संघर्ष की दास्तान है सूडान
दो ताकतों की लड़ाई कैसे आम लोगों के लिए परेशानी का कारण बनती है, इसका ताजा उदाहरण है सूडान। जहां सेना और अर्धसैनिक बलों के बीच छिड़ी जंग से आम जनता का जीना मुश्किल हो गया है। लोगो को इस संघर्ष के कारण परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं। सत्ता की लड़ाई में आम जनता पिस रही है। इससे यहां करीब 400 से अधिक लोगों की मौत भी हो चुकी है। यहां करीब आठ लाख से अधिक लोगों को देश छोड़कर भागना पड़ रहा है। संयुक्त राष्ट्र की ओर से भी कहा गया है कि यदि जल्द ही इस संकट का कोई हल न निकला तो और भी लोगों को पलायन करना पड़ सकता है। जानकारी के अनुसार देश छोड़ने वालों में ऐसे लोगों की संख्या भी ज्यादा है जो सूडान में शरणार्थी बनकर आए थे। लोगों को सुरक्षा और बुनियादी सहायता की तलाश में पलायन करना होगा।
पुराना रहा है इतिहास
सूड़ान में गृहयुद्ध के हालात नए नहीं हैं। पहले भी यहां 1955 का संघर्ष करीब 17 सालों तक गृहयुद्ध के रूप में चला था। जिसमें पांच लाख से ज्यादा लोगों की मौत भी हुई थी। इसके बाद दूसरा गृहयुद्ध 1983 में हुआ। यह सिविल वॉर करीब 22 सालों तक चला। इसमें तो वहां 20 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई। इसके बाद 2011 में सूडान दुनिया का 193वां देश बना था। अब यह संघर्ष सेना कमांडर जनरल अब्देल फतह बुरहान और आरएसएफ के प्रमुख जनरल मोहम्मद हमदान डगलो के बीच हो रहा है। जिसका कारण दोनों के बीच में मनमुटाव है। जो कि चुनाव को लेकर एक मत न होने के कारण है और यहां अगर सेना और पैरामिलिट्री फोर्स को यदि एक साथ मिलाकर एक फोर्स बनाई जाती है तो उसका प्रमुख कौन बनेगा।
पलायन ही बचा रास्ता
सूडान के गृहयुद्ध के कारण यहां के 8,00,000 लोगों के आसपास दूसरे देशों में पलायन कर सकते हैं। इनमें करीब 500,000 सूडान नागरिक और अन्य दक्षिण सूडान या शरणार्थी के रूप में यहां रह रहे लोग हैं। फिलहाल करीब 73,000 लोग सूडान से दक्षिण सूडान, इथियोपिया, मध्य अफ्रीका गणराज्य, लीबिया, चाड, मिस्र, इरिट्रिया जा चुके हैं। यूएन के सहायता प्रमुख मार्टिन ग्रिफिथ्स ने भी ट्विटर पर लिखा है कि वहां जरूरतमंद लोगों तक राहत सामग्री बांटे जाने की जरूरत है।
मानवीय संकट
सूडान में चल रहा संकट एक बड़ी आपदा का रूप भी ले सकता है। यही नहीं जानकारों की मानें तो यह संकट पड़ोसी देशों में भी संकट पैदा कर सकता है। यहां से लोगों का पलायन आस पास के देशों में माहौल को बदलेगा। जिससे वहां भी आम जनता के सामने कई परेशानियां खड़ी होंगी।
संघर्षविराम पर बनी सहमती
सेना और अर्धसैनिक बलों के बीच सात दिनों के लिए संघर्ष विराम की सहमती भी बनी है। यह विराम 4 मई से लागू होकर 11 मई तक चलेगा। इस समय यहां से निकलने वाले लोगों की संख्या बढ़ सकती है। अभी तक अमेरिका और भारत भी यहां से अपने नागरिकों को निकाल चुका है।
Hindi Diwas : जयपुर। हिंदी दिवस (Hindi Diwas) के अवसर पर जेईसीआरसी यूनिवर्सिटी के स्कूल…
रावत पब्लिक स्कूल प्रताप नगर के विद्यार्थियों ने नंदूबा इंग्लिश एकेडमी स्कूल,सूरत में आयोजित सी…
blood donation camp : जयपुर। झोटवाड़ा स्थित 'डॉ. पांडे ईएनटी सेंटर' ने 'स्वरूप फाउंडेशन डीके…
IIT दिल्ली के पूर्व छात्रों अभिषेक शर्मा और अयुष बंसल द्वारा स्थापित, LiLLBUD 0–18 महीने…
Healthy Liver Tips : जयपुर। लिवर शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है, जो हमारे शरीर…
National Herald Case : केंद्र सरकार द्वारा राज्यसभा सांसद सोनिया गांधी व नेता प्रतिपक्ष राहुल…