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19 जिलों को मर्ज करने पर घबराई कांग्रेस, उपचुनाव से पहले हो सकता है बड़ा फैसला

New District News In Rajasthan : राजस्थान में उपचुनाव के दिन जैसे जैसे नजदीक आ रहे हैं। वैसै वैसे राजनीति गर्मा रही है। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में बनाए गए नए जिलों को सरकार वापस मर्ज करने के लिए बिल्कुल मन चुकी है। तो वहीं कांग्रेस के कुछ दिग्गज नेताओं ने इन जिलों को बचाने की कवायत शुरु कर दी है। तो चलिए जानते हैं आखिर पूरा मामला है क्या…..

उपचुनाव से पहले ये क्या

पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने विधानसभा चुनाव के ठीक पहले ही 19 नए जिलों की घोषणा कर दी थी। और उनका गठन भी कर दिया। 19 जिलों को लेकर राजस्थान में जिलों की संख्या अब 50 है। जाहिर है कि कांग्रेस की रणनीति यही थी कि नए जिलों में कांग्रेस की ही सीटें आएं। लेकिन कांग्रेस सरकार और राजनीति के जादूगर अशोक गहलोत का ये दाव कुछ तब उलटा पड़ गया जब राजस्थान में कांग्रेस अपने ही गढ़ में हार चुकी थी। इस लिस्ट में पहला नाम आता है सांचौर जिले का…जालौर जिले में शामिल ये सांचौर जिला जिला बनने का फायदा नहीं उठा पाया और कांग्रेस के सुखराम बिश्नोई को वहां से मुह की खानी पड़ी। इसी तरह से सबसे छोटा जिला दूदू, वहां पर भी बाबूलाल नागर को चुनाव हारना पड़ा। इस सबका फायदा अब भजन लाल सरकार उठा रही है। और इन 19 जिलों में से कई सारे जिले मर्ज करने की मुहिम चला रखी है। संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल की पांच सदस्यीय टीम इस पूरे मामले की समीक्षा कर रही है।

शुरु हुआ जिलों को बचाने का आंदोलन

वहीं अब उपचुनाव से ठीक पहले ये मुद्दा फिर एक बार सुर्खियों में आ गया है। चूंकि भजनलाल सरकार इन जिलों को मर्ज करना चाहती है तो वहीं कांग्रेस के नेता इन जिलों को बचाने की अगुवाई कर रहे हैं। इसमें नाम आता है कैबिनेट मंत्री सुखराम बिश्नोई जो सांचौर जिला बचाओ आंदोलन की अगुवाई कर रहे हैं। इसी तरीके से गंगापुर सिटी और शाहपुरा जिलों में भी इसी तरह की लहर देखने को मिल रही है। वहीं जोगाराम पटेल का कहाना है कि पूर्ववर्ती सरकार ने इन जिलों को बिना कुछ सोचे समझे ही घोषित कर दिया था। साथ ही कहा कि जब नए जिलों बनाने पर जब कांग्रेस का कुछ फायदा ही नहीं हुआ तो फिर वो इन्हे मर्ज ना करने की क्यों अपील कर रहे हैं। क्यों आंदोलन कर रहे हैं।

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जारी रहेंगे विकास कार्य

कैमेटी का कहना है कि अगर इन जिलों को मर्ज भी किया जाएगा तो। किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होने वाली है। इस जिलों में जैसे विकास कार्य अब तक चले आ रहे हैं वैसे ही विकास कार्य भविष्य में भी लगातार कायम रहेंगे। भजनलाल सरकार का उपचुनावों से पहले इन जिलों को खत्म करने का फैसला किस और इंगित कर रहा है इससे आप अच्छी तरह जानते हैं। क्या बीजेपी को किसी प्रकार का भय है। दूसरी तरफ कांग्रेस सरकार का इन जिलों को बचाने के लिए आंदोलन चलाना भी चुनावों में राजनीति को हवा दे रहा है।

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Saya Chouhan

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