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कोर्ट ने दिया गहलोत सरकार को झटका,50 हजार महात्मा गांधी सेवा प्रेरक नियुक्ति पर लगाई रोक

High Court ban Mahatma Gandhi Seva Preraks: गहलोत सरकार की ओर से दिखाए जा रहे ​राजस्थान के युवाओं के सपनें एक बार फिर से धाराशाही हो गए हैं। सरकार की निकाली गई एक बड़ी वैकेंसी Mahatma Gandhi Seva Preraks पर राजस्थान हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। प्रदेश में High Court ban Mahatma Gandhi Seva Preraks दिया गया है। इस भर्ती के लिए कोर्ट में याचिका दी गई थी ​कि यह चुनावी वैकेंसी है। कोर्ट की ओर से शांति एवं अहिंसा विभाग से जवाब भी मांगा गया है। गहलोत सरकार की ओर से 13 अगस्त को पंचायत और शहरी निकायों में 50 हजार महात्मा गांधी सेवा प्रेरकों की भर्ती करने के लिए विज्ञापन दिया गया था। 

 

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यह आदेश राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश अरुण भंसाली की एकल पीठ में ​सुनाया गया है। जिसमें लछीराम मीणा एवं अन्य याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता पीआर मेहता ने कहा था  कि शांति एवं अहिंसा विभाग ने महात्मा गांधी सेवा प्रेरकों की भर्ती विज्ञापित की गई थी। इस पद के लिए सेवा प्रेरकों को एक वर्ष के लिए अस्थायी नियुक्ति दी जानी थी। इन सेवा प्रेरकों को मानदेय के रूप में पैंतालीस सौ रूपए भी दिए जाने थे। भर्ती के लिए निकाली गई सरकारी विज्ञप्ति में अभ्यर्थियों को प्राथमिकता दी जानी थी, जो राज्य सरकार की ओर से आयोजित महात्मा गांधी दर्शन प्रशिक्षण शिविर में भाग ले चुके हैं। इस एक दिन के शिविर में व्याख्यान का आयोजन हआ था। जिसपर कई सवाल उठाये जा रहे थे। 

 

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न वरीयता तय न ही कार्य का पता 
भर्ती विज्ञप्ति को न तो संवैधानिक सिद्धांत अनुकूल और न ही विधान के तहत जारी किया कहा जा रहा था। इस भर्ती में कहीं भी यह नहीं ​बताया गया था कि प्रेरकों का क्या कार्य होगा यही नहीं चयन के लिए योग्यता भी सही तरह से नहीं ​बताई गई थी। वरीयता कैसे तय होगी यह भी सही तरह से नहीं बताया गया था। 

 

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याचिका में कहा गया नहीं हैं नियुक्ति नियम
याचिका में यह भी सामने आया कि समान प्रकृति के कार्य होने पर भी राज्य सरकार की ओर से यह नियुक्तियां निकाली जा रही हैं। जिसमें न तो नियुक्ति नियम हैं और यही नहीं अस्थायी नियुक्तियों के लिए विभिन्न सेवा नियम भी बनाये जा रहे हैं। तत्काल और अस्थायी आधार पर नियुक्तियां की जा सकती हैं। ​

 

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चुनावी है वैकेंसी 
याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि राज्य सरकार ने विधानसभा चुनावों के कारण बड़ी संख्या में एक साल में कई अस्थायी नियुक्तियां निकाली हैं। जिसमें नियुक्ति संबंधी नियम पूरे नहीं किए जा रहे। यही नहीं प्रेरक का अनुभव होने के बाद भी इस भर्ती में उनकी अनदेखी की जा रही थी। 

कोर्ट ने कहा नहीं होगी नियुक्ति 
एकल पीठ के अनुसार सरकार प्रक्रिया जारी रख सकती है। लेकिन इस पद के लिए किसी व्यक्ति को नियुक्त नही कर सकती। 

Ambika Sharma

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