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Kirodi Lal Meena का छलका दर्द, बताया- गद्दारी किसने की, किसने पीठ में घोंपा छुरा!

Kirodi Lal Meena News : जयपुर। राजस्थान के केबिनेट मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने दौसा से भाई जगमोहन की हार को लेकर अपना दर्द बया किया है। किरोड़ी ने कहा, लक्ष्मण जैसे भाई जगमोहन मीणा राम जैसे भाई किरोड़ी मीणा के होते हुए कैसे हार गए। जगमोहन की हार के बाद किरोड़ी लाल मीणा ने मन में कुछ नहीं रखा और सारा का सारा दिल का जहर उगल दिया। आइए जानते है क्या है पूरा मामला?

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अपने लक्ष्मण जैसे भाई जगमोहन मीणा का ऋण उतारने में असफल रहे किरोड़ी लाल मीणा ने दौसा से उप चुनाव हारने के बाद अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर अपना सारा दुखड़ा बयां कर दिया। किरोड़ी ने लिखा मुझे राजनीति में 45 साल हो गए और सफर के दौरान सभी वर्गों के लिए संघर्ष किया। जनहित में सैंकड़ों आंदोलन किए……. साहस से लड़ा……. बदले में पुलिस के हाथों अनगिनत चोटें खाईं। आज भी बदरा घिरते हैं तो समूचा बदन कराह उठता है, मीसा से लेकर जनता की खातिर दर्जनों बार जेल की सलाखों के पीछे रहा है।

संघर्ष की इसी मजबूत नींव और सशक्त धरातल के बूते दौसा का उपचुनाव लड़ा है। जनता के आगे संघर्ष की दास्तां रखी। घर घर जाकर वोटों की भीख भी मांगी, फिर भी कुछ लोगों का दिल नहीं पसीजा। भितरघाती मेरे सीने में वाणों की वर्षा कर देते तो मैं दर्द को सीने में दबा सारी बातों को। दफन कर देता लेकिन उन्होंने मेघनाथ बनकर मेरे लक्ष्मण जैसे भाई पर शक्ति का बाण चला डाला। साढ़े चार दशक के संघर्ष से न तो हताश हूं और न ही निराश। पराजय ने मुझे सबक अवश्य सिखाया है लेकिन विचलित नहीं हूं।

आगे भी संघर्ष के इसी पथ पर बढते रहने के लिए कृतसंकल्प हूं, गरीब, मजदूर, किसान और हरेक दुखिया की सेवा के व्रत को कभी नहीं छोड़ सकता परन्तु ह्रदय में एक पीड़ा अवश्य है। यह बहुत गहरी भी है और पल-प्रति-पल सताने वाली भी, जिस भाई ने परछाईं बनकर जीवन भर मेरा साथ दिया, मेरी हर पीड़ा का शमन किया, उऋण होने का मौका आया तो कुछ जयचंदों के कारण मैं उसके ऋण को चुका नहीं पाया।

मुझमें बस एक ही कमी है कि मैं चाटुकारिता नहीं करता और इसी प्रवृत्ति के चलते मैंने राजनीतिक जीवन में बहुत नुकसान उठाया है, स्वाभिमानी हूं, जनता की खातिर जान की बाजी लगा सकता हूं। गैरों में कहां दम था, मुझे तो सदा ही अपनों ने ही मारा है।

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Mukesh Kumar

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