जयपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS), गोपाल नगर विजयादशमी उत्सव (शस्त्र पूजन एवं पथ संचलन) कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का आयोजन आश्विन शुक्ल अष्टमी (८), वि.सं. २०८१. शुक्रवार, 11 अक्टूबर 2024, प्रात: 7.15 बजे त्रिवेणी नगर सामुदायिक केन्द्र, त्रिवेणी नगर, जयपुर में किया गया।
इस कार्यक्रम का आयोजन समाज के सामान्य जन में आत्मविश्वास जगाकर संगठित सामूहिक शक्ति द्वारा रावण जैसे अधर्म और आतंक के प्रतीक अति बलशाली राक्षस का अन्त कर धर्म ध्वजा फहराने वाले प्रभू श्रीराम की विजय के पावन दिवस विजयादशमी उत्सव’ के उपलक्ष में किया गया। गोपाल नगर की तरफ से आयोजित इस कार्यक्रम में समाज के सभी बन्धु-उपस्थित रहे।
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RSS के इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ. राजेन्द्र सिंह चौधरी पूर्व जिला न्यायाधीश रहे। वहीं मुख्य वक्ता के तौर पर सुरेश भैयाजी जोशी अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य व पूर्व सरकार्यवाह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ रहे। इस कार्यक्रम के दौरान पथ संचलन भी रखा गया।
RSS के इस कार्यक्रम में नगर संघ चालक सूर्यनारायण सैनी के सानिध्य में पथ संचलन प्रात: 9.30 बजे प्रारंभ होकर त्रिवेणी नगर सामुदायिक केन्द्र, तिलक पब्लिक स्कूल, 10-बी डिस्पेन्सरी, मोहन नगर, किण्डर केयर स्कूल, देवरी श्मशान, केशव विहार मुख्य मार्ग, रिद्धि-सिद्धि चौराहा, नारायण निवास चौराहा, त्रिवेणी नगर चौराहा, त्रिवेणी नगर, सामुदायिक केन्द्र स्थानों से निकला।
1. जन्म शताब्दी वर्ष शुरू हो रहा है।
2. 300 वर्ष पूर्व अहल्या देवी होल्कर का भी जन्म हुआ था।
3. अहिल्या देवी होल्कर का जीवन दर्शन कराया।
4. शिव भक्त थी और अपने कर्म शिव के निर्देशानुसार बताती थी।
5. शिक्षित नहीं होते हुए भी महान विद्वान थीं।
6. मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम ने आदर्श जीवन प्रस्तुत किया।
7. बाबा भीमराव अम्बेडकर ने संविधान जन्मभूमि लिखा तो प्रस्तावना में “हम भारत के लोग” कहा, विभिन्न हम राज्यों के लोग नहीं लिखा।
8. वन्दे मातरम् बाँकीम चंद्र चटर्जी ने लिखा।
9. कश्मीर से कन्याकुमारी तक हम सभी एक जन हैं।
10. विविधता हमारा अलंकार रहा है। खानपान, रहन-सहन आदि आदि अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन हम सभी एक हैं।
11. हमारी विभिन्नत हमें बांटने के लिए नहीं होनी चाहिए। विभिन्नता अलंकार है जो हमारी संस्कृति और परंपरा को सुन्दर बनाती है।
12. कोई बड़ा या छोटा नहीं है।
13. जन्म के आधार पर जातियां तय होई है।
14. सभी 12 ज्योतिर्लिंग, सभी शक्तिपीठ व सभी देवी-देवता किसी जाती विशेष के नहीं हैं। ये सभी हमारे एक होने के द्योतक हैं।
15. अनेकता में एकता ही हमारी सबसे बड़ी शक्ति है।
16. सबके मंगल की कामना करने वाले।
17. भारतीय संस्कृति में प्रकृति को देवता माना गया है और हम उसी को नुकसान पहुँचा रहे हैं। हमें इनका संरक्षण करना चाहिए। हमें प्रकृति के साथ तालमेल बनाकर चलने की आवश्यकता है। पंचतत्व इस प्रकृति में ही समाहित है, हमारे देहांत के बाद हम प्रकृति में ही समाहित हो जाएंगे अर्थात पंचतत्व में विलीन हो जायेंगे।
18. अल्प समाधान के लिए प्रकृति का समाधान अनुचित है व राक्षसी प्रवृति है। प्रकृति सदैव पूज्य रही है, क्योंकि प्रिक्रिति हमारा पालन-पोषण करती है।
19. जिन्होंने देश को स्वतंत्र करने में योगदान दिया वो हमें स्वतंत्र देश का नागरिक कहलाने का अवसर दे गए।
20. मनुष्य बुद्धिमान व सृजनशील है, पशुओं में यह सब नहीं होता।
21. दुनिया भारत को व्यापार करने के लिए बाज़ार समझते हैं।
22. अन्य देश साफरेसुथरेपन के लिए विज्ञापन नहीं करते, वहां लोग जागरूक व सजग हैं। विडम्बना है कि यहाँ के लोगों को साफ़-सुथरा जीवन जीने के लिए अभियान चलाने पड़ते हैं।
23. देश की प्रगति और उत्थान में सभी देशवासियों का योगदान आवश्यक है।
24. अर्थ कमाना आवश्यक है लेकिन किसी का शोषण करके कमाना गलत है। पराया धन हमारे लिए मिट्टी के सामान है।
25. अपने अंदर के रावण का दहन करना आवश्यक है।
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