धर्म

यहां गिलहरी के रूप में विराजमान है हनुमान जी, जानें पूरे विश्व में अनोखे इस मंदिर की कहानी

Gilahraj Hanuman Mandir: भारत समेत दुनिया के अन्य देशों में भी बजरंग बली के कई मंदिर हैं। इनमें से कई मंदिर अपनी भव्यता के लिए जाने जाते हैं। वहीं, कुछ मंदिर ऐसे भी हैं, जहां पर हनुमान जी अपने विशेष रूप में विराजमान हैं। यहां हम एक ऐसे ही मंदिर की बात कर रहे हैं, जो उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में स्तिथ हैं। यह दुनिया का इकलौता ऐसा मंदिर है, जहां पर हनुमान जी को गिलहरी के रूप में पूजा जाता है। चलिए जानते है इसके बारे में-

मंदिर को लेकर मान्यता है कि, यहां पर हनुमान जी की 41 दिनों तक लगातार पूजा करने पर भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती हैं। अलीगढ़ में स्थित इस विश्व प्रसिद्ध और अद्वितीय बजरंग बली के धाम के आसपास करीब 50 से ज्यादा मंदिर हैं। इसके बाबजूद गिलहरी अवतार वाले हनुमान जी विशेष हैं। यह मंदिर अचल ताल सरोवर के किनारे स्थित हैं। हनुमान जी के मंदिरों में इस गिलहरी वाले हनुमान मंदिर को बेहद ख़ास धार्मिक स्थलों में शुमार करते हैं।

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मंदिर की प्रचलित कहानी

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, जब भगवान राम जी राम सेतु पुल का निर्माण करवा रहे थे, तो प्रभु श्रीराम ने भगवान हनुमान से कुछ देर आराम करने को कहा था। इसके बाद हनुमान जी आराम करने के लिए नहीं माने और गिलहरी का रूप धारण कर लिया। बताते है कि, गिलहरी रूप में हनुमान जी ने रामसेतु बनवाने में प्रभु की मदद की। इसके बाद नन्ही गिलहरी को सेतु बनवाने में मदद करते देख प्रभु श्री राम ने उसके ऊपर अपने हाथ की उँगलियों को प्रेम से फेरा था। बताते है कि, उसके बाद से ही भगवान के हाथ की वही लकीर गिलहरी के पीठ पर बन गई जिसे अभी भी देखा जा सकता है।

सपने में दिए थे हनुमान जी ने दर्शन

बताया जाता है कि, गिलहराज हनुमान के प्रतीक की खोज सबसे पहले धनुर्धर ‘श्री महेंद्रनाथ योगी जी महाराज’ ने की थी जो एक सिद्ध संत थे। उन्हें सपने में हनुमान जी मिले थे और कहा कि मैं अचल ताल पर हूं वहां मेरी पूजा की जाए। इसके बाद संत योगी महाराज ने खोज की तो मिट्टी के ढेर पर बहुत सारी गिलहरियां मिलीं। फिर उन्हें हटाकर जब खोदा गया तो वहां से गिलहराज हनुमान जी की मूर्ति निकली। इसे ही मंदिर में स्थापित किया गया हैं।

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मंदिर के बारे में अन्य रोचक तथ्य

गिलहराज हनुमान मंदिर को काफी प्राचीन बताया जाता हैं। बताते है कि, महाभारत काल में भगवान श्री कृष्ण के भाई दाऊजी महाराज ने अचल ताल पर पहली बार हनुमान की गिलहरी के रूप में पूजा की थी। पूरे विश्व में हनुमान जी का यह अचल अवतार इकलौता है, जिसमें आंख दिखाई देती हैं।

पूजा करने से होते हैं सारे कष्ट दूर

मान्यता है कि, हनुमान जी के इस विशेष मंदिर में लगातार 41 दिन पूजा करने से दुख-दर्द दूर हो जाते हैं। यहां दर्शन करने मात्र से ही शनि ग्रह और अन्य ग्रहों के प्रकोप से मुक्ति मिलती है। हनुमान जी के इस विशेष मंदिर में दिनभर में बजरंगबली को 50-60 कपड़ों के चोले रोज चढ़ाए जाते हैं।

Aakash Agarawal

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