कोटा। मानसून की बारिश में इस साल कई डैम खाली ही रह गए। हाड़ौती संभाग में इस साल काफी कम मात्रा में बारिश देखने को मिली है। बारिश नहीं होने के कारण डैम की प्यास नहीं बुझ पाई। बिते साल के मुकाबले इस वर्ष काफी कम मात्रा में बारिश देखने को मिली। पिछले साल मानसून की बारिश में 61 डैम झलक गए थे। इस साल के हाल बेहाल है। इस साल मात्र 5 डैम ही झलक पाए। कई डैम ऐसे भी रहे जिनमें मानसून की बारिश से पहले ही पानी आ गया। और यह डैम झलक भी गए थे। बारिश नहीं होने के कारण यह डैम भी अब सामान्य हो गए है।
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बारिश का असर डैम की भराव क्षमता पर पड़ा
जल संसाधन के अधीक्षण अभियंता एजाजुद्दीन अंसारी ने कहा बारिश का असर डैम की भराव क्षमता पर पड़ा है। यही कारण है की ज्यादातर डैम खाली पड़े है। डैम का पानी खरीफ की फसल के दौरान काम में लिया जाता है। डैम का पानी नहरों के संचालन के लिए भी काम में लिया जाता है। इसके साथ ही इससे खेतों के कुएं भी रिचार्ज होते है। सर्दी में किसानों के लिए फसलों में पानी देना आसान हो जाता है।
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डैम में 50 फीसदी से कम पानी
जल संसाधन विभाग के अधीक्षण अभियंता अंसारी ने जानकारी देते हुए बताया की मानसून के सीजन मे हाड़ौती संभाग के चारों जिलों कोटा, बारां, बूंदी तथा झालावाड़ में औसत बारिश1 जून से सितंबर तक 762.38 मिलीमीटर तक दर्ज की जाती है। इस बार अगस्त माह में 400.85 एमएम तक ही बारिश दर्ज की गई है। औसत बारिश से बेहद कम है। वर्तमान में मानसूनस की बेरूखी के कारण 5 डैम ही फुल हो पाए है। जिसमें एक छोटा डैम भी शामिल है। 15 डैम ऐसे है जिसमें 50 फीसदी से कम पानी मौजूद है। वहीं 13 डैम ऐसे भी है जिसमें 50 फीसदी से ज्यादा पानी मौजूद है। 18 डैम की स्थती सामान्य है।
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