ञान से लाभ उठा सकते हैं।राजस्थान की समृद्ध परंपरा और विरासत को प्रदर्शित करना भी इसका प्रमुख लक्ष्य है। 

मंदिर की वास्तुकला

वास्तुशिल्प में ग्लास, जीआरसी, कंपोजिट सामग्री, फोम कास्टिंग, हल्के वजन वाले कंक्रीट का इस्तेमाल करके इसको भव्य रूप देने की तैयारी की जा रही है। इसका निर्माण पर्यावरण के अनुकूल सामग्री से हो रहा है जो सदियों तक इसको स्थिर बनाकर रखेगा। सांस्कृतिक केंद्र के बाहरी और अंदरूनी हिस्सों को रंगीन भित्तिचित्रों और चित्रों से सजाया जाएगा।

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हरियाली का विशेष ध्यान रखा जाएगा

मंदिर परिसर में सहजन, नीम, शीशम, पीपल, बरगद, चंदन, कदंब, रुद्राक्ष, कल्पवृक्ष, अश्वगंधा, पारिजात, एलोवेरा, मेसवाक और कई अन्य महत्वपूर्ण पौधे लगाए जा रहे हैं। 

मंदिर की मुख्य विशेषताएं

30 मीटर ;की लंबाई के साथ सबसे बड़ी कामन छतरी जो इसे दुनिया में सबसे बड़ी बनाती है।

मयूरद्वार में पेंटिंग, पत्थर की मूर्ति और कांच जड़ाउ कार्य के रूप में 108 मोर रूपांकनों का प्रदर्शन किया जाएगा।

मंदिर के हॉल में एक साथ 3000 लोगों के बैठने की व्यवस्था होगी।

मंदिर में हाथी हौदाद्वार, सीढ़ियों के साथ छह भव्य प्रवेश द्वार होंगे।

एक संग्रहालय जो कलाकृतियाँ, पेंटिंग, मूर्तियां और अन्य चीजें प्रदर्शित करता है

Narendra Singh

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