Raj Rajeshwar Mahadev Mandir Jaipur: राजस्थान की राजधानी जयपुर अपने आप में एक अजूबा है जहां बहुत सारे चमत्कार पर्यटकों का इंतजार कर रहे हैं। जयपुर के सिटी पैलेस में जंतर-मंतर के पास स्थित राज राजेश्वर मंदिर भी ऐसा ही एक अजूबा है। भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर पूरे वर्ष में केवल दो बार (महाशिवरात्रि और गोवर्धन पूजा पर) दर्शनों के लिए खुलता है। यह मंदिर सिटी पैलेस का ही एक भाग होने के कारण आम लोगों के लिए सुलभ नहीं है। परन्तु महाशिवरात्रि और गोवर्धन पूजा पर आम जनता भी इसमें भगवान के दर्शन कर सकती है।
राजराजेश्वर मंदिर का निर्माण जयपुर की स्थापना के लगभग 125 वर्ष बाद महाराजा सवाई राम सिंह द्वितीय ने 1865 ईस्वी (विक्रम संवत 1921) में करवाया था। जयपुर के अन्य शासकों के विपरीत वह भगवान शिव के भक्त थे। उन्होंने अपने महल में ही शिव मंदिर का निर्माण करवा कर वहां पूजा आरंभ कर दी थी। राजपरिवार के वंशज आज भी इसी मंदिर में महादेव की पूजा करते हैं।
यह भी पढ़ें: Mahashivratri Muhurat 2024: महाशिवरात्रि पर इन मुहूर्त में ऐसे करें शिव की पूजा, जीवन बदल जाएगा
जयपुर के राजपरिवार का निजी मंदिर होने के कारण यहां अन्य लोगों को आने की अनुमति नहीं है। वर्ष में केवल दो बार- महाशिवरात्रि एवं गोवर्धन पूजा के दिन इस मंदिर को आम भक्तों के लिए खोला जाता है। इस दिन कोई भी व्यक्ति मंदिर में दर्शन कर सकता है। हालांकि इन दोनों ही अवसरों पर दर्शन के लिए बहुत लंबी भीड़ लगती है। मंदिर में मौजूद एक गली में होते हुए मंदिर के गर्भगृह तक पहुंचा जा सकता है। मंदिर में प्रवेश के पहले जूते-चप्पल तथा चमड़े की बेल्ट, पर्स आदि को मंदिर के बाहर ही रखना होता है। ऐसा करने पर ही अंदर दर्शन मिल सकता है।
भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर जयपुर राजपरिवार द्वारा बनवाए गए अन्य मंदिरों जितना बड़ा और भव्य नहीं है परन्तु यहां पर शांति है। साथ ही आम मंदिर नहीं होने के कारण यहां पर भक्तों की भीड़ भी नहीं होती है। यह मंदिर सफेद मार्बल स्टोन से बना हुआ है। इसके दरवाजे पर चांदी चढ़ी हुई है जिस पर सुंदर नक्काशी बनी हुई है।
यह भी पढ़ें: Mahashivratri Marriage Tips: भोलेनाथ के 10 उपाय, जिन्हें आजमाने से मिलेगा मनचाहा प्यार
यहां भगवान शिव के साथ मां पार्वती भी विराजमान हैं। उनकी दो भुजाएं हैं तथा दोनों का ही स्वर्णाभूषणों से श्रृंगार किया गया है। इस मंदिर को तंत्र से भी जोडा गया है एवं मां भगवती अपने तंत्रोक्त राजेश्वरी स्वरूप में विराजमान हैं। इसीलिए इस मंदिर को राजराजेश्वर मंदिर भी कहा जाता है।
जयपुर राजवंश के समस्त राजा भगवान राम तथा कृष्ण के अनुयायी थी परन्तु मंदिर का निर्माण करवाने वाले राजा रामसिंह भगवान शिव के अनन्य भक्त थे। कहा जाता है कि वह प्रतिदिन सुबह उठ कर स्नान आदि से निवृत्त होकर कम से कम 3 घंटे इस मंदिर में भगवान शिव की पूजा करते थे। वह राजा होते हुए भी एक साधु के समान जीवन जीते थे और महादेव को ही अपना ईष्ट मानते हुए उनकी आराधना करते थे।
Healthy Liver Tips : जयपुर। लिवर शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है, जो हमारे शरीर…
National Herald Case : केंद्र सरकार द्वारा राज्यसभा सांसद सोनिया गांधी व नेता प्रतिपक्ष राहुल…
Hanuman Jayanti : राहोली पंचायत के महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय में हनुमान जयंती के अवसर…
Jaipur Bulldozer Action: जयपुर विकास प्राधिकरण की ओर से 9 अप्रैल को अतिक्रमण के खिलाफ…
Starting a business usually means spending money on a shop, hiring staff, buying stock, and…
PESA Act : जयपुर। जनजातियों की रक्षा करने वाला विश्व के सबसे बड़े संगठन अखिल…