Ravindra singh Bhati-1
Ravindra Singh Bhati and Rajkumar Roat : जयपुर। राजस्थान की 6 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं। उपचुनाव से पहले राजस्थान की राजनीति का सियासी पारा भी हाई है। सभी पार्टियों अपनी-अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। लेकिन उप चुनाव से पहले कई ऐसी तस्वीरे सामने आ रही है, जिसके अलग-अगल सियासी मायने निकाले जा रहे है। अब बाड़मेर से एक ही तस्वीर निकलकर सामने आ रही है। जहां विधानसभा और लोकसभा में सबसे चर्चित रविंद्र सिंह भाटी (Ravindra Singh Bhati) , उम्मेदाराम बेनीवाल (ummedaram beniwal) और राजकुमार रोत (rajkumar roat ) एक साथ दिखाई दिए है। ऐसे में अब कयास लगाए जा रहे है कि आने वाले उपचुनाव में कुछ बड़ा होने वाला है। तो चलिए पूरे मसले को विस्तार से समझते है पूरी गणित।
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राजस्थान की 6 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव से पहले प्रदेश की सबसे चर्चित व हॉट सीटों में शुमार बाड़मेर लोकसभा सीट से एक दूसरे खिलाफ चुनाव लड़े सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल और निर्दलीय प्रत्याशी रहे शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी एक बार फिर से चर्चा हैं। इस बार राजस्थान के ये दोनों नेता बाड़मेर में आयोजित हुए एक रोड़ शो और कार्यक्रम में मंच साझा साझा करने के चलते सुर्खियों में आए। बाड़मेर में आदिवासी अधिकार दिवस पर निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी, कांग्रेस सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल और BAP सांसद राजकुमार रोत एक साथ रोड शो किया। समर्थकों ने तीनों का जोरदार स्वागत किया। अब यह देखना बात होगी की रविंद्र सिंह भाटी, उम्मेदाराम बेनीवाल और राजकुमार रोत के एक मंच पर आने से उप चुनाव में भाजपा की कितनी मुश्किलें बढ़ती हैं।
तीनों नेताओं के साथ दिखने से सियासी अटकलें लगाई जा रही हैं। सबसे ज्यादा चर्चा रविंद्र सिंह भाटी और उम्मेदाराम बेनीवाल की हो रही है क्योंकि दोनों नेताओं ने एक दूसरे के सामने लोकसभा का चुनाव लड़ा था और दोनों एक दूसरे पर जमकर हमलावर रहे है। रविंद्र भाटी ने निर्दलीय चुनाव लड़ते हुए करीब साढ़े 5 लाख वोट पाकर कांग्रेस के उम्मेदाराम को कड़ी टक्कर दी थी। राजनीतिक जानकर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत का सबसे बड़ा कारण जातीय समीकरण को बताते हैं।
रविंद्र सिंह भाटी मूल ओबीसी राजपूत और अल्पसंख्यक के भरोसे निर्दलीय मैदान में उतरे थे। मूल ओबीसी राजपूत समाज को अपने पक्ष में करने में कामयाब रहे, लेकिन अल्पसंख्यक समुदाय को पक्ष में लाने के लिए अमीन खान के भरोसे थे। लेकिन अमीन खान विधानसभा चुनाव की तरह लोकसभा में अल्पसंख्यक समुदाय को भाटी के पक्ष में लाने कामयाब नहीं हो पाएं। चुनाव के आखिरी दिन तक अल्पसंख्यक वोटर्स ने अपने पत्ते नहीं खोले और अंत में 80 फीसदी वोटबैंक कांग्रेस के साथ चला गया। ऐसे में कांग्रेस जाट, अल्पसंख्यक और दलित समाज के समीकरणों पर अपने दम पर चुनाव जीतने में कामयाब रहीं।
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लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस नेता और पूर्व विधायक अमीन खान ने कांग्रेस के नेताओं पर भीतर घात कर विधानसभा चुनाव में हराने और कांग्रेस के पूर्व जिला अध्यक्ष फतेह खान की पार्टी में वापसी का विरोध किया था, लेकिन पार्टी ने उनको नजरंदाज कर दिया, जिसके चलते अमीन खान ने पार्टी से बगावत कर रविंद्र सिंह भाटी का समर्थन किया था। इसके बाद कांग्रेस ने उन्हें निष्कासित भी कर दिया था. चुनाव में हार के बाद अमीन खान और रविंद्र सिंह भाटी दोनों ही नए समीकरण साधने में लगे थे।
लेकिन अब उम्मेदाराम बेनिवाल, रविंद्र सिंह भाटी और राजकुमार रोत का साथ आना नई राजनीतिक खिचड़ी पकने की और इशारा कर रहा है। लेकिन रविंद्र सिंह भाटी इन दिनों बाड़मेर जैसलमेर की राजनीति के अब तक के नए राजनीतिक समीकरण बनाने के प्रयास करते हुए नजर आ रहे हैं। लेकिन, राजनीतिक जानकर इसे प्रेशर पॉलिटिक्स भी बता रहे हैं। आने वाला समय ही बताएगा ये प्रेशर पॉलिटिक्स है या पश्चिमी राजस्थान की राजनीति में युवाओं की भागीदारी के बाद नया बदलाव है।
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