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दुबई में तलाक कैसे होता है, मदर्स डे 2024 स्पेशल स्टोरी, Dubai Divorce Law 2024

Dubai Divroce Law : दुनिया का सबसे विलासिता वाला शहर दुबई अपने अजब गजब नियम कायदों के लिए भी सारी दुनिया में फेमस है। दूसरे खाड़ी देशों (Gulf Countries) के मुकाबले दुबई काफी लचीला देश माना जाता है। इस मुस्लिम देश में अन्य धर्मों को मानने वाले के साथ भी बराबरी (UAE Rules Regulations 2024) का बर्ताव किया जाता है। मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाया जाता है। इस साल 12 मई 2204 को Mother’s Day 2024 मनाया जाएगा। दुबई में भी मदर्स डे मनाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते है कि दुबई में शादी और तलाक के क्या नियम हैं। भारत की तरह यहां तीन तलाक नहीं चलता है। तो चलिए आज हम आपको दुबई में तलाक के नियम (Dubai Divroce Law) समझाते हैं।

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दुबई में शादी को लेकर कानून
(Dubai Wedding Law)

दुबई में शादी ब्याह को लेकर नया कानून क्रांतिकारी बदलाव लेकर आया है। यानी अब दुबई में रहने वाली कोई गैर मुस्लिम लड़की 21 साल की उम्र में अपने वालिद साहब या परिवार की मर्जी के बगैर अपने पसंद के बंदे से निकाह कर सकती है। साथ ही दुबई में शादी से पहले जिस्मानी ताल्लुक (Dubai me Physical Relation) बनाना भी गलत नहीं है।

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दुबई में तलाक कैसे होता है
(Dubai Divroce Law)

शादी की तरह तलाक की प्रक्रिया को भी दुबई में काफी लचीला बनाया गया है। दुबई में अब कोई गैर-मुस्लिम दंपति आपसी सहमति से या फिर इनमें से कोई एक भी तलाक (Dubai Divroce Law) के लिए अदालत का सहारा ले सकते हैं। पहले तलाक के लिए आवेदक को यह साबित करना पड़ता था कि उसके साथी ने शादी के दौरान उसको नुकसान पहुंचाया है। दुबई का ये कानून (Dubai Divroce Law) पूरी दुनिया में मशहूर हो रहा है। जबकि भारत में केवल तीन बार कहने से तलाक हो जाता था, हालांकि मोदी सरकार ने इसे खत्म कर दिया है। फिर भी भारत के ग्रामीण इलाकों में मु्सलमान आज भी तीन तलाक (Triple Talak in India) पर कायम है।

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दुबई में शरीयत के बजाय लचीला कानून क्यों ?

दुबई में बड़ी संख्या में बाहरी लोग रहते हैं। इनमें एक बड़ी आबादी गैर मुस्लिमों की हैं जिनको ऐसे लचीले कानून की सख्त जरूरत रहती है। ब्रिटेन और यूरोप के कई देशों में गैर ईसाई लोगों के लिए शादी (Dubai me Divroce Law) के ऐसे ही कायदे बने हुए हैं। अपनी उदार नीति के कारण ही दुबई दुनिया के मानचित्र पर सबसे प्रमुख बिजनेस हब बन कर उभरा है। केवल इंफ्रास्ट्रक्चर के कारण नहीं, बल्कि दुबई ने लचीले कानून (UAE Federal Personal Status Law) के दम पर दुनिया को अपनी तरफ आकर्षित किया है। यही वजह है कि दुबई में सऊदी की तरह शरीयत वाला सख्त कानून नहीं है।

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