Jaipur Ramadan:राजस्थान की राजधानी गुलाबी नगरी जयपुर में हिंदू मुस्लिम तहज़ीब का अलग ही रंग देखने को मिलता है। लेकिन पिछले कुछ समय से लोग आपसी कड़वाहट और रंजिश का शिकार हो गये है। रमजान का पवित्र महीना आने वाला है। Jaipur के बाजारों में Ramadan के महीने में इफ्तार पार्टी का आयोजन किया जाता रहा है। लेकिन इस बार प्रदेश सरकार मस्जिदों में होने वाले इफ्तार के आयोजन को लेकर जल्द कोई बड़ा फैसला करने जा रही है। सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि रमजान में इफ्तार पार्टी की वजह से शहर में जाम की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। लोगों को आने जाने में परेशानी होती है। मस्जिदों में इफ्तार पार्टी होने की वजह से नमाजियों को काफी परेशानी होती है।
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गुलाबी नगरी जयपुर (Jaipur Ramadan) में रोजा इफ्तार को लेकर कई भव्य आयोजन बाजारों में ही किये जाते हैं। मुस्लिम बाहुल्य इलाके जैसे रामगंज, सुभाष चौक, घाटगेट इत्यादि में मुस्लिम बंधु बाजारों में ही इफ्तार पार्टी का आयोजन करते है। इस वजह से आम जनता और दुकानदारों को काफी परेशानी होती है। कई बार तो रोजा इफ्तार के समय यातायात जाम की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। जबकि आखिरी नबी मुहम्मद साहब का कहना था कि मोमिन की वजह से किसी भी गैर मुस्लिम को परेशानी नहीं पहुंचनी चाहिए। मस्जिद में इफ्तार पर रोक लगी तो नमाजी आराम से सुकून के साथ मगरिब की नमाज अदा कर पाएंगे वही जयपुर के परकोटे में भी शाम के समय जाम नहीं लगेगा।
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हालांकि भारत और राजस्थान में फिलहाल रोजा इफ्तार (Jaipur Ramadan) को लेकर कोई सरकारी फरमान जारी नहीं हुआ है। अभी केवल सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने अरब की मस्जिदों के लिए ये आदेश जारी किया है। MBS के नए नियम के मुताबिक रमजान के दौरान सऊदी अरब की मस्जिदों के अंदर इफ्तार पार्टी नहीं होगी। इसके साथ ही रोजा इफ्तार के नाम पर चंदा लेने पर भी पाबंदी लगा दी गई है।
भारत के मुस्लिमों (Jaipur Ramadan) को ध्यान देना चाहिए कि जिन अरबों को अब तक हम कट्टरपंथी सोच वाले समझते रहे है वही अरब के शेख आज तरक्की के दौर में सबसे आगे चल रहे हैं। सऊदी सुलतान ने अरब को नयी सोच देने के लिए ऐसे फैसले लिये हैं। दूसरी ओर भारत के मुसलमान आज भी वही दकियानूसी सोच लिये जी रहे हैं। फसाद के बजाय इकोनॉमी पर ध्यान दे तभी हम आगे बढ़ पाएंगे। सिर्फ जमा होकर खाने पीने से कोई सच्चा मुसलमान नहीं बन जाता। पहले जेब में पैसा होना चाहिए, दिमाग में तालीम होनी चाहिए, सही गलत का फर्क पता हो, तब जाकर हम सच्चे मुसलमान कहलाने के लायक है। वरना वही रमजान वही तकरीर वही इफ्तार पार्टी बदलेगा कुछ भी नहीं। फैसला आपका है।
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