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बंदर बना डॉक्टर!, प्राकृतिक तरीके से खुद का इलाज कर दुनिया को चौंकाया

जयपुर। Sumatran Orangutan : बंदर अपने आप में अच्छे खासे डॉक्टर होते हैं जो खुद की चोट का इलाज खुद ही प्राकृतिक तरीके से कर लेते हैं। हाल ही में इंडोनेशिया में एक सुमात्राण ओरंगुटान (Sumatran Orangutan) ने चेहरे पर हुए एक बड़े घाव को पौधों से बने पेस्ट का इस्तेमाल करके ठीक करने का कारनामा कर दिखाया। दुनिया में ऐसा पहली बार देखने में आया है कि जंगल में किसी प्राणी को औषधीय पौधे से चोट का इलाज करते हुए देखा गया है। शोधकर्ताओं ने ओरंगुटान (Orangutan) को अपने चेहरे पर पौधे का पोल्टिस लगाते हुए देखा था जिससें घाव बंद हो गया और एक महीने में ठीक हो गया। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह व्यवहार एक ऐसे पूर्वज से मनुष्यों और महान वानरों में आया हो सकता है जिसे दोनों एक दूसरे से शेयर करते हों।

ओरंगुटान मनुष्यों से अधिक समान

जर्मनी में मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट में जीवविज्ञानी डॉ. इसाबेला लॉमर और शोध की मुख्य लेखिका का कहना है कि ये बंदर हमारे सबसे करीबी रिश्तेदार हैं। इस ओरंगुटान द्वारा ऐसा करना उन समानताओं की ओर इशारा करता है जो हम उनके साथ शेयर करते हैं। इससे यह साबित होता है कि हम अलग होने की अपेक्षा अधिक समान हैं। इंडोनेशिया (Indonesia ) के गुनुंग लेउसर नेशनल पार्क में जून 2022 में एक शोध दल ने ओरंगुटान को उसके गाल पर एक बड़े घाव के साथ देखा था जो शायद प्रतिद्वंद्वी नर ओरंगुटान के साथ लड़ते हुए घायल हो गया था।

एक महीने में कर लिया खुद को ठीक

वैज्ञानिकों की इस टीम ने ओरंगुटान को अकार कुनिंग नामक पौधे के तने और पत्तियों को चबाते हुए देखा था। यह एक सूजनरोधी और जीवाणुरोधी पौधा है जिसका उपयोग स्थानीय स्तर पर मलेरिया और मधुमेह के इलाज के लिए किया जाता है। इस ओरंगुटान ने 7 मिनट तक बार-बार अपने गाल पर तरल पदार्थ लगाया और उसके बाद चबाई हुई पत्तियों को अपने घाव पर तब तक लगाया जब तक कि उसका घाव पूरी तरह से ढक न गया। यह आधे घंटे से अधिक समय तक पौधे की पत्तियों को खाता रहा। इसके बाद पत्तियों के पेस्ट ने जादू कर दिया। शोधकर्ताओं ने इस ओरंगुटान के चेहरे पर संक्रमण का कोई संकेत नहीं देखा और उसका घाव 5 दिनों के अंदर बंद हो गया। इसके बाद ओरंगुटान एक महीने में पूरी तरह से ठीक हो गया।

ओरंगुटान ने ऐसे किया इलाज

वैज्ञानिकों के मुताबिक ओरंगुटान को यह पता था कि वह दवाई लगा रहा है क्योंकि वह इस विशेष पौधे को बहुत कम खाते हैं। इसको लेकर डॉ. लॉमर का कहना है कि उसने बार-बार पेस्ट लगाया, और बाद में अधिक ठोस पौधे का पदार्थ भी लगाया। उसकी यह प्रक्रिया काफी समय तक चली। इलाज के दौरान ओरंगुटान को सामान्य से अधिक समय तक आराम करते हुए भी देखा गया। जिससें यह पता चलता है कि वो इस चोट के बाद स्वस्थ होने की कोशिश कर रहा था। हालांकि, अभी तक कभी किसी जंगली जानवर को घाव पर पौधा लगाते नहीं देखा गया था। हालांकि कई लोगों ने बड़े बंदरों को औषधीय गुणों वाली पत्तियां निगलते हुए देखा है।

बंदर ने ऐसे सीखा इलाज करना

डॉ. लॉमर के मुताबिक यह भी संभव है कि इस बंदर ने पहली बार इस प्रकार का इलाज किया हो। ऐसा भी हो सकता है कि उसने गलती से अपनी उंगली से अपने घाव को छू लिया हो जिस पर पौधा था। इसके बाद पौधे में काफी शक्तिशाली दर्द निवारक पदार्थ होने के कारण उसे तुरंत दर्द से राहत महसूस हुई हो जिस कारण उसने इसें बार-बार लगाया। इसके अलावा यह भी हो सकता है कि उसने समूह के अन्य वनमानुषों को देखकर यह विधि सीखी हो।

मानव जैसी है बंदरों की खोज

वैज्ञानिक अब यह देखने के लिए अन्य ओरंगुटान बंदरों पर करीब से नज़र रखेंगे कि क्या अब वो वही चिकित्सा कौशल देख सकते हैं जो इस ओरंगुटान किया था। इसको लेकर डॉ. लॉमर का कहना है कि वो अब अगले कुछ वर्षों में उनके और भी अधिक व्यवहार और अधिक क्षमताओं की खोज करेंगे जो बिल्कुल मानव जैसी हैं।

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Anil Jangid

Anil Jangid डिजिटल कंटेट क्रिएटर के तौर पर 13 साल से अधिक समय का अनुभव रखते हैं। 10 साल से ज्यादा समय डिजिटल कंटेंट क्रिएटर के तौर राजस्थान पत्रिका, 3 साल से ज्यादा cardekho.com में दे चुके हैं। अब Morningnewsindia.com और Morningnewsindia.in के लिए डिजिटल विभाग संभाल रहे हैं।

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