Mecha Hypersonic Missile : चीन अब सिर्फ 12 मिनट में तबाह होकर मिट्टी में मिल जाएगा। जी हां, अब ड्रैगन को निपटाने के लिए अमेरिका ने ऐसी खतरनाक मिसाइल तैयार कर ली है। यह एक हाइपरसोनिक मिसाइल है, जो छोटी होने के साथ ही दमदार और हल्की है। इसको अमेरिका अपने सबसे नए फाइटर जेट्स पर तैनात कर रहा है। इस अमेरिकी मिसाइल का नाम है मेको रखा गया है। यह नाम समुद्र में सबसे तेज रफ्तार से तैरने वाली शार्क मछली के नाम पर रखा गया है।
अमेरिका की मेको हाइपरसोनिक मिसाइल ध्वनि की रफ्तार से 5 गुना तेज है। इसकी स्पीड 6000 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा की है। आपको बता दें कि इतनी बेहद तेज गति वाली मिसाइलें दुनिया में सिर्फ कुछ ही देशों के पास हे। अब अमेरिका यह मिसाइल सभी लड़ाकू विमानों, निगरानी करने वाले एयरक्राफ्ट, पनडुब्बी और युद्धपोत पर भी तैनात कर रहा है। इसी के चलते अब चीन को हर मोर्चे पर अमेरिका की हाइपरसोनिक मिसाइल चुनौति देगी। अमेरिका अपने अदृश्य F-35 फाइटर जेट्स पर भी ये सबसे तेज मिसाइल लगाने जा रहा है। मेको (Mako) हाइपरसोनिक मिसाइल रडार से बचकर उड़ने वाले विमान से साथ मिलकर सबसे घातक हमला करने वाली है।
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अमेरिका की इस मेको मिसाइल को हवा, जमीन, समुद्र या पनडुब्बी से भी फायर किया जा सकता है। यह मिसाइल 590 किलोग्राम की है जिसकी सबसे बड़ी ताकत इसकी हाइपरसोनिक रफ्तार है जो इसें मिनटों में ही दुश्मन के इलाके में टारगेट तक पहुंचा देती है। आपको बता दें कि अधिकतर हाइपरसोनिक मिसाइलें 1 मिनट में 100 किलोमीटर की दूरी तय कर सकती हैं। लेकिन मेको की रफ्तार इससें भी अधिक हो सकती है। इसका मतलब जबतक दुश्मन संभलेगा उससें पहले यह मिसाइल हमला कर चुकी होगी।
दावे किए जा रहे हैं कि अमेरिका के 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान एफ-35 पर भी ऐसी 6 मिसाइलें लगाई जा रही हैं। एफ-35 विमान दुनिया का सबसे एडवांस फाइटर जेट है जो रडार की मदद से पकड़ में नहीं आता है। ऐसे में मेको मिसाइल लगने पर यह और ज्यादा खतरनाक हो जाएगा। मेको मिसाइलें छोटी और हल्के वजन के साथ ही दमदार भी हैं जिसका मुकाबला करना चीन के लिए भी आसान नहीं। आपको बता दें कि हाइपरसोनिक मिसाइलें दुनिया के सबे तेज हथियार हैं। क्योंकि इनको राडार से पकड़ पाना और मार गिराना लगभग नामुमकिन है।
हाइपरसोनिक मिसाइलों की दौड़ में अमेरिका अपने दुश्मन रूस और चीन से पीछे है। अमेरिका ने अभी मेको मिसाइल को सेना में शामिल नहीं किया है। जबकि, रूस और चीन हाइपरसोनिक मिसाइलें अपनी सेना में शामिल कर चुके हैं। यूक्रेन युद्ध में रूस ने अपनी एक और हाइपरसोनिक मिसाइल किंझल से हमला कर चुका है। इसी के साथ ही युद्ध में हाइपरसोनिक हमला करने वाला वो पहला देश बन चुका है।
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