डिजिटल दुष्कर्म एक ऐसा जघन्य अपराध, जो ठीक से दिखाई नहीं दे। लेकिन इसके घाव बहुत गहरे होते हैं। लोगों को इस बात की कभी-कभी जानकारी भी नहीं होती कि उनके साथ डिजिटल दुष्कर्म हुआ है। यह अक्सर महिलाओं और बच्चों के साथ अधिक होता है।
दुष्कर्म सिर्फ बलात्कार या संभोग तक ही सीमित नहीं होता। इसके अनेक रूप होते हैं। जिसके प्रभाव मनुष्य के मन और मस्तिष्क तक बहुत गहरे असर करते हैं।
क्या होता है डिजिटल दुष्कर्म
डिजिटल दुष्कर्म का शाब्दिक अर्थ यह है कि बिना किसी व्यक्ति की सहमति के उसके प्राइवेट पार्ट्स को अंगुली या अंगूठे से छूना या छेड़ना। दिल्ली के निर्भया केस के बाद डिजिटल दुष्कर्म काफी प्रचलन में आया। 2012 से पहले डिजिटल दुष्कर्म की जगह छेड़खानी शब्द का प्रयोग किया जाता था।
इसे भी परिभाषित करना मुश्किल था। दरअसल डिजिटल दुष्कर्म में महिला या पीड़ित की फोटो, तस्वीरें, कंटेंट सोशल मीडिया पर शेयर वायरल कर दी जाती है या फिर फोन पर उन्हें प्रताड़ित किया जाता है। ऐसे में वह महिला अंदर तक टूट जाती है। इसके लिए पुख्ता कानून और नियम बनाने की आवश्यकता महसूस हुई।
क्या है कानून
चाइल्ड एब्यूज के साथ-साथ डिजिटल दुष्कर्म के लिए भी पोस्को एक्ट एक ऐसा कानून है। जो अपने आप में बहुत विस्तृत है। इसमें धारा 354 और 376 के साथ यदि पीडिता नाबालिग भी है, तो पोस्को एक्ट में लाया जाता है बच्चों को यौन अपराध बुलिंग हैकिंग से बचाने में यह कारगर है।
इस कानून के मुताबिक डिजिटल दुष्कर्म के अपराधी को कम से कम 5 साल की जेल हो सकती है और अगर अपराध संगीन है, तो अपराध की प्रवृत्ति देखकर अपराधी को 10 साल तक भी जेल हो सकती है। यही नहीं बहुत से अपराध एक साथ शामिल हो तो आजीवन कारावास का भी प्रावधान है।
बच्चों को बेड टच के बारे में बताना अध्यापक और अभिभावकों की जिम्मेदारी है। इस विषय पर उन्हें संज्ञान लेना चाहिए। अगर ऐसी कोई घटना होती है, तो तुरंत पुलिस अथवा साइबर सेल पर इसकी रिपोर्ट दर्ज करवाएं। अक्सर डिजिटल दुष्कर्म बच्चों और महिलाओं के साथ होते हैं। उन्हें इससे बचाने के लिए आपत्तिजनक वेबसाइट या अन्य वेबसाइट पर जाने से बचना चाहिए। सोशल मीडिया का सावधानी से इस्तेमाल करना चाहिए।
वहीं महिलाओं के साथ बढ़ते जुर्म का कारण भी सोशल मीडिया ही है। ऐसे में सोशल मीडिया का प्रयोग सोच समझकर करें। अनजान, अजनबी लोगों के साथ अपनी बातें शेयर ना करें। व्हाट्सएप कॉलिंग और डायरेक्ट फेसबुक मैसेंजर में आपत्तिजनक कंटेंट या टिप्पणी डालने से बचें।
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