सनातन धर्म में अक्षय तृतीया का विशेष महत्व माना गया है।

अक्षय तृतीया पर भगवान परशुराम का जन्म हुआ था।

मान्यता है कि इसी दिन त्रेता युग की भी शुरूआत हुई थी।

द्वापर युग में अक्षय तृतीया पर ही सुदामा कृष्ण से मिलने पहुंचे।

अक्षय तृतीया पर ही सूर्यदेव ने पांडवों को अक्षय पात्र दिया था।

द्वापर युग में इसी दिन वेदव्यासजी ने महाभारत लिखना शुरू किया।

कुबेर देव को देवताओं के कोषाध्यक्ष का पद प्राप्त हुआ था।

मां पार्वती ने अक्षय तृतीया पर ही अन्नपूर्णा स्वरूप प्रकट किया।

अक्षय तृतीया पर ही चारों धामों में दर्शन आरंभ होते हैं।

इसी दिन जगन्नाथ पुरी में रथ का निर्माण आरंभ होता है।