26 April 2024 Phalodi Satta Bazar: राजस्थान में दूसरे चरण का मतदान होने में कुछ समय बचा है लेकिन कोटा सीट पर दो दोस्त सियासी दुश्मन बनकर एक दूसरे के खिलाफ जमकर प्रचार कर रहे हैं। कोटा सीट पर लगातार दो बार के सांसद व लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के खिलाफ इस बार कांग्रेस ने प्रहलाद गुंजल को चुनावी मैदान में उतारा है। इस सीट पर दोनों नेताओं की जबरदस्त पकड़ा होने के कारण अनुमान लगाना भी कठीन है कि इस सीट पर किसकी जीत होगी और किसकी हार होगी।
ओम बिरला लगातार दो बार से यहां सांसद है और तीसरी बार अपनी जीत के लिए पूरी ताकत के साथ चुनावी मैदान में उतरे है। वह चुनावी भाषणों में कहते है कि यह चुनाव नहीं देश की सुरक्षा और उसे आगे बढ़ाने का चुनाव है। बिरला को इस बार जीत का भरोसा है और मोदी लहर के कारण वह अपनी जीत का दावा कर रहे है।
कोटा क्षेत्र की समस्याओं को लेकर गुंजल ने कहा आप 10 साल से सांसद है तो एयरपोर्ट के लिए कुछ नहीं किया। आपकी हैसियत तो तब पता चली जब प्रधानमंत्री ने देश में 50 एयरपोर्ट का अनाउंसमेंट किया और कोटा को छोड़ दिया। जनता इस बार आपकी बातों में नहीं आने वाली है। जनता ने अहंकार का इलाज करने का मन बना लिया है।
बिरला और गुंजल ने एक साथ सियासी करियर की शुरूआत की थी और दोनों ने एक साथ मिलकर कई चुनाव जीते। लेकिन समय बितने के साथ दोनों में टकरवा होने लगा और आज वह दोनों सियासी दुश्मन बन गए है। पिछले लोकसभा चुनावों के नतीजे देखें तो BJP काफी मजबूत नजर आती है और इस बार गुंजल के कारण वह कमजोर नहीं आ रही है।
बिरला और गुंजल की अदावत किसी से छिपी नहीं है। पिछले विधानसभा चुनाव में गुंजल का टिकट अंतिम समय तक फाइनल नहीं हुआ था और इसका कारण गुंजल समर्थक बिरला को ही वजह मानते हैं। लेकिन गुंजल चुनाव हार गए और अब गुंजल पाला बदलकर कांग्रेस में आ गए तो उनको कांग्रेस ने प्रत्याशी बनाय।
बिरला एक बड़े नेता के तौर पर उभरे हैं। और पिछले 10 सालों में उनका कद बढ़ा है। लोकसभा स्पीकर बनने से उन्हें देश में अलग पहचान मिली है और चुनावों में भी इसका फायदा मिलता दिख रहा है। गुंजल की छवि एक जुझारू नेता के रूप में है। गुंजल अपने कार्यकर्ता के लिए कुछ भी कर सकते हैं और इसके कारण कई बार उनको नुकसान भी उठाना पड़ा है।
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इस सीट पर 21 लाख वोटर हैं। जातिगत समीकरणों को देखें तो मुस्लिम, मीणा और एससी वोटर्स की संख्या सबसे ज्यादा है। उसके बाद गुर्जर वोटर भी अच्छी संख्या में है। इस बार गुर्जर वोट कांग्रेस के खाते में जाने की उम्मीद है। बीजेपी जातिगत वोटर्स को साधने के लिए लगातार अपने बड़े नेताओं को प्रचार के लिए भेजा है।
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