Women Abortion Rights
जयपुर। Women Abortion Rights : अब परिवार में औरत यह तय करेगी की उसें कितने बच्चे पैदा करने हैं। जी हां, अब महिलाओं को यह संवैधानिक अधिकार (Women Abortion Rights) मिल चुका है वो कितने बच्चे पैदा करना चाहती हैं। इतना ही नहीं बल्कि उन्हें अब यह भी संवैधानिक अधिकार मिल चुका है कि वो गर्भपात कराना चाहती है या नहीं। इसका मतलब अब औरत अपनी मर्जी से संवैधानिक अधिकार (Women Abortion Constitutional Rights) के तहत जब चाहे अपनी मर्जी से गर्भपात करवा सकती है।
महिलाओं को कितने बच्चे पैदा करने हैं और कब वो गर्भपात (Women Abortion Rights) करवा सकती है इन अधिकारों को लेकर अब देश के संविधान में यह नया अनुच्छेद जुड़ चुका है। हालांकि, यह नया अनुच्छेद भारत नहीं बल्कि यूरोपीय राष्ट्र फ्रांस के संविधान (Women Abortion Rights in French Constitution) में जोड़ा गया है। फ्रांस के पैलेस ऑफ वर्साय में 4 मार्च यह ऐतिहासिक कार्य हुआ है जिसके तहत अब फ्रांस के संविधान में यह नया अनुच्छेद जोड़ते हुए महिलाओं को अबॉर्शन यानी गर्भपात और बच्चे पैदा करने की संख्या खुद निर्धारित करने का संवैधानिक अधिकार दिया गया है।
आपको बता दें कि इस समय दुनिया के 100 से ज्यादा देशों में अबॉर्शन यानि गर्भपात कानूनी अधिकार है। परंतु फ्रांस एकमात्र दुनिया का पहला ऐसा देश बना है जहां अबॉर्शन को कानूनी दर्जे से ऊपर उठकर उसें महिलाओं के संवैधानिक अधिकार का दर्जा दे दिया गया है। इस बात को आसान शब्दों में ऐसे समझ सकते हैं कि जैसे भारतय कानून के अनुसार सभी नागरिकों को समता, स्वतंत्रता और शोषण व भेदभाव से रक्षा का बुनियादी संवैधानिक अधिकार देता है। ठीक उसी तरह अब फ्रांस की महिलाओं के साथ अनचाही प्रेग्नेंसी रोकने का बुनियादी और गारंटीड अधिकार उनके पास है।
हालांकि, फ्रांस में महिलाओं को गर्भपात का यह संवैधानिक अधिकार (Women Abortion Rights History) ऐसे नहीं मिला बल्कि इसके पीछे 53 सालों की तपस्या लगी है। आज से 53 साल पहले 5 अप्रैल, 1971 को एक फ्रेंच मैगजीन में एक घोषणापत्र छपा था जिसमें वहां की 343 औरतों के नाम और हस्ताक्षर थे। इस घोषणापत्र में महिलाओं ने अपने जीवन में कभी-न-कभी गर्भपात कराने की बात स्वीकार की थी। यह पब्लिक एनाउंसमेंट फ्रांस में समय शुरू हुआ जब वहां गर्भपात गैरकानूनी था और ऐसा करने वाली महिला को जेल की सजा होती थी। उस मेनिफेस्टो में सिमोन द बोवुआर का नाम भी शामिल था जिसने ‘द सेकेंड सेक्स’ जैसी ऐतिहासिक किताब लिखी थी। अब महज 53 सालों में चुपके से अबॉर्शन करवाने वाली महिलाओं को जेल में डालने से लेकर हम गर्भपात को संवैधानिक अधिकार मिला चुका है।
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आज के समय में करोड़ों औरतें और लड़कियां ऐसी हैं जो अनचाहे बच्चों को जन्म दे रही हैं। महिलाओं द्वारा गैरकानूनी ढंग से चोरी-छिपे अबॉर्शन (Illegal Abortion) करवाने की वज हसे उनकी जान खतरे में आ जाती है। यूएन वुमेन के आंकड़े के अनुसार पूरी दुनिया में प्रतिवर्ष लगभग 30,000 लड़कियां असुरक्षित ढंग से गर्भपात करवाने के की वजह सेस अपनी जान खतरे में डालती हैं।
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फ्रांस के इस ऐतिहासक फैसले का पूरी दुनिया में स्वागत किया जा रहा है। यह बात सभी को मान लेनी चाहिए कि मर्दों को कोई हक नहीं, वो औरतों को ये कहें कि वो कब बच्चा पैदा करेंगी और कब नहीं। मां बनना या न बनना, कब और कैसे बनना, कितनी बार बनना, ये सिर्फ और सिर्फ औरत का फैसला होना चाहिए। इसी के चलते अब फ्रांस ने गर्भपात को संवैधानिक अधिकार बनाकर इस बात का अधिकार महिलाओं को सौंप दिया है जो सराहनीय है।
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