Categories: स्थानीय

उदयपुर की आदिवासी महिलाओं का कमाल, जिस से दूर भागते थे, उस से बना दिया राखी का संसार

  • इको-फ्रेंडली है राखियां
  • महिलाओं की आजीविका का बना साधन
  • गोबर से राखी बनाने का आसान तरीका
  • राखी की कीमत मात्र 8 रुपये

 

रक्षाबंधन का त्योहार नजदीक है। ऐसे में बाजार सुंदर राखियों से सज गया है। एक से बढ़कर एक राखी मार्केट में उपलब्ध है। राखियों की वैरायटी और उनकी स्टाइल देखकर कोई भी उन्हें खरीदने के लिए मजबूर हो सकता है। राखी बनाने वाले कारीगर हर साल इनमें इनोवेशन करके नए तरीके से राखी बनाते हैं। वहीं इस बार मार्केट में गोबर की राखी भी मिल रही है। आदिवासी महिलाएं रंग-बिरंगी डिजाइन वाली गोबर की राखियां तैयार कर रही हैं। जानतें है गोबर की राखी को बनाने का तरीका और इसकी कीमत के बारे में- 

 

यह भी पढ़ें : किसानों का वोट बैंक पाने के लिए शाह ने चली बड़ी चाल, मास्टर प्लान बनाने में लगी बीजेपी

 

इको-फ्रेंडली है राखियां

गोबर से बनने वाली ये राखियां इको फ्रेंडली होती है। मौजूदा समय में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए उदयपुर की आदिवासी महिलाओं ने गोबर से राखी बनाना शुरू किया है। गोबर पर्यावरण को किसी तरह का कोई नुकसान नहीं पहुंचाता जबकि प्लास्टिक या अन्य पदार्थों से बनी राखियों से पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है। 

 

यह भी पढ़ें : अपनी बात मनवाने में माहिर हैं हनुमान बेनीवाल, मुश्किल वक्त में ये डिग्री बनती है सबसे बड़ी ताकत

 

महिलाओं की आजीविका का बना साधन

उदयपुर जिले के जनजाति क्षेत्र गोगुंदा में हैंड इन हैंड इंडिया नामक संस्था चल रही है। यह संस्था महिलाओं को आजीविका के साधन उपलब्ध करा रही है। हैंड इन हैंड इंडिया संस्थान के मुख्य प्रबंधक राजीव पुरोहित ने बताया कि आदिवासी महिलाओं को गोबर के कई तरह के उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, क्योंकि गांवों में गोबर आसानी से उपलब्ध हो जाता है। साथ ही गोबर को पवित्र और शुद्ध  भी माना जाता है। राखी के त्योहार को देखते हुए ये महिलाएं अभी गोबर से राखियां बनाने रही हैं।

 

गोबर से राखी बनाने का आसान तरीका

संस्थान के शाखा प्रबंधक प्रकाश मेघवाल के मुताबिक इन राखियों को बनाने की विशेष प्रक्रिया होती है। सबसे पहले गोबर को अच्छे से सुखा लिया जाता है। उसके बाद उसे आटे की तरह बारीक पीस लिया जाता है। सूखे गोबर के पाउडर में पानी मिलकर रोटी के आटे की तरह गूथ लिया जाता है। उसके बाद राखियों के अलग-अलग स्टाइल के जो सांचे होते हैं, उनमें इस पेस्ट को डाल दिया जाता है। उसके बाद पहले छाया में और 1 दिन धूप में सुखाकर फिर रंगों से सजाया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया में करीब 5-7 दिन का समय लगता है। 

 

यह भी पढ़ें : विजय बैंसला ने ठोकी ताल! बीजेपी से लिया 156 सीटों का टारगेट, यहां से लड़ेंगे चुनाव

 

राखी की कीमत मात्र 8 रुपये

गोबर से बनी इन सुंदर राखियों की कीमत की बात करें तो एक राखी की कीमत मात्र 8 रुपये हैं। राखियों की तरह ही गिफ्ट आइटम, गणेश मूर्ति, राधा कृष्ण मूर्ति, स्वास्तिक गणेश मूर्ति, दीपक, डिजाइनर दीपक,मोमेंटो, फोटो फ्रेम, नेमप्लेट बनाए जा रहे हैं। इतना ही नहीं इससे राजनीतिक पार्टियों के चिन्ह भी बनाए जा रहे हैं। 

Morning News India

Recent Posts

Hindi Diwas : हिंदी हमारी धरोहर, हमारा स्वाभिमान…

Hindi Diwas : जयपुर। हिंदी दिवस (Hindi Diwas) के अवसर पर जेईसीआरसी यूनिवर्सिटी के स्कूल…

4 days ago

Rawat Public School प्रताप नगर के विद्यार्थी सी बी एस ई वेस्ट जोन योगासन में चैंपियन

रावत पब्लिक स्कूल प्रताप नगर के विद्यार्थियों ने नंदूबा इंग्लिश एकेडमी स्कूल,सूरत में आयोजित सी…

1 month ago

झोटवाड़ा में रक्तदान शिविर का आयोजन, 50 से अधिक यूनिट रक्त एकत्र

blood donation camp : जयपुर। झोटवाड़ा स्थित 'डॉ. पांडे ईएनटी सेंटर' ने 'स्वरूप फाउंडेशन डीके…

2 months ago

जयपुर का युवा बना रहा है भारत के सबसे वैज्ञानिक बेबी टॉय ब्रांड – LiLLBUD

IIT दिल्ली के पूर्व छात्रों अभिषेक शर्मा और अयुष बंसल द्वारा स्थापित, LiLLBUD 0–18 महीने…

3 months ago

लिवर की बीमारियों के बढ़ते मामलों को कम करने के लिए पहले से सचेत रहना जरूरी

Healthy Liver Tips : जयपुर। लिवर शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है, जो हमारे शरीर…

5 months ago

सोनिया गांधी व राहुल गांधी के खिलाफ ईडी चार्ज शीट पेश, विरोध में उतरी कांग्रेस का धरना प्रदर्शन

National Herald Case : केंद्र सरकार द्वारा राज्यसभा सांसद सोनिया गांधी व नेता प्रतिपक्ष राहुल…

5 months ago