Jaipur ki Murti : जयपुर कलाओं का शहर है। यहां एक पत्थर भी बेजान और निर्जीव वस्तु नहीं। यहां के कलाकार पत्थर में भी जान डालने में माहिर हैं। जयपुर में चांदपोल बाजार (Jaipur Chandpole Bazar Marble Statue) में एक पूरा मोहल्ला मूर्तिकारों का है जहां रोजाना सैकड़ों की तादाद में मूर्तियां बनाई जाती हैं। जयपुरी मूर्तियों (Jaipur ki Murti) की मांग विदेशों तक है। यहां पत्थर पर इतनी सजीवता के साथ कला को उकेरा जाता है कि वे बोलती सी महसूस होती हैं, उनके चेहरों के भाव भी पढ़ें जा सकते हैं। लेकिन क्या है मूर्ति कला की कहानी और इसके पीछे का संघर्ष आइए जानते हैं।
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राजस्थान का मूर्ति उद्योग दुनियाभर में मशहूर है। उर्दू में मूर्ति को बुत या फिर मुजस्समा कहते हैं। जयपुर से देवी-देवताओं की मूर्तियां देशभर में जाती हैं। जयपुर के खजानेवाले रास्ते (Jaipur ka Hhajane Wala Rasta) में रजवाड़ों के जमाने से भगवान की मूर्तियां बनाने का काम किया जाता है। यहां घर-घर में मूर्ति कलाकर मूर्ति बनाते हैं। अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की दूसरी मूर्ति खजानों के रास्ते में ही बनाई गई है। राजस्थान में जयपुर समेत करीब 10 से 12 जिलों में मूर्ति व्यवसाय होता है, जिससे लाखों लोग जुड़े हुए हैं।
ज्यादातर साधु-संत मदिरों के लिए या फिर आम जनता पूजा-पाठ के लिए भगवान की मूर्तियां इनसे बनवाते हैं। इसके अलावा शहीदों या फिर लोग अपने दिवंगत माता-पिता की मूर्तियां बनवाते हैं। जयपुर की मूर्ति कला राम मंदिर उद्घाटन के बाद से ही पूरी दुनिया में फेमस हो रही हैं। लोग बाहर से आकर जयपुर में मूर्ति बनवा रहे हैं।
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जयपुर का मूर्तिशिल्प (Jaipur ki Murti) मूल रूप से चंद धनाढ्य मूर्तिकारों के कब्जे में है और यही वजह है कि इस धंधे में लगे मालिक तो लगातार और धनी बन रहे हैं, लेकिन मजदूर या शिल्पी दिनोंदिन कमजोर और दीन-हीन होते जा रहे हैं। सरकार न तो शहरों की सजावट के लिए विशेष आदेश देकर मूर्तियां बनवाती है और न निम्न और मध्यम श्रेणी के शिल्पियों को साधन और पूंजी सुलभ कराती है। कहीं कोई शिल्प केंद्र स्थापित करके कोई प्रोत्साहन भी अब तक नहीं दे पाई है। कलाकारों की घोर उपेक्षा हो रही है और धीरे-धीरे यह कला (Jaipur Murti Kala) एक तरह से अपने अंत की ओर कदम बढ़ा रही है।
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पिछले कुछ समय से राजस्थान का मूर्ति उद्योग (Jaipur Murti Art 2024) चीन की सस्ती मूर्तियों की वजह से परेशान चल रहा है। चीन से मशीनों की बनी सस्ती मूर्तियां देशी और अंतरराष्ट्रीय बजार में खूब आ रही हैं। जयपुर के मूर्तिकारों को डर है कि ग्राहक महंगी मूर्तियां खरीदने की बजाए चीनी मूर्तियां खरीदने लगेंगे। माना जाता है कि राजस्थान में मूर्तियों का व्यवसाय 100 करोड़ से ऊपर का है। कोरोना काल में भी मूर्ति उद्योग को काफी नुकसान हुआ था।
राजस्थान की भजनलाल सरकार का निरंतर यही प्रयास है कि जयपुर के सभी ऐतिहासिक कलात्मक कारोबार MSME योजनाओं का लाभ उठाकर न केवल अपना खोया हुआ गौरव हासिल करे, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था में भी अपना बेशकीमती योगदान प्रदान करे। ऐसे सभी व्यापारी, उस्ताद, कारीगर बिना किसी झिझक के उद्योग मंत्रालय राजस्थान सरकार तथा MSME प्रमोशन काउंसिल राजस्थान से संपर्क करके विस्तृत जानकारी तथा वांछित मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं।
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