ओपिनियन

हाथरस हादसा नहीं, खतरनाक खेल है

डा. उरुक्रम शर्मा
हिन्दुस्तान में जब तक धर्मांधता रहेगी, तब तक बाबाओं की मौज रहेगी। लोग मरते रहेंगे, सरकारें जांच कमेटियां बनाकर हाथ धोती रहेगी। मरने वालों के मरीजों और घायलों को मुआवजा देकर चुप कराया जाता रहेगा। सवाल यह है कि एक जीता जागता इंसान कैसे भगवान हो सकता है, जबकि वो भगवान को मानता ही नहीं। जूते पहनकर सूट बूट से लैस होकर जो कथित प्रवचन दें और लोग आंखों पर पट्टी बांधकर उसके जयकारे लगाती रहे और हादसे होते रहें।

हाथरस में कथित बाबा उर्फ पुलिस का रिटायर्ड कारिंदा पिछले 25 साल से अपना आधार जनाधार बढ़ाने में लगा रहा। पहले आगरा में एक छोटे से मकान से निकलकर 30 एकड़ के भव्य महल में पहुंच गया। बड़े बड़े राजनीतिक दलों के नेताओं का उसके तलवे चाटना, उसकी मार्केटिंग को मजबूत करता रहा। गरीब तबके के लोग ऐसे बाबाओं के जाल में फंस जाते हैं। घी लपटेकर अपनी बातों को इस तरह से पेश करते हैं कि लोग चकाचौंध में खो जाते हैं। हाथरस के हादसे मेंं 134 लोगों के मरने की पुष्टि तो हो चुकी, लेकिन सरकारी एफआईआर में भोले बाबा उर्फ भगवान का नाम तक नहीं लिखा गया। बाबा हादसे के बाद से गायब हो गया। किसी गुफा में जाकर छुप गया। उसे समझ आ गया कि अब उसके सारे राज खुल ही जाएंगे।

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प्रश्न बार बार यही दिमाग में आता है कि कैसे इस तरह के ढोंगी साधु भोले भाले लोगों को अपने चाल में फंसाकर उल्लू सीधा करते रहेंगे? कब तक प्रशासन आंखों पर पट्टी बांधे रखेगा। कैसे इन बाबाओं की खुफिया जानकारी और पूरी कुंडली नहीं बनाता है? कैसे इस ढोंगी बाबा के आयोजन को सत्संग कहा जा सकता है। किसी भी धार्मिक ग्रंथ में इस तरह के बाबाओं का कोई स्थान ही नहीं है, जो स्वयंभू भगवान हो जाए, कैसे कोई खुद को ईश्वर बता सकता है? कैसे दावा कर सकता है कि उसकी चरण धूल को मस्तक पर लगाने से सारे दुख दूर हो सकते हैं? आखिर ऐसा क्या है कि आश्रम में लगे नल से पानी पीने से सारे रोग खत्म हो सकते हैं? ये तो ठीक उसी तरह के दावे हैं जैसे फेयर एंड लवली गोरे होना का दावा करती रही है। पतंजलि अपनी दवाओं को लेकर दावे करती है।

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सुप्रीम कोर्ट में हाल ही इस तरह के भ्रामक मामलों से लोगों के गुमराह करने को बड़ा गंभीर मानते हुए रामदेव और बालकृष्ण को कोर्ट में तलब कर ना केवल फटकार लगाई, बल्कि सार्वजनिक रूप से माफी भी मंगवाई। हाथरस जैसे इन फर्जी बाबाओं के साथ ही इसी तरह का सलूक होना चाहिए। इन्हें भी राम रहीम, आसाराम की तरह जेल में पटक देना चाहिए। ये बाबा समाज के लिए कैंसर है। अब तक यह मंगल मिशन के नाम पर सत्संग का स्वांग रचाता रहा है और मंगलवार को ही उसका खेल हो गया। समाज को चाहिए कि वो इस तरह के ढोंगी बाबाओं के जाल में ना फंसे और सरकार भी इन पर पूरी निगरानी रखे।

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Ambika Sharma

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