जयपुर। राजस्थान के कोटा जिले के लिए वर्ल्ड एथलीट डे की सुबह दोहरी खुशियां लेकर आई और एक और सिन्थेटिक ट्रैक का उद्घाटन होने के बाद बालिकाओं ने दौड़ लगाकर अपनी क्षमता और सामर्थ्य दिखाया। वहीं, दूसरी तरफ कोटा की ही शोभा माथुर ने केरल में आयोजित एशियन पॉवर लिफ्टिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पाकर अपने नाम को गौरान्वित किया। इतना ही नहीं प्रतियोगिता के बाद माथुर को स्ट्रांग वूमन इन एशिया की रनर अप के खिताब से भी नवाजा गया।
कोटा को सिन्थेटिक ट्रैक की सौगात मिली
पिछले कुछ समय से कोटा ने देश में अपनी अलग पहचान बनाई है। हाल ही के दिनों की बात करें तो कोटा की बेटी फैमिना मिस इंडिया बनी, 7 मई को ही कोटा को सिन्थेटिक ट्रैक की सौगात मिली है इन सबके बीच कोटावासियों को एक और खुशियों का गुलदस्ता यहां की ही शोभा माथुर ने दिया है। जिसने केरल में आयोजित एशियन पॉवर लिफ्टिंग चैंपियनशिप में 63 से 69 किलोग्राम के मास्टर कैटगरी वर्ग में गोल्ड मेडल हासिल कर सफलता के शिखर पर स्थान बनाया है प्रतियोगिता के दौरान ही माथुर स्ट्रांग वूमन इन एशिया की रनर अप भी रही है। जो अपने आप में बहुत बड़ी और कोटाबासियों के लिए गर्व करने की बात है। केरल में आयोजित इस एशियन पॉवर लिफ्टिंग प्रतियोगिता में भारत, हॉंगकांग, इंडोनेशिया, इरान, कजाकिस्तान, फिलिफिस. उजवेक्सितान, ओमान तथा मंगोलिया सहित 11 देशों के लगभग 250 खिलाड़ियों ने भाग लिया था।
ये हैं शोभा की जिदंगी के अनछुए पहलू
एशियन एशियन पॉवर लिफ्टिंग चैंपियनशिप के मास्टर केटेगरी में स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाली शोभा माथुर पावर लिफ्टिंग में हाथ आजमा चुकी हाड़ोता की उन महिला खिलाड़ियों में से एक नाम ऐसा है भी जिसके जज्बे और आत्मविश्वास के आगे इनके जीवन को कई विपरित परिस्थितियों ने भी हार मान ली। कुछ साल की प्रैक्टिस में तमाम विपरितताओं के बाद भी वे महिला खिलाड़ी पावर लिफ्टिंग में दो बार नेशनल खेल चुकी हैं। जिसमें एक बार गोल्ड और दूसरी बाद सिल्वर मेडल प्राप्त किया है और इससे भी ज्यादा हाड़ौती के लिए गर्व की बात तो है कि इस महिला खिलाड़ी का हाल ही में केरल में आयोजित हुई होने वाली एशिया पावर लिफ्टिंग प्रतियोगिता में पूरे राजस्थान में से चयन किया गया है।
मानसिक तनाव होना लाजमी
पेशे से सरकारी शिक्षक लगभग 50 वर्षीय शोभा माथुर के वीएस पति का स्वर्गवास वर्ष 2018 में हो गया था। इनके तीन संतान है। पति की असामायिक मृत्यु के बाद बच्चों आदि की जिम्मेदारी इनके कंधों पर आ पड़ी तो मानसिक तनाव होना लाजमी था लेकिन इन्होंने आत्मविश्वास और दूसरों की हौसला अफजाई से उन परिस्थितियों को खुद पर हावी नहीं होने दिया तथा परिवार और नौकरी के साथ स्पोटर्स की ओर ध्यान देना शुरू किया और महज कुछ सालो की मेहनत में ही खुद को पहचान एशिया लेवल पर बना ली है। पावर लिफ्टर शोभा बताती हैं कि पति की मौत के बाद खुद, बच्चों तथा परिवार को संभाला। मेरा स्पोटर्स में शुरू ही ध्यान रहा है।
माना जाता था लड़कियों का खेल
आज के समय में अधिकांश खेल टीम के साथ खेले जाते हैं परन्तु मेरा मन व्यक्तिगत खेल चुनने का हुआ तो मैंने पावर लिफ्टिंग को चुना। रोजाना करीब डेढ़ से दो घंटे अभ्यास करती हूं। शोभा बताती हैं कि जब भी कोई व्यक्ति सफल होता है तो उसकी सफलता के पीछे पूरी टीम का साथ होता है। वह बताती है कि इस खेल को पहले लड़की का खेल माना जाता था लेकिन अब इसमें लड़कियां काफी आगे बढ़ चुकी हैं। अगर इनको सही प्रोत्साहन और संसाधन उपलब्ध करवाएं जाएं तो ये बहुत आगे तक बढ़ सकती है।
Healthy Liver Tips : जयपुर। लिवर शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है, जो हमारे शरीर…
National Herald Case : केंद्र सरकार द्वारा राज्यसभा सांसद सोनिया गांधी व नेता प्रतिपक्ष राहुल…
Hanuman Jayanti : राहोली पंचायत के महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय में हनुमान जयंती के अवसर…
Jaipur Bulldozer Action: जयपुर विकास प्राधिकरण की ओर से 9 अप्रैल को अतिक्रमण के खिलाफ…
Starting a business usually means spending money on a shop, hiring staff, buying stock, and…
PESA Act : जयपुर। जनजातियों की रक्षा करने वाला विश्व के सबसे बड़े संगठन अखिल…