Khatu Shyamji Temple and Story in Hindi
जयपुर। Khatu Shyamji : पुराणों के अनुसार खाटू श्यामजी ही एकमात्र ऐसे महापुरूष रहे हैं जिनकी बराबर का दानी कोई और नहीं हो सकता। इतना ही नहीं खाटू श्यामजी इतने प्रतापी व बलवान थे कि उनके रहते पांडव कभी भी कौरवों से युद्ध नहीं जीत सकते थे। इसी वजह से भगवान श्रीकृष्ण ने उनसे सिर दान में मांग लिया और पांडवों की विजयश्री की पटकथा लिख दी। खाटू श्यामजी को भगवान श्रीकृष्ण के कलयुगी अवतार के रूप में जाना जाता है। राजस्थान के सीकर जिले में श्याम बाबा का भव्य मंदिर स्थित है जहां दर्शन के लिए रोज लाखों भक्त पहुंचते हैं। माना जाता है कि खाटू श्यामजी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं और फर्श से अर्श तक पहुंचा देते हैं।
बाबा खाटू श्यामजी का संबंध महाभारत काल से माना जाता है। खाटूश्याम जी का असली नाम बर्बरीक था और वो पांडुपुत्र भीम के पौत्र थे। पौराणिक कथा के अनुसार, खाटू श्याम की अपार शक्ति और क्षमता से प्रभावित होकर भगवान श्रीकृष्ण ने इनको कलियुग में अपने नाम से पूजे जाने का वरदान दिया था।
यह भी पढ़ें : Khatu Shyam Bhajan Video जमकर सुने जा रहे, आप भी देखें और सुनें टॉप 10 भजन
महाराभारत काल में पांडव जब वनवास के दौरान अपनी जान बचाते भटक रहे थे, तब भीम का सामना हिडिम्बा से हुआ और उससें विवाह कर लिया। हिडिम्बा ने भीम से एक पुत्र को जन्म दिया जिसे घटोखा कहा जाता था। घटोखा से बर्बरीक पुत्र हुआ। इन दोनों को अपनी वीरता और शक्तियों के लिए जाना जाता था। जब कौरव और पांडवों के बीच युद्ध होना था, तब बर्बरीक ने युद्ध देखने का निर्णय लिया था। भगवान श्रीकृष्ण ने जब उनसे पूछा वो युद्ध में किसकी तरह हैं, तो उन्होंने कहा था कि वो पक्ष हारेगा वो उसकी ओर से लड़ेंगे। भगवान श्रीकृष्ण को पता था कि बर्बरीक के रहते हुए युद्ध का परिणाम उल्टा हो सकता था ऐसे में भगवान श्रीकृष्ण ने बर्बरीक को रोकने के लिए दान की मांग की। दान में उन्होंने उनसे उनका शीश मांग लिया। बर्बरीक ने दान में उनको अपना शीश दे दिया, लेकिन आखिर तक उन्होंने युद्ध देखने की इच्छा जाहिर की, तभी से बर्बरीक को शीश का दानी कहा जाने लगा।
यह भी पढ़ें : Khatu Shyam Ji के दर्शन करने का यह हैं उत्तम दिन, जल्दी से पूरी करेंगे बाबा मुराद
भगवान श्रीकृष्ण ने बर्बरीक की अच्छा स्वीकार करते हुए उनका सिर युद्ध वाली जगह पर एक पहाड़ी पर रखवा दिया। युद्ध के बाद पांडव इस बात को लेकर लड़ने लगे कि युद्ध की जीत का श्रेय किसे जाता है। तब बर्बरीक ने कहा कि उन्हें जीत भगवान श्रीकृष्ण की वजह से मिली है। भगवान श्रीकृष्ण उनके इस बलिदान से प्रसन्न हुए और कलियुग में श्याम के नाम से पूजे जाने का वरदान दे दिया।
Healthy Liver Tips : जयपुर। लिवर शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है, जो हमारे शरीर…
National Herald Case : केंद्र सरकार द्वारा राज्यसभा सांसद सोनिया गांधी व नेता प्रतिपक्ष राहुल…
Hanuman Jayanti : राहोली पंचायत के महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय में हनुमान जयंती के अवसर…
Jaipur Bulldozer Action: जयपुर विकास प्राधिकरण की ओर से 9 अप्रैल को अतिक्रमण के खिलाफ…
Starting a business usually means spending money on a shop, hiring staff, buying stock, and…
PESA Act : जयपुर। जनजातियों की रक्षा करने वाला विश्व के सबसे बड़े संगठन अखिल…