Program Sampark Sahitya Sansthan:प्रेमचंद जयंती के अवसर पर संपर्क साहित्य संस्थान की ओर से कार्यक्रम का आयोजन किया गया। संस्थान के तत्वावधान में साहित्यकार प्रेमचंद की कहानियों की समीक्षा पर आधारित कार्यक्रम,’कथा-समीक्षाओं के आईने में प्रेमचंद’ आयोजित किया गया। इस अवसर पर डॉ नीलम कालरा की पुस्तक ‘शब्दों का आशिया’ का विमोचन भी हुआ । आयोजन के दौरान इटर्नल हॉस्पिटल के डॉ अखिल गुप्ता ने स्वास्थ्य संबधी परिचर्चा में अनेक भ्रांतियों को दूर की। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार प्रो, प्रबोध गोविल विशिष्ट अतिथि साहित्यकार फारूक आफरीदी एवं कार्यक्रम अध्यक्ष ज्ञान विहार स्कूल के प्रधानाचार्य ऋत्विज गौड़ संस्थान अध्यक्ष अनिल लढ़ा महासचिव रेनू शब्दमुखर ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। सरस्वती वंदना डॉ मंजुलता भट्ट ने की। संस्थान के अध्यक्ष अनिल लढ़ा ने सभी अतिथियों का स्वागत किया।
डॉ. प्रबोध गोविल ने बताया कि प्रेमचंद का जीवन बहुत संघर्षमय रहा और उन्होंने जो कुछ जीवन में देखा, अनुभव किया उसे अपने साहित्य के माध्यम से समाज के समक्ष रखा।ऋत्विज गौड़ ने प्रेमचंद के साहित्य की प्रशंसा करते हुए बताया कि बच्चों को इससे जोड़ा जाना चाहिए। फारूक आफरीदी ने भी कहा कि प्रेमचंद का साहित्य समाज को दिशा देने का कार्य करते हुए हमारे जीवन को परिष्कृत करता है। महासचिव रेनू शब्दमुखर ने संस्थान के साहित्यिक कार्यो की जानकारी दी। वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ आरती भदौरिया ने ‘बूढ़ी काकी’कहानी का उदाहरण देकर वृद्ध विमर्श के बारे में बताया। इस अवसर पर उपाध्यक्ष डॉ रेखा गुप्ता, उपाध्यक्ष डॉ कंचना सक्सेना ने भी विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन सीमा वालिया ने किया। समीक्षा में डॉ. अंजू सक्सेना, सुनीता त्रिपाठी, हिमाद्री समर्थ, डॉ. मंजू लता, पुष्पा माथुर, सुशीला शर्मा, सरोज चौहान व शिल्पी पचौरी, ज्ञानवती सक्सेना ने भाग लिया।
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