जयपुर। गुजरात के अहमदाबाद में नरेंद्र मोदी स्टेडियम में ऑस्ट्रेलियाई पीएम एंथनी अल्बनीज के भव्य स्वागत को क्रिकेट डिप्लोमसी का नया आयाम माना रहा है। कांग्रेस ने भले ही इस आयोजन को लेकर बीजेपी पर वार किया है लेकिन 12 साल पहले कांग्रेस ने भी क्रिकेट डिप्लोमेसी की थी। तब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री युसुफ रजा गिलानी के साथ मोहाली के मैदान में पैदल चलकर अभिवादन स्वीकार किया था। अहमदाबाद में ऑस्ट्रेलियाई पीएम एंथनी अल्बनीज और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बैटरी चलित गाड़ी से मैदान में हजारों की संख्या में मौजूदा भारत और ऑस्ट्रेलिया के क्रिकेट प्रेमियों का अभिवादन स्वीकार किया और क्रिकेट के जरिए दोनों देशों के संबंधों के 75 साल पूरे होने पर एक दोस्ती और मजबूत करने का संकल्प लिया।
चर्चा में 12 साल पुरानी फोटो
30 मार्च, 2011 को ठीक 12 साल पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री युसुफ रजा गिलानी भारत आए थे और उन्होंने क्रिकेट डिप्लोमेसी के जरिए दोनों देशों के बीच खेले गए एक दिवसीय मैच को देखा था। तब क्रिकेट डिप्लोमेसी के जरिए दोनों देशों के बीच अच्छे संबंध होने की कल्पना की गई थी। उस कार्यक्रम में भी दोनों देशों की तरफ से काफी गर्मजोशी दिखाई दी। स्टेडियम में कुछ इसी तरह से नेताओं और डिप्लोमैट्स का जमावड़ा हुआ था। विश्वकप के सेमीफाइनल मैच की गर्मी को इस डिप्लोमेसी ने काफी ज्यादा हाईवोल्ट्रेज कर दिया था। तब इस मैच के जरिए हुई क्रिकेट डिप्लोमेसी के जरिए दोनों देशों के बीच बातचीत शुरू हुई थी। इस आयोजन में तब सोनिया गांधी समेत तत्कालीन सरकार के तमाम मंत्रियों की मौजूदगी रही थी।
नरेंद्र मोदी Vs मनमोहन सिंह
एक बार फिर जब क्रिकेट कूटनीतिक रिश्तों को मजबूत करने का माध्यम बनी तो पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह डिप्लोमेसी की मौजूदा प्रधानमंत्री की डिप्लोमसी के साथ तुलना भी हो रही है। फर्क यह है कि तब क्रिकेट डिप्लोमेसी में शत्रु देश के प्रधानमंत्री थे अब स्ट्रैटजिक पार्टनर (ऑस्ट्रेलिया) के पीएम आए हैं। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच पहला टेस्ट मैच 1948 में खेला गया था। दोनों देशों के बीच क्रिकेट संबंधों के 75 साल पूरे हो रहे हैं। ऐसे में जब ऑस्ट्रेलियाई पीएम जी 20 की बैठक के लिए भारत आए तो पीएम मोदी ने इस मौका का लाभ क्रिकेट डिप्लोमेसी के जरिए उठाने की कोशिश की है। अहमदाबाद पहुंचे अल्बनीज गर्मजोशी भरे अपने स्वागत से काफी अभिभूत दिखे।
पाकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया में अंतर
भारत के ऑस्ट्रेलिया से क्रिकेट डिप्लोमेसी में काफी अंतर है। ऑस्ट्रेलिया से भारत के संबंध ज्यादा खराब नहीं रहे हैं। पोखरण परमाणु टेस्ट को छोड़ दें तो आमतौर पर ऑस्ट्रेलिया भारत का रणनीतिक साझीदार रहा है। ऑस्ट्रेलिया में काफी बड़ी संख्या में भारतीय उच्च शिक्षा के लिए जाते हैं। तो दूसरी ओर भारत के पाकिस्तान के संबंध उतार- चढ़ाव भरे रहे हैं। इसमें कई काले अध्याय भी जुड़े हैं। मनमोहन सिंह ने भी अच्छे मकसद से पाकिस्तान के क्रिकेट डिप्लोमेसी की थी, लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिली थी, तो वहीं पीएम मोदी ने क्रिकेट के जरिए ऑस्ट्रेलिया के साथ भारत के संबंधों को एक नई ऊंचाई पर ले जाने की बड़ी कोशिश की है। इन नई डिप्लोमेसी की डगर पर दोनों मुल्क कितना आगे बढ़ते हैं, यह आने वाला वक्त बताएगा।
भारत जीता था मुकाबला
क्रिकेट डिप्लोमेसी के गवाह बने विश्वकप के उस दूसरे सेमीफाइनल मुकाबले में भारत ने 29 रनों से जीत हासिल की थी। सचिन तेंदुलकर तब मैच ऑफ द मैच घोषित किए गए थे। 50 ओवर के एक दिवसीय मैच में भारत ने पहले खेलते हुए 9 विकेट खोकर 250 रन बनाए थे। तेंदुलकर ने 85 रनों की पारी खेली थी। इसके जवाब में पाकिस्तान की टीम सिर्फ 49.5 ओवर में 231 रन बना पाई थी। आखिर ओवर तक खिंचे रोमांचक मैच में काफी दोनों टीमों के काफी दिलचस्प मुकाबला हुआ था।
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