Categories: स्थानीय

श्री महावीर जी की ऐतिहासिक रथ यात्रा है नाज़िम की सवारी

श्री महावीरजी एक वक्त में जयपुर रियासत का ठिकाना हुआ करता था, जिसकी देखरेख हिंडौनसिटी के नाज़िम ( प्रशासक) द्वारा की जाती थी। भगवान महावीर रथ यात्रा कब शुरु हुई, ये तो ठीक- ठीक बता पाना मुश्किल है पर, अनुमानतः यह परम्परा 300-400 वर्ष पुरानी प्रतीत होती है। श्री महावीरजी का मेला प्रति वर्ष अप्रेल माह में आयोजित होता है। जिसमें लाखों लोग भाग लेते हैँ। मेले में रथ पर भगवान श्री महावीरजी की प्रतिमा विराजमान होती है एवं रथ के सारथी के रूप में नाज़िम ( उप जिला कलक्टर एवं उप जिला मजिस्ट्रेट हिंडौनसिटी ) रथ में सवार होते है।

रथ यात्रा से एक दिन पूर्व नाजिम की सवारी निकलती है। जिसका मुख्य उद्देश्य मेले की व्यवस्थाओं का जायजा लेना होता है। श्रीमहावीरजी मंदिर प्रबंधन समिति के मैनेजर गाजे बाजे के साथ मेला मजिस्ट्रेट ( नाज़िम) कैम्प में नाज़िम को नाज़िम की सवारी हेतु आमंत्रण देने जाते है। मैनेजर द्वारा नाज़िम को फूल माला पहनाकर एवं पुष्प गुच्छ भेंट कर आमंत्रण दिया जाता है। नाज़िम खुली जीप मे बैठ कर मेले के आस पास के क्षेत्र का  भ्रमण करते है। ग्रामवासी फूल मालाओं के साथ सवारी की स्वागत सम्मान करते है। 

8 अप्रैल 2023 Morning News की ताज़ा खबरे

नाज़िम की सवारी के अगले दिन भगवान महावीर की रथ यात्रा मुख्य मंदिर से उत्साहपूर्वक निकाली जाती है। रथ में भगवान महावीर की प्रतिमा विराजमान होती है एवं रथ के सारथी की भूमिका का निर्वहन नाज़िम रियासत कालीन पोशाक पहनकर करते हैं।  रथ यात्रा में आसपास के सभी वर्ग के लोग उत्साह पूर्वक सम्मिलित होते है। रथ यात्रा की शुरुआत जाटव  समाज के व्यक्ति द्वारा रथ को  हाथ लगाकर की जाती है। मीणा समाज के लोग मुख्य मंदिर से रथ को नदी किनारे तक गीत गाते हुए आगे ले जाते है व गुर्जर समाज के लोग रथ को नदी से वापस मंदिर तक लेकर आते है।

मेले की सबसे अनूठी बात जो उसे अद्वितीय बनाती है, वह यह कि उप जिला कलेक्टर रथ पर बैठते है, वहीं जिला कलक्टर और जिला पुलिस अधीक्षक व्यवस्था संभालते हैँ। इस बार भगवान महावीर के रथ के सारथी नाजिम हिंडौनसिटी के उप जिला कलक्टर सुरेश कुमार हरसोलिया को सारथी बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। सम्भवतः इस तरह का देश मे इस प्रकार की परम्परा का और कोई उदाहरण नहीं है।

जयपुर से लगभग 176 किलोमीटर दूर स्थित चांदन गाँव (श्री महावीर जी) में मेले की संरचना की जाती है। मेला जैन समुदाय द्वारा विशेष रूप से दिगंबर संप्रदाय द्वारा बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। दूर-दूर से जैन संत के प्रति श्रद्धा प्रकट करने आते है। माना जाता है कि यहां के मंदिर में विराजमान भगवान महावीर की प्रतिमा पास में स्थित एक टीले की खुदाई में एक ग्वाले को प्राप्त हुई थी। इसलिए यहां हर साल श्रीमहावीर जयंती पर बड़ा मेला लगता है और खुशियां मनाई जाती हैं। मेले में जैन समुदाय के श्रद्धालुओं के अलावा गुर्जर और मीणा संप्रदाय के लोग भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं।

महावीर मेले की खासियत

स्थानिय प्रशासन की देखरेख में आयोजित किए जाने वाले इस मेले का मुख्य आकर्षण रथयात्रा होती है जिसमें  देशभर से श्रद्धालु हिस्सा लेने आते हैं। बैसाख कृष्ण द्वितीया वाले दिन भगवान की प्रतिमा को सोने के रथ पर बिठाकर गंभीर नदी के तट पर ले जाया जाता है। वहां पुजारी कलशों को भगवान का अभिषेक करते हैं। इस समारोह के बाद भगवान की प्रतिमा को गाजे-बाजे के साथ मंदिर वापस लाया जाता है और मंदिर में विराजमान कर दिया जाता है। भक्त मंदिरों में ध्यान लगाने और संतों की सेवा करने के लिए उनका आशीर्वाद लेने के लिए आते हैं श्रीमहावीरजी के चित्र की सफाई प्रक्षालन की रस्म सुबह-सुबह की जाती है।

इसके बाद पूजा होती है, 'अष्ट अर्घ' नामक एक अनुष्ठान जिसमें आठ प्रकार के दान किए जाते हैं। चावल, पीले और सफेद फूल, कपूर, चंदन, केसर, स्फटिक शक्कर और सूखे मेवे धार्मिक रूप से चढ़ाए जाते हैं। शाम के समय पूरे मंदिर में कई दीपक सजते हैं और यह आरती का समय होता है। "रथ यात्रा" महावीरजी मेले की विशिष्ट विशेषता है। यह मेला बैसाख कृष्ण द्वितीया को होता है, जिस दिन यह आयोजन होता है। जुलूस की शोभा सभी को प्रभावित करती है। जुलूस महावीरजी की छवि को स्वर्ण रथ में गम्भीरी नदी के किनारे तक ले जाता है। महावीर स्वामी की स्तुति में भक्त भजन गाते हैं और श्री महावीर स्वामी की जय बोलते हैं।

समारोह के बाद, मंदिर में जुलूस लौटता है और मंदिर के वेदी पर प्रतिमा को पुनर्स्थापित किया जाता है। शाम को 'आरती' की जाती है। शुद्ध घी के दीपक जलाए जाते हैं। गांव के व्यापारियों के लिए यह उच्च समय है क्योंकि वे मेले में काफी लाभ कमाते हैं। वे दुकानों के अस्थायी सेटअप में खाद्यान्न, कपड़ा, खिलौने और अन्य माल बेचते हैं। जैन छात्रों के चरण महावीर स्वामी के जीवन और उनके दर्शन पर आधारित हैं। समारोह में राष्ट्रीय कवि सम्मेलन,दिव्यांगजनों को ट्राई साइकिल, सर्कस और मनोरंजन के कई अन्य साधन शामिल थे। इस दौरान संभागीय आयुक्त भरतपुर सांवरमल वर्मा,जिला कलक्टर अंकित कुमार सिंह,पुलिस अधीक्षक नारायण टोंगस,अतिरिक्त जिला कलक्टर मुरलीधर प्रतिहार सहित पुलिस-प्रशासन के अधिकारी मौजूद रहे।

खुशियां मनाने का समय
श्रीमहावीरजी का मेला चैत्र शुक्ल एकादशी और बैसाख कृष्ण द्वितीया या अंग्रेजी कैलेंडर के मार्च-अप्रैल के बीच पड़ता है।

कैसे पहुंचा जाये श्री महावीर जी

श्रीमहावीर जी का मेला चंदगाँव में आयोजित किया जाता है, जो ‘श्री महावीरजी 'रेलवे स्टेशन से 6.5 किलोमीटर दूर है। पश्चिम-मध्य रेलवे की ब्रॉड गेज लाइन के माध्यम से दिल्ली और मुंबई से जोड़ता है। यह हिंडौनसिटी से 18 किलोमीटर, करौली से 29 किलोमीटर और जयपुर से 176 किलोमीटर दूर है। जयपुर, हिंडौनसिटी और श्री महावीरजी के बीच नियमित बसें संचालित होती हैं। यात्रियों के लिए मंदिर तक जाने के लिए बसें और जीप परिवहन का साधन हैं।
 

रिपोर्टर प्रकाश चंद शर्मा

Morning News India

Recent Posts

Hindi Diwas : हिंदी हमारी धरोहर, हमारा स्वाभिमान…

Hindi Diwas : जयपुर। हिंदी दिवस (Hindi Diwas) के अवसर पर जेईसीआरसी यूनिवर्सिटी के स्कूल…

3 days ago

Rawat Public School प्रताप नगर के विद्यार्थी सी बी एस ई वेस्ट जोन योगासन में चैंपियन

रावत पब्लिक स्कूल प्रताप नगर के विद्यार्थियों ने नंदूबा इंग्लिश एकेडमी स्कूल,सूरत में आयोजित सी…

1 month ago

झोटवाड़ा में रक्तदान शिविर का आयोजन, 50 से अधिक यूनिट रक्त एकत्र

blood donation camp : जयपुर। झोटवाड़ा स्थित 'डॉ. पांडे ईएनटी सेंटर' ने 'स्वरूप फाउंडेशन डीके…

2 months ago

जयपुर का युवा बना रहा है भारत के सबसे वैज्ञानिक बेबी टॉय ब्रांड – LiLLBUD

IIT दिल्ली के पूर्व छात्रों अभिषेक शर्मा और अयुष बंसल द्वारा स्थापित, LiLLBUD 0–18 महीने…

3 months ago

लिवर की बीमारियों के बढ़ते मामलों को कम करने के लिए पहले से सचेत रहना जरूरी

Healthy Liver Tips : जयपुर। लिवर शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है, जो हमारे शरीर…

5 months ago

सोनिया गांधी व राहुल गांधी के खिलाफ ईडी चार्ज शीट पेश, विरोध में उतरी कांग्रेस का धरना प्रदर्शन

National Herald Case : केंद्र सरकार द्वारा राज्यसभा सांसद सोनिया गांधी व नेता प्रतिपक्ष राहुल…

5 months ago