गुरुवार 15 जून को दिल्ली के मुखर्जी नगर के कोचिंग संस्थान में हुए हादसे जैसा खतरा प्रदेश के कई कोचिंग संस्थानों में है। नियमों के विरुद्ध और बिना अनुमति के मल्टीस्टोरी बिल्डिंग बनाकर उनमें कोचिंग चलाई जा रही है। इन कोचिंग संस्थानों में जहां प्रदेशभर से लाखों बच्चे अपना भविष्य बनाने आते हैं वहीं संचालक उनके सुनहरे भविष्य के साथ खिलवाड़ करते दिखाई देते हैं। अपने कोचिंग संस्थानों में ना तो फायर फाइटिंग सिस्टम की सुविधा है और ना ही इस तरह की विपदा आने पर उनसे निपटने की।
दिल्ली के कोचिंग संस्थान में भीषण आग, स्टूडेंट्स ने रस्सी के सहारे बचाई जान
जयपुर, सीकर और शैक्षणिक नगरी कोटा में बड़ी संख्या में कोचिंग सेंटर चल रहे है। इन सभी स्थानों पर यही हाल देखने को मिलता है। शहर में जगह-जगह कोचिंग सेंटर चल रहे हैं, इनमें से अधिकांश सेंटर तंग गलियों और बेसमेंट में स्थित है। ज्यादातर कोचिंग इंस्टीट्यूट आवासीय क्षेत्र में संचालित है। इनमें कमरे बहुत छोटे है और सीढियां भी बहुत संकरी होती है। फायर फाइटिंग सिस्टम नहीं होने से कभी भी हादसा हो सकता है। दुर्भाग्य से अगर कभी हादसा भी हो जाए तो इन स्थानों पर ना तो फायर ब्रिगेड पहुंच सकती है और ना बिल्डिंग में आग बुझाने के पर्याप्त साधन है।
प्रशासन की अनदेखी छात्रों के लिए खतरा
जब भी नई बिल्डिंग का निर्माण किया जाता है उससे पहले नगर निगम और नगर परिषद से एनओसी प्राप्त करनी होती है। इसमें मंजिल की संख्या, पार्किंग, आग बुझाने के उपकरण सहित सुरक्षा के तमाम उपकरणों के बारे में जानकारी दी जाती है। इसके बाद अधिकारियों का स्थल दौरा करके ही प्रमाण पत्र जारी किया जाता है। लेकिन संबंधित अधिकारी इसके प्रति गंभीर नहीं होते। प्रशासन की लापरवाही छात्रों के लिए भारी पड़ जाती है। कई ऐसी बहुमंजिला इमारतें है, जिनमें न तो पार्किंग की व्यवस्था है और न ही सुरक्षा उपकरण। बावजूद प्रशासन आंख बंद कर बैठा है और कभी जांच तक नही करता है।
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