Ram Mandir Ayodhya and Rajasthan Muslims Help
जयपुर। अयोध्या में श्री रामजन्मभूमि प्राण प्रतिष्ठा समारोह (Ram Mandir) बहुत ही भव्य और दिव्य प्रकार से हुआ। इस कार्यक्रम में सभी धर्मों के लोगों का प्रतिनिधित्व था। यह समारोह अपने आप में भारत में रहने वाले सभी धर्मों के बीच भाईचारे की अतिसुंदर मिसाल के तौर हुआ। इस दौरान हिंदू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई समेत कई धर्मों लोग व धर्माचार्य उपस्थित रहे। अब इस बात के साक्ष्य सामने आ चुके हैं कि मुस्लिमों ने इन सभी कार्यक्रमों में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। इसका प्रमाण RSS से संबद्ध निकलने वाली पाक्षिक पत्रिका पाथेय कण में दिया गया है। यह पाथेय कण को श्रीराम जन्मभूमि संघर्ष से सिद्धि और ‘स्व’ का जागरण शीर्षक के साथ निकाला गया है। यह पत्रिका माघ कृष्ण 6 व माघ शुक्ल 7, विक्रम संवत 2080, युगाब्द 5125, 1 व 16 फरवरी 2024 (संयुक्तांक) है। आपको बता दें कि राजस्थान के मुस्लिमों ने भी राम मंदिर को लेकर शुरू से लेकर अंत तक भरपूर साथ दिया जिसके प्रमाण इस प्रकार हैं:—
श्रीरामजन्मभूमि प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्र के लिए जैसलमेर (राजस्थान) के मांगणियार गायक पद्मश्री अनवर खान को भी निमंत्रण दिया गया था। हबीब राममंदिर आंदोलन में भी शामिल थे तथा 1992 में 50 कारसेवकों के साथ अयोध्या गए थे।
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जयपुर के गुल मोहम्मद मंसूरी 1992 में अयोध्या कारसेवा में गए थे। राममंदिर आंदोलन से जुड़ने के कारण उनके खिलाफ फतवा जारी करके इस्लाम से निष्कासित कर दिया गया था। गुल मुहम्मद जनसंघ के नेता रहे तथा जनसंघ के जनता पार्टी में विलय हो जाने पर जयपुर के जौहरी बाजार सीट से विधायक भी रहे। अब 80 साल के हो चुके गुल मुहम्मद उन दिनों को याद कर भावुक हो जाते हैं।
अयोध्या राम मंदिर निर्माण के लिए मकराना के व्यवसायी मोहम्मद रमजान ने मार्बल की आपूर्ति की थी। रमजान ने ने कहा कि वो खुद को इस बात के लिए सौभाग्यशाली समझते हैं। उनकी ही कंपनी के मुख्य शिल्पकार कई वर्षों से राम मंदिर में नक्काशी के काम कर रहे हैं।
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राजस्थान के गंगापुर सिटी में मौलवी का अक्षत आमंत्रण पर हर्षित होना कुछ अलग ही संकेत दे रहे थे। इससे लगा कि यह हिंदू-मुस्लिम मुद्दा नहीं है। कहा जा सकता है कि राम मंदिर कट्टरता पर उदारता की जीत बनता जा रहा है।
जैसलमेर के मुस्लिम मिरासी समाज के कलाकारों ने गीत-संगीत के माध्यम से श्रीराम का स्वागत किया। लोक कलाकार जखब खान का कहना था कि प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर उनके समाज के लोगों ने गीत व भजन तैयार किए हैं।
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