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जिलों की घोषणा को लेकर विधायक अशोक लाहोटी ने धोया सरकार को

छात्र जीवन से अपने राजनीतिक भविष्य की शुरुआत करने वाले सांगानेर के युवा विधायक अशोक लाहोटी जो पूर्व में जयपुर शहर के मेयर भी रह चुके हैं उन्होनें विशेष चर्चा परिचर्चा की मॉर्निंग न्यूज़ इंडिया डॉट कॉम के संपादक डॉक्टर उरूक्रम शर्मा के साथ। 

क्या था विशेष?

राजस्थान में 19 नए जिलों पर चर्चा के साथ-साथ जयपुर को टुकड़ों टुकड़ों में बांटना क्या उचित है? लाहोटी ने क्या कहा?  जहां मांग हो वहां जिले बनाना समझ में आता है। किंतु बिना किसी मांग के जिलों का बनना क्या उचित है? राज्य अर्थव्यवस्था के सिद्धांत पर चलता है मांग और पूर्ति वक्र को बिगाड़ना अर्थव्यवस्था को धाराशाई  करना है। आखिर इतना धन ( अर्थ ) आएगा कहां से? 

विडियो देखें- विधायक अशोक लाहोटी 

मुख्य मुद्दा यह है कि राजनीति के लिए अर्थशास्त्र से खिलवाड़ करना कहां तक उचित है? भौगोलिक दृष्टि से भी देखा जाए तो  नए जिलों का निर्माण अव्यवहारिक तथा अप्रासंगिक नजर आता है। इतिहास गवाह है। जो इतिहास से सबक नहीं लेते उनका भूगोल बदल जाता है। कहीं ऐसा ही कांग्रेस के साथ आगामी विधानसभा चुनाव में ना हो।

 विकास के नाम पर जयपुर जिले को जिस प्रकार से टुकड़ों में बांटने का प्रयास किया गया है, वह आगे चलकर समस्या ही खड़ी करेगा। जयपुर को नए जिलों की सौगात देने वाले मुख्यमंत्री तथाउनके प्रशासनिक अधिकारियों पर भी यह प्रश्न चिन्ह खड़ा होगा कि अब जयपुर की राजधानी क्या होगी? जयपुर उत्तर या जयपुर दक्षिण ? इस प्रकार के मजाक संपूर्ण राजस्थान के साथ-साथ सोशल मीडिया पर जमकर उड़ रहे हैं।

क्या आगामी चुनाव में विपक्ष भी होगा?

लाहोटी ने कहा, कहीं ऐसा ना हो आगामी चुनाव में 20 सीटें भी कांग्रेस के खाते में ना आए। जिस प्रकार के अव्यवहारिक निर्णय कांग्रेस सरकार ले रही है। उससे साफ जाहिर होता है कि आगामी चुनाव में कांग्रेस राजस्थान में विपक्ष का दर्जा भी हासिल नहीं कर पाएगी । उनकी घोषणाएं धरातल पर कितनी और कैसे कारगर उतरेंगी ? यह देखने वाली बात होगी।

जहां राजस्व घाटे में निरंतर वृद्धि होती रही हो रही है। उन्होंने कहा राज्य पर 5लाख70हजार करोड़ का कर्जा है। प्रति व्यक्ति आय निरंतर घट रही है। यही नहीं प्रति व्यक्ति पर 17900रुपए का कर्ज है। कौन चुकाएगा इसे? आसमान में छाए बादलों की तरह खूब गरजे अशोक लाहोटी कांग्रेस सरकार पर। क्या हुआ चिरंजीवी योजना, जनता क्लीनिक और नंदी शालाओं का महात्मा गांधी स्कूल की तो स्थिति और भी दयनीय है।

स्कूलों में शिक्षकों की कमी के साथ-साथ बुनियादी सुविधाओं का अभाव साफ दिखाई देता है। 80% स्कूल जो कि 12वीं तक है। वह 5 से 6 कमरों में कैसे चलेगी? क्या कभी सोचा है सरकार ने? बिना रेवेन्यू ,इन्फ्राट्रक्चर और बुनियादी सुविधाओं के अभाव में इन स्थानों पर कहां से सुविधाएं उपलब्ध होंगी?

आरोप-प्रत्यारोप।

क्या बीजेपी कांग्रेस पर बेबुनियाद आरोप लगा रही है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कांग्रेस के कार्य धरातल पर दिखने भी चाहिए। ना तो सरकार में जवाबदेही है ना पारदर्शिता। जब सदन में प्रश्न पूछे जाते हैं तब उत्तर प्राप्त नहीं होते। हम भी अपनी कमियों का स्वागत कर रहे हैं। तभी विपक्ष में बैठे हैं। क्या उन्हें अपनी कमियों का स्वागत नहीं करना चाहिए?

क्या हाल हो रहा है द्रव्यवती नदी का? द्रव्यवती को दुर्गंध वाली नदी बनाकर अतिक्रमण की भेंट चढ़ा दिया गया है। क्या उन रास्तों से सरकारी अधिकारी ,कर्मचारी ,प्रशासनिक अधिकारी नहीं गुजरते? हम जयपुर का काम बंद करके सिर्फ कोटा का काम करें, क्या यह उचित होगा?

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