भगवान महावीर जैन धर्म के संस्थापक है।

यह लाल कमल की कर्णिका पर होता है। 

इस पर महावीर चार अंगुल अधर होते है। 

इस दौरान उनका मुख एक तरफ होता है। 

लेकिन उनका मुख चौतरफा दिखता है। 

इसलिए उन्हें चतुर्मुख ब्रह्मा कहा जाता है। 

सिंहासन पर अशोक वृक्ष, तीन छत्र, सिंहासन, 

.. . भामंडल, चौंसठ चंवर, सुरपुष्पवृष्टि, 

दुंदभि बाजे और हाथ जोड़े सभासद होते हैं। 

सिंहासन पर जिनशासन देव मातंगयक्ष भी हैं। 

और शासनदेवी सिद्धायिनी यक्षी भी विराजित है।