लोकेंद्र सिंह कालवी हमेशा समाज के लिए हितकारी रहे है। उन्होनें राजपूत समाज के यूथ को मंच पर एक साथ लाने के लिए श्री राजपूत करणी सेना की नीवं रखी थी। उनके ऐसे ही कामों के लिए समाज का हर व्यक्ति उनका सम्मान करता है। लोगों से उनका सीधा सम्पर्क रहता था। इसलिए गावं का कोई भी व्यक्ति उनके सामने अपनी बात कहने में हिचकिचाता नही था। वे हमेशा लोगों की समस्याओं को सुनते थे और उसका समाधान भी निकालते थे। राजपूत समाज ही नहीं वे किसी भी समाज के व्यक्ति को उतना ही सम्मान देते थे जितना अपने समाज को देते थे। कालवी जातिगत आरक्षण, भेदभाव और छूआछूत के कट्टर विरोधी थे।
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वसुंधरा का माना जाता था विरोधी
श्री राजपूत करणी सेना के संस्थापक लोकेंद्र सिंह को वसुंधरा राजे का विरोधी माना जाता है। वसुंधरा सरकार के कार्यकाल में कालवी आनंदपाल मुठभेड़ को लेकर काफी नाराज हुए थे। जव वे आनंदपाल के गावं सावंराद में जनसभा को संबोधित कर रहे थे तो राजे पर जमकर हमला किया। उन्होनें तो वसुंधरा राजे के खिलाफ यह तक कह दिया था कि 2018 में होने वाले चुनावों में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ेगा। कालवी ने वसुंधरा के पहले कार्यकाल में भी सरकार की नीतियों और योजनाओं के खिलाफ कई प्रदर्शन किए थे।
अहिंंसक आंदोलन के पक्ष में थे कालवी
लोकेंद्र सिंह कालवी कभी भी हिंसा के साथ होने वाले आंदोलन का साथ नहीं देते थे। करणी सेना के साथ उन्होनें जितने भी आंदोलन किए वे अहिंसक आंदोलन ही थे। अगर कोई आंदोलन के दौरान क्षति पहुंचाने की कोशिश करता है तो वे अपने समाज के नेताओं को भी डांट देते थे।
बता दें कि करणी सेना का के संस्थापक लोकेंद्र सिंह कालवी का सोमवार देर रात सवाई मान सिंह हॉस्पिटल में निधन हो गया। आज यानि मंगलवार को उनके पैतृक गावं कालवी में उनका अंतिम संस्कार किय़ा जाएगा।
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