Categories: ओपिनियन

मोदी ने लाल डायरी को लूट की दुकान बताकर मुद्दे को हवा दी

डॉ. उरुक्रम शर्मा

-भाजपा बनाएगी विधानसभा चुनाव का मुद्दा
-कांग्रेस लगी है डेमेज कंट्रोल में
-गुढ़ा ने फिलहाल साधी चुप्पी

 

आखिर राजस्थान में लाल डायरी में क्या है? लाल डायरी को लेकर आखिर इतना बवाल क्यों मचा हुआ है? विधानसभा से संसद तक इसकी गूंज के मायने क्या हैं? प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सीकर की सभा में क्यों लाल डायरी का जिक्र किया? क्यों लाल डायरी को लूट की दुकान का हिसाब किताब बताया? क्यों चुनाव में यह प्रमुख मुद्दा होने की बात कही? मसलन बर्खास्त राज्य मंत्री राजेन्द्र गुढ़ा की कौनसी मजबूरी थी, जो अचानक कांग्रेस सरकार के मामले बाहर लाने लगे? क्यों उसमें मंत्रियों और सरकार के कच्चे चिट्ठे होना का दावा कर रहे हैं? क्या वास्तव में कोई लाल डायरी है, या फिर सरकार को डराने के लिए हल्ला मचाया जा रहा है? 

 

यह सब वो सवाल हैं, जिसने राजस्थान की राजनीति में पारा गर्म कर रखा है। कांग्रेस इस मामले को लेकर सकते हैं, अचानक इस तरह का मामला आने से गहलोत सरकार की जनहितकारी योजनाएं गौण न हो जाए और लाल डायरी चुनावी मुद्दा बन जाए। भाजपा ने इस मुद्दे को हाथों हाथ उठा लिया और मोदी के भरी सभा में लाल डायरी को लेकर लूट की दुकान बताने से साफ हो गया कि भाजपा के हाथ कांग्रेस के खिलाफ एक बड़ा मुद्दा लग गया, जो कांग्रेस सरकार को भ्रष्टाचार के मामले में पूरी तरह घेरने का काम करेगा। भले ही लाल डायरी में कुछ ना हो, लेकिन अब जनता में इसे लेकर उत्सुकता है। वह जानना चाहती है कि आखिर है क्या इसमें? इसमें किन लेनदेन और हिसाब किताब की बात की जा रही है? जनता की जब उत्सुकता बढ़ जाती है तो वो कितना भी सत्ता पक्ष सफाई देता रहे, उसे झूठ ही मानती है।

 

गहलोत सरकार ने जनहितकारी योजनाओं के जरिए जनता में अपनी छवि में जबरदस्त उछाल मारा था, लेकिन एक झटके में लाल डायरी में दफन होता नजर आ रहा है। वैसे लाल डायरी के मामले में गुढ़ा के खिलाफ फैसले लेने में कांग्रेस और सरकार दोनों ही बहुत जल्दबाजी की, इससे शक और गहरा गया। सरकार और कांग्रेस को तसल्ली के साथ इस पर विचार करके फैसला करना चाहिए था, ताकि किसी तरह संकट से नहीं घिरते और भाजपा के हाथ भी कोई मुद्दा नहीं लगता। आनन फानन में गुढ़ा को बर्खास्त किया, इसके बाद उन्हें पार्टी से निकालने का ऐलान कर दिया। इससे गुढ़ा को बल मिल गया और जनता को उनका साथ मिल गया। गुढ़ा अपनी बात जनता में कहने के लिए ऊंटगाड़ी यात्रा पर निकल गए और जगह जगह लोगों को लाल डायरी के किस्से बता रहे हैं।

 

सरकार और कांग्रेस के फैसलों ने गुढ़ा को और आक्रामक कर दिया। उन्होंने सरकार में बैठे 60 फीसदी  मंत्रियों को दुष्कर्मी बताते हुए नार्को टेस्ट तक की मांग कर डाली। इससे जनता को भरोसा हो गया कि कुछ तो बात है, वरना कोई मंत्री इस तरह खुलकर गंभीर आरोप नहीं लगाता? अजमेर-92 के विलेन सरकार में बैठे होने का आरोप भी उन्होंने लगा कर सनसनी फैला दी। हालांकि सरकार के कैबिनेट मंत्री महेश जोशी ने गुढ़ा के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा कि वे नार्को टेस्ट करवाने को तैयार हैं, लेकिन अन्य किसी मंत्री ने चुप्पी नहीं तोड़ी। 

 

मोदी के सीकर में सभी करने से ठीक एक दिन पहले कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा ने  स्पष्ट किया कि गुढ़ा को अभी पार्टी से निकाला नहीं गया, यह डेमेज कंट्रोल की दिशा में एक कदम माना जा रहा है। एआईसीसी के सूत्रों के अनुसार गुढ़ा प्रकरण में सरकार व संगठन ने जल्दबाजी करके अपने लिए मुसीबत मोल ले ली है। इस मामले को आसानी से बैठकर सुलझाया जा सकता है, जबकि ऐसा नहीं किया गया। बिना बात भाजपा के पाले में गेंद फेंककर वाकआवर दे दिया। गुढ़ा व पांच अन्य विधायक बसपा से जीते थे, लेकिन सरकार बनाने में इन्होंने प्रभावी साथ दिया। पूरी तरह से कांग्रेस में शामिल होकर सरकार को बचाए रखा, ऐसे में कांग्रेस के लिए अब आगे किसी के साथ लेते समय काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। क्योंकि अब कांग्रेस के कहे पर भरोसा नहीं किया जाएगा। वैसे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने लाभार्थी संवाद कार्यक्रम में गुढ़़ा के साथ कांग्रेस सरकार को सहयोग करने वाले पांच विधायकों को अपने साथ बिठाकर यह संदेश देने का प्रयास किया कि गुढ़ा अकेले हैं, बाकी सबका साथ और समर्थन उन्ंहें मिला हुआ है।

 

जनता को अंदेशा है कि आरसीए चुनाव, राज्यसभा चुनाव, पेपरलीक समेत अन्य मामलों के उसमें राज छिपे हो सकते हैं। पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ मानते हैं कि गुढ़ा उनके घर आए थे, छापे के समय, लेकिन लाल डायरी जैसा कुछ नहीं है, सब बकवास हैं। वैसे जनता यह भी जानना चाहती है कि धर्मेन्द्र राठौड़ व गुढ़ा दोनों अच्छे दोस्त थे, अचानक ऐसा क्या हुआ कि दोनों की बिगड़ गई और अंदर की बातें बाहर आने लगी, यानि कुछ तो गड़बड़ है दया?
कांग्रेस के सामने अब यह यक्ष सवाल है कि वो मामले को कैसे कंट्रोल करेगी। वैसे गुढ़ा पिछले 48 घंटे से चुप हैं और किसी तरह की ना तो आग उगल रहे ना ही किसी पर सीधे आरोप लगा रहे। सरकार ने वैसे उनसे जुड़े आपराधिक मामलों की फाइलों को खंगालना शुरू करके क्या डरा दिया है, या मिलकर बैठकर मसले को सुलटाने का भरोसा दिलाया गया है। क्या गुढ़़ा डर गए? या सरकार को डेमेट कंट्रोल करने की दिशा में सफलता मिलनी शुरू हो गई? क्या भाजपा इस मुद्दे को जन जन तक पहुंचाने में सफल हो पाएगी? क्या गुढ़ा के खिलाफ लिए गए एक्शन से उनकी कम्युनिटी कांग्रेस के खिलाफ हो जाएगी, जिसका सीधा असर वोटों पर पड़ेगा? बहरहाल जो भी है, राजस्थान की राजनीति में दिलचस्प है। आने वाले दिनों में ऊंट किस करवट बैठता है, इसका जनता को इंतजार है।

 

Morning News India

Recent Posts

जयपुर का युवा बना रहा है भारत के सबसे वैज्ञानिक बेबी टॉय ब्रांड – LiLLBUD

IIT दिल्ली के पूर्व छात्रों अभिषेक शर्मा और अयुष बंसल द्वारा स्थापित, LiLLBUD 0–18 महीने…

1 महीना ago

लिवर की बीमारियों के बढ़ते मामलों को कम करने के लिए पहले से सचेत रहना जरूरी

Healthy Liver Tips : जयपुर। लिवर शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है, जो हमारे शरीर…

4 महीना ago

सोनिया गांधी व राहुल गांधी के खिलाफ ईडी चार्ज शीट पेश, विरोध में उतरी कांग्रेस का धरना प्रदर्शन

National Herald Case : केंद्र सरकार द्वारा राज्यसभा सांसद सोनिया गांधी व नेता प्रतिपक्ष राहुल…

4 महीना ago

राहोली में हनुमान जयंती का आयोजन! बच्चों ने बजरंगी बन मोहा सबका मन

Hanuman Jayanti : राहोली पंचायत के महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय में हनुमान जयंती के अवसर…

4 महीना ago

जयपुर में अतिक्रमण पर चला बुलडोजर, बीजेपी विधायक गोपाल शर्मा भिड़े अधिकारियों से

Jaipur Bulldozer Action: जयपुर विकास प्राधिकरण की ओर से 9 अप्रैल को अतिक्रमण के खिलाफ…

4 महीना ago

No Shop, No Staff, No Investment: Saumic Craft Business Model Explain

Starting a business usually means spending money on a shop, hiring staff, buying stock, and…

4 महीना ago