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Rajasthan by-election : राजस्थान में उपचुनाव का माहौल है और इस बार कुल सात विधानसभा सीटों पर जनता अपने नए प्रतिनिधि चुनेगी। 7 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनावों में पारा चढ़ा हुआ है, क्योंकि कई सीटों पर दिग्गज नेताओं के करीबी रिश्तेदार उम्मीदवार बने हैं। जिससे कई कार्यकर्ताओं को मायूसी का सामना करना पड़ा है। आइए जानते हैं कि कौन-कौन से बड़े नेताओं के परिवारजन चुनाव मैदान में उतरे हैं।
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बता दें कि दौसा विधानसभा सीट से भाजपा ने किरोड़ी लाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा को मैदान में उतारा है। जगमोहन, राज्य के वरिष्ठ नेता और भजनलाल सरकार के कैबिनेट मंत्री रहे डॉ. किरोड़ी लाल मीणा के छोटे भाई हैं। बता दें कि डॉ. किरोड़ी लाल मीणा जो 6 बार विधायक और दो बार सांसद रह चुके हैं, उन्होंने अपने भाई को टिकट दिलवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सिर्फ यही नहीं, उनके परिवार के कई सदस्य राजनीति में सक्रिय हैं, जैसे उनकी पत्नी और उनके भतीजे। ऐसे में कार्यकर्ताओं में नाराजगी जाहिर हो रही है कि टिकट हमेशा परिवार तक ही सीमित हो गया है।
अब बात करते हैं उदयपुर जिले की सलूंबर सीट की, जहां भाजपा ने दिवंगत विधायक अमृतलाल मीणा की पत्नी शांता देवी मीणा को प्रत्याशी बनाया है। अमृतलाल मीणा इस सीट पर लगातार तीन बार विधायक रह चुके थे और उनके निधन के बाद ये सीट खाली हुई। ऐसे में शांता देवी को टिकट देकर भाजपा ने अपने मतदाताओं को साथ रखने की कोशिश की है, लेकिन कार्यकर्ताओं के बीच यह संदेश जा रहा है कि उन्हें एक बार फिर मौका नहीं दिया गया है।
अब बढ़ते हैं नागौर की खींवसर सीट की तरफ, जहां आरएलपी ने कनिका बेनीवाल को उम्मीदवार बनाया है। कनिका, नागौर के सांसद और आरएलपी प्रमुख हनुमान बेनीवाल की पत्नी हैं। हनुमान बेनीवाल खुद इस सीट से चार बार विधायक रहे हैं और वर्तमान में सांसद हैं। पिछले चुनाव में उनके भाई को टिकट मिला था और इस बार उनकी पत्नी को, ऐसे में यह सीट अब भी बेनीवाल परिवार के प्रभाव में ही है।
अलवर जिले की रामगढ़ सीट पर कांग्रेस ने दिवंगत विधायक जुबैर खान के बेटे आर्यन खान को उतारा है। जुबैर खान के निधन के कारण इस सीट पर उपचुनाव हो रहा है, और कांग्रेस ने इसे खान परिवार में ही बनाए रखने का फैसला किया है। यह सीट खान परिवार के लिए एक महत्वपूर्ण राजनीतिक आधार रही है, और आर्यन के लिए यह एक नई शुरुआत है।
जहां कांग्रेस ने पूर्व विधायक और मौजूदा सांसद बृजेंद्र ओला के बेटे अमित ओला को प्रत्याशी बनाया है। इस सीट पर ओला परिवार का दबदबा है। अमित के दादा शीशराम ओला आठ बार विधायक और पांच बार सांसद रहे हैं, और उनके पिता लगातार चार बार विधायक बने हैं। अब पार्टी ने ओला परिवार की तीसरी पीढ़ी को यह मौका दिया है।
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