JDA News: जयपुर में इन दिनों सीएम भजनलाल के विधानसभा क्षेत्र के मानसरोवर क्षेत्र से सटी 27 कॉलोनियों में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई बड़े स्तर पर चल रही है। इस अतिक्रमण को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश पर 100 फीट सेक्टर रोड निकालने के लिए बीच में आ रहे लगभग 300 मकानों-दुकानों पर बुलडोजर दो दिन से चल रहा है और तीसरे दिन पूरी तरह से अवैध निर्माण को हटा दिया जाएगा।
जेडीए के इस एक्शन से कई परिवार सड़क पर आ गए हैं। लेकिन सबसे पहला सवाल यही है क्या इस तरह की कार्रवाई में सरकार इन परिवारों की कोई सहायता करती है या नही। मकान-दुकान या प्लॉट खरीदते समय आपको पूरी जांच पड़ताल करनी होगी और ऐसा करने से आपके सपनों का आशियाना टूटेगा नहीं। प्रॉपर्टी में सबसे ज्यादा धोखाधड़ी होती है और आप बाद में आपके हाथ में कुछ नहीं होता है।
मास्टर प्लान के तहत सड़क का विस्तार किया जाता है। इस दौरान कई मकान व दुकान भी इसकी जद में आ जाते हैं और उन्हें हटाया जाता है। भूमि अधिग्रहण को लेकर कृषि व आबादी क्षेत्र में मुआवजा दिया जाता है। रिहायशी और व्यावसायिक भवन की डीएलसी रेट अलग-अलग होने से मुआवजा राशि भी अलग होती है। बिल्डिंग बायलॉज का पालन नहीं होने पर मुआवजा नहीं दिया जाता है। अगर नियमों की अनदेखी कर 5 मंजिला बिल्डिंग बनी हुई है, तो उसका मुआवजा केवल खाली भूखण्ड का मिलेगा। इसी वजह से किसी तरह का मुआवजा नहीं दिया जा रहा है।
आवासीय सोसायटी या कृषि भूमि पर भी मकान ले लेते है। जेडीए से अप्रूव्ड नहीं होने के कारण वहां भविष्य में उस जमीन पर कोई प्रोजेक्ट या स्कीम आती है तो ऐसे मकानों को अतिक्रमण मानते हुए हटाया जा सकता है। ऐसे में मकान खरीदते समय जेडीए स्कीम में ही मकान होना जरूरी है। आपको हमेशा डेवलपमेंट अथॉरिटी जैसे यूआईटी, नगर निगम, नगर परिषद की स्कीम में ही प्लाॅट लेना चाहिए। इसके साथ आप उसके लेआउट प्लान को देखें और संबंधित एजेंसी इसकी जांच करती है कि वह सड़क, नाला, तालाब या वन क्षेत्र में तो नहीं है। इसके बाद जेडीए उस प्लॉट या मकान के पट्टे जारी करता है।
कॉलोनी अप्रूव्ड है या नहीं इसके लिए जेडीए ने पूरी जानकारी दे रखी है। जेडीए की वेबसाइट पर अवैध कॉलोनी और भवनों की लिस्ट होती है। इस लिस्ट को जेडीए द्वारा समय-समय पर अपडेट किया जाता है। जहां जेडीए अवैध कॉलाेनियों को ध्वस्त करने की कार्रवाई करता है और उनके बारे में भी वेबसाइट पर जानकारी देता है। जेडीए ने 150 से अधिक अवैध कॉलाेनी की सूची वेबसाइट पर डाल रखी है।
मोटी कमाई के चक्कर में डेवलपर्स निजी खातेदारी की कृषि भूमि पर भी नई कॉलोनी बसा देते है। खरीदार की जरूरत के अनुसार किस्तों में प्लॉट की सुविधा भी दे देते हैं। लोग निवेश के लिए कम कीमत में प्लॉट खरीद लेते हैं लेकिन बाद में उन्हें इसका नुकसान उठाना पड़ता है।
बिना भू-रूपान्तरण कराए समतल कर रातों-रात अवैध निर्माण कराते हैं। ऐसे में जेडीए ऐसी कॉलोनियों को ध्वस्त करता है।
खरीदते समय सेल एग्रीमेंट बनवाएं।
रेडी टू मूव अपार्टमेंट खरीद रहे हैं तो सेल डीड की जांच करें। य
नगर निगम द्वारा दिए गए प्रमाण पत्र भी मांगे।
बैंक से लोन लेने के लिए दस्तावेजों की जरूरत होती है। इ
संपत्ति किसी भी कानूनी देनदारियों से मुक्त है।
योजना के बारे में सभी जानकारी देखें।
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