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Election2023: मिलिए तीतर सिंह से जो लड़ चुके हैं 32 चुनाव

जयपुर।  विधानसभा चुनाव के बीच एक बुजुर्ग का वीडियों जमकर वायरल हो रहा है जिसमें वे अपनी पत्नी के साथ नामांकन दाखिल करने के लिए जाते नजर आ रहे है। ये शख्स अब तक 32 चुनाव लड़ चुके हैं जी हां हम बात कर रहे है, तीतर सिंह की जो इन दिनों सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहे है। वीडियो लोगों में चर्चा का विषय भी बना है। दरअसल करणपुर विधानसभा क्षेत्र के एक छोटे से गांव में रहने वाले और ‘मनरेगा' में दिहाड़ी मजदूरी करने वाले बुजुर्ग तीतर सिंह की चुनाव लड़ते लड़ते उम्र बीतने को है। पंच, सरपंच से लेकर लोकसभा तक उन्होंने हर चुनाव लड़ा है, ये अलग बात है कि जिन हकों की लड़ाई के लिए वह 7 दशक से चुनाव मैदान में हैं, वह उन्हें आज तक नहीं मिले हैं। तीतर सिंह (Titar Singh ) ने अब तक लोकसभा के 10, विधानसभा के 10, जिला परिषद डायरेक्टर के 4, सरपंची के 4 व वार्ड मेंबरी के 4 चुनाव लड़ चुके हैं।

 

लोकप्रियता हासिल करना नहीं है मकसद

78 वर्षीय बुजुर्ग तीतर सिंह एक बार फिर उसी जज्बे, जोश और मिशन के साथ अपने मिशन के लिए तैयार है।  चुनाव लड़ना तीतर सिंह के लिए लोकप्रियता हासिल करने या रिकॉर्ड बनाने का जरिया नहीं है, बल्कि अपने हकों को हासिल करने का एक हथियार है, जिसकी धार समय और उम्र बीतने के बावजूद कुंद नहीं पड़ी है।

 

70 के दशक में सवार हुआ चुनाव लड़ने का जुनून

राजस्थान के करणपुर विधानसभा क्षेत्र के एक छोटे से गांव ‘25 एफ' में रहने वाले तीतर सिंह पर चुनाव लड़ने का जुनून सत्तर के दशक में तब सवार हुआ, जब वह जवान थे और उन जैसे अनेक लोग नहरी इलाकों में जमीन आवंटन से वंचित रह गए थे।  उनकी मांग रही कि सरकार भूमिहीन और गरीब मजदूरों को जमीन आवंटित करे। तीतर सिंह ने लोगों के हक की लड़ाई के लिए चुनाव लड़ना शुरू किया और अब मानों उन्हें इसकी आदत हो गई।  

 

दिहाड़ी मजदूरी करते हैं, तीतर सिंह

तीतर सिंह के पास न कोई जमीन है न जायदाद, न गाड़ी-घोड़े। उनकी तीन बेटियां व दो बेटे हैं। दो पोतों तक की शादी हो चुकी है। उनके पास जमा पूंजी के नाम पर 2500 रुपए की नकदी है। दलित समुदाय से ताल्लुक रखने वाले तीतर सिंह लगभग बीस चुनाव लड़ चुके हैं लेकिन हर बार संख्या बल से हारते रहे हैं। तीतर सिंह इस उम्र में भी दिहाड़ी मजदूरी करते हैं, लेकिन चुनाव आते ही उनकी भूमिका बदल जाती है। वो उम्मीदवार होते हैं, प्रचार करते हैं, वोट मांगते हैं और बदलाव का वादा करते हैं, जो पिछले कई दशकों से ऐसा हो रहा है।

 

Suraksha Rajora

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