जयपुर। भारत के एक यूट्यूबर पत्रकार ने ऐसा ऐलान कर दिया कि राजनीतिक खलबली मच गई है। दरअसल, ये पत्रकार बिहार से हैं जो तमिलनाडु में प्रवासी मजदूरों के साथ मारपीट हुई या नहीं, इसकी तह तक पहुंच गए जिसके बाद बिहार राज्य में बवाल मचा हुआ है। कुछ अखबारों और टीवी चैनलों पर तमिलनाडु में बिहारी मजदूरों की पिटाई की खबर प्रकाशित होने के बाद नीतीश सरकार हरकत में आई थी। तब सच्चाई का पता लगाने बिहार से उच्चपदस्थ अधिकारियों की एक टीम तमिलनाडु गई थी।
मुख्यमंत्री ने फर्जी बताई खबरें
उससे पहले तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन ने दुर्व्यवहार की खबरों को फर्जी बताते हुए दावा किया था कि उनके प्रदेश में प्रवासियों का काफी सम्मान किया जाता है और तमिल जनता दूसरे राज्यों से आए लोगों के साथ काफी शांति और सद्भाव के साथ रहती है। अभी इस बात पर बहस हो ही रही थी कि तमिलनाडु में बिहारी मजदूरों की पिटाई की सच्चाई क्या है, तब तक वहां के एक यूट्यूबर मनीष कश्यप समेत कुल चार लोगों के खिलाफ एफआईआईर दर्ज कर ली गई।
तमिलनाडु पहुंचा भड़का पत्रकार
इससे भड़के यूट्यूबर मनीष कष्यप ने बिहार के उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर मीडिया का गला घोंटने का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि तेजस्वी यादव को 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में बुरी तरह हार का सामना करना पड़ेगा। आइए जानते हैं कौन हैं 'तेजस्वी को मिट्टी में मिला देने' की चुनौती देने वाले मनीष कश्यप।
ये हैं मनीष कश्यप
सोशल मीडिया के जमाने में स्थानीय स्तर पर कई न्यूज वेबसाइट्स और यूट्यूब प्लैटफॉर्म्स खुल गए हैं। बिहार में भी जिला और प्रखंड स्तर पर वेबसाइट्स की भरमार है। इसे साथ ही, कई यूट्यूबर भी जनता के बीच काफी लोकप्रिय हो रहे हैं। मनीष कश्यप भी इन्हीं लोकप्रिय यूट्यूबरों में शामिल हैं। वो सच तक न्यूज के नाम से यूट्यूब चैनल चलाते हैं। यूट्यूब पर सच तक न्यूज के अभी 63 लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर्स हैं। वहीं, इंस्टाग्राम पर इसके 1.16 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स हैं। मनीष कश्यप के ट्विटर पर 65 हजार से ज्यादा फॉलोअर हैं। मनीष ने यूट्यूब पर 3.9 हजार से ज्यादा वीडियोज पड़े हैं। इनमें कई वीडियोज मिलियन्स में देख गए हैं।
सेना को छुड़ाकर ही माने
मनीष कश्यप सोशल मीडिया हैंडल्स के जरिए खबरें परोसने का साथ-साथ आंदोलन और धरने के लिए भी जाने जाते हैं। उन्होंने पूर्व चंपारण में सेना के जवान राधामोहन गिरी की रिहाई की मांग लेकर भी धरना दिया था। पुलिसकर्मियों ने रक्सौल में सेना के जवान की गाली-गलौच और पिटाई की थी। इस पर दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग उठी जिसे मनीष ने समर्थन दिया। वो स्थानीय समाजिक कार्यकर्ता अनिकेत आनंद और पूर्णिमा भारती के साथ धरने पर बैठ गए।
स्थानीय लोगों के साथ हुई कहासुनी
दरअसल, बेलाघाटी निवासी राधामोहन गिरी पत्नी काजल को परीक्षा दिलाने रक्सौल जा रहे थे। लक्ष्मीपुर में उनकी कार के लुकिंग ग्लास से एक व्यक्ति को चोट लग गई। इस पर स्थानीय लोगों के साथ उनकी कहासुनी हो गई। तभी स्थानीय इंस्पेक्टर जितेंद्र कुमार मौके पर पहुंचे और दोनों पक्षों को थाने बुलाया। आरोप है कि पुलिस ने सेना के जवान के साथ बदसलूकी की। मनीष ने कहा कि अगर किसी नेता के परिवार या जानकार में किसी के साथ पुलिस ने ऐसा किया होता तो उनके खिलाफ तुरंत कार्रवाई हो गई होती, लेकिन देश की रक्षा में जुटे सेना के जवान के प्रति सम्मान का कोई भाव नहीं है।
धरने पर बैठे थे मनीष कश्यप
ताजा मामले में मनीष कश्यप का कहना है कि उन्होंने तमिलनाडु में बिहारी मजदूरों की पिटाई की खबर तब दी जब बड़े-बड़े मीडिया हाउस पहले ही खबरें दे चुके थे। उन्होंने कई अखबारों और टीवी न्यूज चैनलों का हवाला दिया। मनीष ने 8 मार्च को ट्वीट कर कहा, 'तेजस्वी यादव जी चश्मा हटा कर इस फोटो को देखिए, मजदूरों के चेहरे पर घाव हैं। जिस मीडिया ने रिकॉर्डिंग की है उसका मोबाइल नंबर भी है। एक बार बात करके तो देखिए क्या पता आप झूठ बोल रहे हैं और मजदूर सच में तमिलनाडु में परेशान हों।' उन्होंने लिखा कि तमिलनाडु का वीडियो सच हो या झूठ, अलग बात है, लेकिन यह तो सौ फीसदी सच है कि बिहार के नेताओं की वजह से ही बिहारी पलायन करने को मजबूर और दूसरे राज्यों में बेइज्जत होते हैं।
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