जयपुर : राजस्थान की भजनलाल सरकार की तरफ से RGHS समेत कई बड़े फैसले लिए गए हैं। हाल ही में मुख्यमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्रिमंडल की अहम बैठक हुई थी जिसमें राज्य और जनहित में कई बड़े फैसले लिए गए। इस बैठक के बाद डिप्टी सीएम डॉ. प्रेमचंद बैरवा और संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने मीडिया को मंत्रिमंडलीय बैठक में लिए गए फैसलों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस बैठक में प्रदेश की जनता के हित में कई मुद्दों विचार विमर्श किया गया जिसके बाद सीएम भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में सर्वसम्मति से कुछ निर्णय लिए गए जो इस प्रकार हैं—
इस बैठक में राज्य कर्मियों के हित में उनकी ग्रेच्युटी एवं डेथ ग्रेच्युटी की अधिकतम सीमा 20 लाख रुपये से बढ़ाकर 25 लाख रूपये किए गए हैं। अब पुरुष एवं महिला कार्मिकों को CHHS की तर्ज पर अब RGHS में भी चिकित्सा सुविधा के लिए माता-पिता या अपने सास-ससुर में से किसी एक को सम्मिलित कर सकते हैं। हालांकि, बशर्ते माता-पिता या सास-ससुर आश्रित होने के साथ पुरुष अथवा महिला कार्मिक के साथ निवास करते हों। इस संबंध में बजट वर्ष 2024-25 की घोषणा की क्रियान्विति करते हुए राजस्थान सिविल सेवा (चिकित्सा परिचर्या) नियम, 2013 के नियम 3(9) में संशोधन किया जाएगा।
डिप्टी सीएम ने बताया की कार्मिक की सेवा में रहते हुए मृत्यु होने पर अब आश्रित को केंद्रीय कर्मियों की तरह ही 10 वर्षों तक बढ़ी हुई दर से पारिवारिक पेंशन का फायदा मिलेगा। इन प्रावधानों के लिए राजस्थान सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1996 के नियम 55 एवं 62 में संशोधन की अधिसूचना 1 अप्रैल, 2024 से प्रभावी होगी।
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राजस्थान जिला न्यायालय लिपिकवर्गीय स्थापन नियम 1986 के नियम 14 ए एवं 20 के उपनियम 4 और राजस्थान अधीनस्थ न्यायालय (चालक एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी) सेवा नियम, 2017 के नियम 18 के उपनियम 4 एवं नियम 30 में संशोधन का अनुमोदन किया गया है। इन संशोधनों से न्यायालयों के उन लिपिकवर्गीय कार्मिकों, चालकों एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को राहत मिलेगी जो दो से अधिक संतान होने के कारण पदोन्नति से वंचित हो गए थे। अब उनकी पदोन्नति के लिए उस तारीख से विचार किया जा सकेगा, जिससे उनकी पदोन्नति देय हो गई थी और उन्हें नोशनल वेतनवृद्धि दी जा सकेगी।
राज्य के रेल परिवहन तंत्र को मजबूत करने तथा मार्बल, ग्रेनाइट और माइनिंग जैसे उद्योगों को विकसित करने के लिए केंद्र सरकार के साथ मिलकर श्रीनाथद्वारा को मेवाड़ और मारवाड़ से जोड़ने वाली नई रेलवे लाइन के निर्माण में तेजी लाई जा रही है। राजसमंद जिले के राजसमंद, देवगढ़, नाथद्वारा एवं आमेट उपखण्डों की कुल 42.1576 हेक्टेयर भूमि राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम 1956 की धारा 102 के अंतर्गत नाथद्वारा-देवगढ़-मदारिया आमान परिवर्तन परियोजना के लिए रेलवे मंत्रालय को आवंटित करने की स्वीकृति मंत्रिमंडल बैठक में प्रदान की गई।
रिवैंप्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम के तहत कृषि फीडर्स के 11 केवी फीडर पृथक्करण (सेग्रेगेशन) की क्रियान्विति को मंजूरी प्रदान की गई। इस योजना में लगभग 7 हजार 896 करोड़ रुपए की लागत से 11 केवी फीडर सेग्रेगेशन के 7522 कार्य करवाए जाएंगे, जिसके लिए आरईसी लिमिटेड की ओर से स्वीकृति एक अप्रैल, 2024 को प्राप्त हो चुकी है। उन्होंने बताया कि जिन 33/11 केवी सबस्टेशन पर 11 केवी फीडर सेग्रेगेशन का कार्य किया जाएगा, वहां नए सोलर पावर प्लांट लगाने, मीटरिंग, बिलिंग और राजस्व संग्रहण के कार्य को भी फीडर सेग्रेगेशन में ही जोड़ा गया है। यह कार्य हाइब्रिड एन्युटी मॉडल पर किया जाएगा, जिससे नए स्थापित होने वाले सौर ऊर्जा संयंत्रों का स्थानीय स्तर पर उपयोग सुनिश्चित हो सकेगा और कृषि उपभोक्ताओं को दिन के समय बिजली दी जा सकेगी। उन्होंने बताया कि फीडर सेग्रेगेशन से भविष्य में ट्रांसमिशन प्रणाली के सुदृढ़ीकरण र होने वाले खर्च में कमी आएगी और तकनीकी वितरण छीजत में भी कमी होगी।
3000 मेगावाट की 4 सौर ऊर्जा परियोजनाओं के लिए राजस्थान भू-राजस्व (अक्षय ऊर्जा स्त्रोतों पर आधारित ऊर्जा उत्पादन इकाई की स्थापना हेतु भूमि आवंटन) नियम, 2007 के प्रावधानों एवं शर्तों के तहत भूमि आवंटन की स्वीकृतियां प्रदान की गई तथा बीकानेर की पूगल तहसील के ग्राम बरजू में 50.42 हेक्टेयर भूमि 765/400/220 केवी सब स्टेशन की स्थापना के लिए बीकानेर-3 नीमराना ट्रांसमिशन लिमिटेड को आवंटित करने के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया है। सौर ऊर्जा पर आधारित इन परियोजनाओं की स्थापना से राज्य में क्षेत्रीय रोजगार के अवसर बढ़ेंगे एवं राज्य के राजस्व में बढ़ोतरी होगी।
राजस्थान में एमएसएमई उद्यमों के विकास के लिए भी सरकार प्रतिबद्धता के साथ काम कर रही है। इसी क्रम में केंद्रीय एमएसएमई मंत्रालय को जयपुर में टेक्नोलॉजी सेंटर की स्थापना के लिए जेडीए की दहमी कलां संस्थानिक योजना में 12 एकड़ भूमि निःशुल्क आवंटित किए जाने की स्वीकृति प्रदान की गई है। इससे युवाओं को एमएसएमई सेक्टर से जुड़ी उन्नत तकनीक का प्रशिक्षण मिलेगा और उनमें कौशल एवं दक्षता का विकास होगा।
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