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पंचायत चुनाव में आया नया मोड़, सरपंचों ने उठाया बड़ा कदम!

Rajasthan Panchayat Election : जयपुर। राजस्थान में पंचायत चुनावों को लेकर सरकार और सरपंचों के बींच तकरार बढ़ने वाली है। राजस्थान में सरपंचों के चुनाव में नया मोड़ आ गया है, जहां एक तरफ सरपंच वन स्टेट वन इलेक्शन को लेकर सरपंचों को ही प्रशासक नियुक्त करने की मांग पर अड़े है। लेकिन अगर सरकार उनकी मांग नहीं मानती तो बवाल होना तय है। क्योंकि सरपंच पहले ही अल्टीमेटम दे चुके है, तो चलिए जानते है। आखिर अब इस मामलें में कौनसा नया मोड़ आ गया है?

राजस्थान में एक राज्य एक चुनाव को लेकर प्रशानक की नियुक्ति पर सरपंच और सरकार के बीच विवाद बढ़ता जा रहा है। लेकिन इसी बीच अब इस मामले में नया मोड आ गया है। अब राजस्थान में उत्तराखंड की तर्ज वर्तमान सरपंचों को ही प्रशासक नियुक्त करने की चर्चा तेज हो गई है। दरअसल उत्तराखंड सरकार के ऐतिहासिक फैसले ने पंचायत प्रणाली में नई बहस छेड़ दी है। हाल ही में उत्तराखंड में ग्राम प्रधानों, यानी सरपंचों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद वहां की सरकार ने उन्हें छह महीने के लिए प्रशासक नियुक्त किया है। यह पहली बार है जब किसी राज्य में सरपंचों को प्रशासक के रूप में जिम्मेदारी दी गई है। इस फैसले ने न केवल उत्तराखंड बल्कि राजस्थान में भी सरपंचों को प्रशासक बनाए जाने की मांग को हवा दी है।

बता दें कि राजस्थान में लगभग 40% यानि 7463 पंचायतों के सरपंचों का कार्यकाल जनवरी 2024 में समाप्त होने जा रहा है….ऐसे में सरपंच चाहते हैं कि उत्तराखंड की तर्ज पर उन्हें भी पंचायतों का प्रशासनिक दायित्व सौंपा जाए, ताकि विकास कार्य बाधित न हों।

ऐसे में अब राजस्थान में सरपंचों की इस मांग को लेकर सरकार भी गंभीरता से विचार कर रही है। इससे पहले, सरपंचों ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से मुलाकात कर अपनी मांगें रखी थीं। मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे पर कानूनी और प्रशासनिक पहलुओं का अध्ययन कराने का आश्वासन दिया था, जिसके बाद सरपंचों ने 21 नवंबर तक अपना आंदोलन स्थगित कर दिया….हालांकि, सरकार अभी तक कोई ठोस निर्णय नहीं ले पाई है। इस बीच, पंचायतीराज मंत्री मदन दिलावर ने साफ कर दिया है कि इस पर अंतिम निर्णय कैबिनेट द्वारा लिया जाएगा।

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राजस्थान के सरपंच इस मांग को मध्य प्रदेश और झारखंड के उदाहरण से भी जोड़ रहे हैं….इन राज्यों में, पंचायतों के कार्यकाल समाप्त होने के बाद सरपंचों को पंचायत कमेटियों का अध्यक्ष बनाया गया था। हालांकि, यह मामला बाद में कोर्ट तक पहुंच गया और कानूनी प्रक्रिया के कारण स्थगित हो गया। राजस्थान सरकार इन राज्यों के फैसलों और उनके कानूनी प्रभाव का भी अध्ययन कर रही है, ताकि इस मामले में उचित कदम उठाया जा सके।

ऐसे में अब राजस्थान में “वन स्टेट, वन इलेक्शन” मॉडल पर भी विचार किया जा रहा है। अगर यह मॉडल लागू होता है, तो निकाय और पंचायत चुनाव एक साथ कराए जाएंगे। इसका मतलब है कि पंचायत चुनाव 2026 तक टल सकते हैं। ऐसी स्थिति में, पंचायतों में खाली पदों को भरने के लिए सरपंचों को प्रशासक बनाना एक व्यावहारिक विकल्प हो सकता है।

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Mukesh Kumar

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