Loksabha Election 2024 – SP vs BSP vs Congress : देश में इस समय लोकसभा चुनावों की सुगबुगाहट है। चुनाव आयोग के मुताबिक देश में 7 चरणों में चुनाव संपन्न होने है। मतदान प्रक्रिया देश के अलग-अलग राज्यों की कुल 543 लोकसभा सीटों पर 19 अप्रैल से 1 जून 2024 तक संपन्न होनी है। हर राजनीतिक दल अपने-अपने चुनाव चिन्ह को लेकर मतदाताओं के बीच नजर आ रहा है। कांग्रेस का हाथ और बीजेपी का कमल, ऐसे चुनाव चिन्ह है, जो देशभर के लोगों के दिल-दिमाग में छपे हुए है। लेकिन क्या आप जानते है, एक समय ऐसा था जब कांग्रेस को हाथी और साईकिल चुनाव चिन्ह मिल रहा था।
आज भले ही हाथी चुनाव चिन्ह बहुजन समाज पार्टी और साईकिल चुनाव चिन्ह समाजवादी पार्टी के पास है। लेकिन ये चिन्ह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के हो सकते थे, लेकिन पार्टी ने इन्हें ठुकरा दिया था। दरअसल, सन 1979 में कांग्रेस का एक और विभाजन हुआ था। ऐसे में इंदिरा गांधी ने कांग्रेस (आई) की स्थापना की थी। चुनाव आयोग ने उनकी पार्टी के सामने चुनाव चिन्ह (Election Symbol) के रूप में हाथी, साइकिल और खुली हथेली विकल्प रखा था।
ऐसी स्तिथि में इंदिरा गांधी ने पंजे को अपना चुनाव चिन्ह बनाने का फैसला लिया था। इससे पहले 1951 में हुए देश के पहले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का चुनाव चिन्ह ‘दो बैलों की जोड़ी’ हुआ करता था। यह वो समय था जब जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्व में कांग्रेस ने चुनाव लड़ा था। ‘दो बैलों की जोड़ी’ चुनाव चिन्ह लोगों के बीच जगह बनाने में सफल रहा था। करीब दो दशक तक कांग्रेस पार्टी इसी चुनाव चिन्ह के साथ जनता के बीच जाती रही और सफल भी रही।
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सन 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) की स्थापना हुई थी। यह देश का सबसे पुराना राजनीतिक दल भी है। 1970-71 में कांग्रेस में विभाजन हुआ तो पार्टी दो अलग-अलग धड़े में बंट गई। ऐसी स्तिथि में दो बैलों की जोड़ी वाला चिह्न चुनाव आयोग द्वारा जब्त कर लिया गया। वहीं, कामराज के नेतृत्व वाली पुरानी कांग्रेस को ‘तिरंगे में चरखा’ चुनाव चिन्ह और इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली नई कांग्रेस पार्टी को गाय और बछड़े का चुनाव चिन्ह अलॉट किया गया।
करीब एक दशक बाद इंदिरा गांधी वाली कांग्रेस पार्टी में फिर से चुनाव चिन्ह को लेकर विवाद शुरू हो गए। दरअसल, 1977 में आपातकाल खत्म होने के बाद पार्टी की लोकप्रियता में कमी आई थी। यह वही दौर था जब चुनाव आयोग ने पार्टी से गाय और बछड़े का चिन्ह भी वापस ले लिया।
कांग्रेस पार्टी मुश्किल दौर में थी। ऐसी स्तिथि में इंदिरा गांधी तत्कालीन शंकराचार्य स्वामी चन्द्रशेखरेन्द्र सरस्वती के पास पहुंची। इंदिरा गांधी की बातें सुनने के बाद शंकराचार्य मौन हो गए और उन्होंने अपना दाहिना हाथ उठाकर उन्हें आर्शीवाद दिया। यही से कांग्रेस के हाथ चुनाव चिन्ह की कहानी शुरू हुई।
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सन 1979 में कांग्रेस का एक और विभाजन हुआ। इंदिरा गांधी ने कांग्रेस (आई) की स्थापना की। उन्होंने बूटा सिंह को चुनाव सिंबल फाइनल करने की जिम्मेदारी दी। बूटा सिंह चुनाव आयोग पहुंचे तो उनके सामने हाथी, साइकिल और खुली हथेली का विकल्प रखा गया। इसके बाद इंदिरा गांधी ने पार्टी नेता आरके राजारत्नम के कहने और शंकराचार्य के आशीर्वाद वाले विचार को ध्यान में रखा, और हाथ के पंजा को चुनाव चिन्ह बनाने पर सहमति दे दी।
हाथ का पंजा चुनाव चिन्ह लेकर इंदिरा गाँधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी ने चुनावी मैदान में ताल ठोकी। नए चुनाव चिन्ह के साथ चुनावों में कांग्रेस को बड़ी जीत मिली। जिसके बाद कांग्रेस ने हाथ के पंजा चुनाव चिन्ह को गुडलक समझकर आगे बढ़ाया, और आज तक यही चिन्ह कांग्रेस की पहचान बना हुआ है।
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