Khatu Shyamji Mandir Kund
जयपुर। Khatu Shyamji Mandir राजस्थान के सीकर जिले में स्थित है जो बहुत ज्यादा फेमस है। जितनी खाटू श्यामजी मंदिर की महिमा है उतना चमत्कारी यहां पर स्थित श्याम कुंड (Shyam Kund) भी है। श्याम कुंड का रहस्य ऐसा है जिसके बारे में कई लोगों पता नहीं। इस कुंड में हमेशा पानी भरा रहता है जिसमें स्नान करने के कई चमत्कारी फायदे हैं। तो आइए जानते हैं इसके बारें में कुछ बेहद रोचक बातें…
खाटू श्यामजी मंदिर में महाभारत कालीन बर्बरीक का सिर है जिनकी पूजा की जाती है। खाटू श्यामजी को भगवान कृष्ण ने कलयुग में अपने नाम से पूजे जाने का वर दिया था। वहीं, बाबा खाटू श्यामजी को उनकी माँ ने कहा था कि हार का सहारा बनना। श्रीकृष्ण ने बाबा खाटू श्याम को वरदान दिया था कि जैसे-जैसे कालयुग में पाप बढ़ेगा तब तब खाटू श्याम को लेकर आस्था बढ़ती जाएगी और इस कालयुग के समय में लोगों के बीच खाटू श्याम को लेकर इतनी आस्था है कि लोग उन्हें हारे का सहारा, खाटूश्याम हमारा कहते हैं। जो भी भक्त खाटू श्यामजी मंदिर जाता है उसके सभी दुःख-दर्द दूर हो जाते हैं और मनोकामना पूरी होती है। हालांकि, बाबा खाटू श्यामजी के दर्शन के साथ ही खाटू श्याम कुंड में जाने का और भी मजा है।
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खाटू श्यामजी मंदिर के पास स्थित कुंड को लेकर मान्यता है कि बर्बरीक का शीश इस प्राचीन श्याम कुंड से ही निकला गया था। महाभारत के युद्ध के समय भगवान कृष्ण ने बर्बरीक से उनका शीश दान में मांगा था। इसके बाद बर्बरीक के शीश को महाभारत के युद्ध के बाद श्रीकृष्ण ने रूपवती नदी में बहा दिया था और बाद में शीश यह बहकर श्यामकुंड में आया था और श्यामकुंड से ही खाटू शयन का सिर निकला था।
खाटू श्यामजी कुंड कुंड गहरे और अंडाकार आकृति का है। इस कुंड का जल को बड़ा ही पवित्र माना जाता है। इसी के साथ इस कुंड के परिसर में बांयी तरफ एक प्रवेश द्वार है जिसके अंदर यह प्राचीन श्याम कुंड है। इस कुंड को महिला कुंड का नाम दिया गया है क्योंकि इसमें केवल महिलाएँ ही स्नान करती हैं।
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खाटॅ श्याम कुंड की एक और खास बात ये है कि इसमें सालभर पवित्र जल भरा रहता है। कुंड का जल जमीन से निकलता है इसलिए ऐसा कहा जाता है कि कुंड में जल पाताल से आता है। श्री श्याम कुंड को खाटू का तीर्थ जलाशय भी कहा जाता है। माना जाता है कि श्याम कुंड में स्नान करने से पापों का नाश होता है और पुण्यों की प्राप्ति होती है। जबकि, श्याम कुंड के जल का चरणामृत ग्रहण करने से आत्मिक शक्ति का अनुभव होता है।
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