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अप्रधान खनिज प्रोसेसिंग उद्योगों पर लगाए गए वार्षिक शुल्क का लघु उद्योग भारती ने जताया विरोध

ब्यावर लघु उद्योग भारती ब्यावर ने राज्य सरकार की और से अप्रधान खनिज प्रोसेसिंग उद्योगों पर लगाए गए 25 हजार रुपए के वार्षिक शुल्क तथा 10 रुपए प्रति टीपी का विरोध किया है। विरोधस्वरूप लघु उधोग भारती के पदाधिकारियों ने मंगलवार को राज्य के सीएम के नाम उपखंड अधिकारी मृदूलसिंह को एक ज्ञापन दिया। ज्ञापन में टीपी व्यवस्था द्वारा मिनरल संबंधित लघु उद्योगो पर अवैधानिक वित्तीय भार डालते हुए इन उद्योगों का जीवन समाप्त करने का कुत्सित प्रयास ना कर उक्त आदेश को तत्काल प्रभाव से निरस्त करवाने की मांग की है।

उद्योगों को धकेला जा रहा बंद होने की तरफ

सीएम के नाम दिए गए ज्ञापन में बताया गया कि 3 जनवरी 2022 के गजट नोटिफिकेशन तथा 22 अप्रैल 2022 की गाइडलाइन के माध्यम से राज्य सरकार द्वारा राज्य में स्थापित एमएसएमई मिनरल प्रोसेसिंग उद्योग पर 25 हजार रूपए का वार्षिक शुल्क तथा टीपी निर्गमन शुल्क 10 रूपए प्रति टीपी लगाकर इन उद्योगों को बंद होने की तरफ धकेला जा रहा है। गौरतलब है कि दुर्भाग्य से वर्तमान में मिनरल प्रोसेसिंग उद्योग अत्यंत विषम आर्थिक परिस्थितियों से जूझते हुए बहुत ही कम मार्जिन पर संचालित किए जा रहे हैं।

व्यापार पूर्णरूपेण से हुआ ठप

पूर्व में दो बार माननीय उच्च न्यायालय जयपुर तथा जोधपुर में सरकार द्वारा ट्रांजिट पास के संबंध में सरकार द्वारा दिए गए लिखित जवाब में यह स्वीकार किया गया है कि टीपी व्यवस्था केवल मात्र एक रेग्युलेटरी मैकेनिज्म है, जो कि अवैध खनन तथा अवैध खनिज निर्गमन व परिवहन को रोकने के लिए है। साथ ही यह व्यवस्था पूर्णतया नि:शुल्क रहेगी तथा किसी भी मैन्युफैक्चरर प्रोसेसर तथा स्टॉकिस्ट पर ट्रांजिट पास व्यवस्था का किसी प्रकार का आर्थिक भार नहीं पड़ेगा। लेकिन अब सरकार द्वारा यह शुल्क लगाना माननीय उच्च न्यायालय में सरकार द्वारा लिखित में दिए गए स्वयं के जवाब का उल्लंघन है। विभाग द्वारा शुल्क की वसूली हेतु राज्य में स्थित लगभग सभी मिनरल इकाइयों की एसएसओ आईडी ब्लॉक कर दी गई है, जिससे इन इकाइयों का व्यापार पूर्णरूपेण ठप हो गया है।

टाइल्स निर्माताओं ने दूसरे प्रदेशो की और किया रूख

अपने व्यापार को क्षणिक रूप से गतिशील रखने हेतु मजबूरीवश कुछ इकाइयों द्वारा यह शुल्क सविरोध जमा भी करवाया गया है। विभाग की इस अवैधानिक कार्यवाही का सर्वाधिक चिन्तनीय पहलू यह भी है कि इस कार्यवाही के फलस्वरूप राजस्थान से गुजरात जाने वाले मिनरल पाउडर की सप्लाई में व्यवधान के कारण वहा के टाइल्स निर्माताओं ने दूसरे प्रदेशो यथा मध्य प्रदेश, आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडु आदि से मिनरल पाउडर की खरीद करना प्रारम्भ कर दिया है जिसके परिणाम स्वरुप राज्य के उद्योगों में उत्पादन की कमी के साथ-साथ राज्य को भी वित्तिय नुकसान हो रहा है तथा विभाग की इस प्रकार की नीतियों से कहीं भविष्य में यह स्थाई विकल्प का रूप ना ले ले।

सरकारी तंत्र द्वारा 03 जनवरी 2022 के नोटिफिकेशन से पूर्व की जो व्यवस्था लागू थी, उसी व्यवस्था को आगे भी जारी रखने की मांग करते हुए इस टीपी व्यवस्था को लागू करने के पीछे सरकार की जो मूलभूत भावना अवैध खनन तथा अवैध खनिज निर्गमन व परिवहन को रोकने मात्र की थी, उसे पूर्णतया ध्यान में रखा जाए। इस व्यवस्था को राजस्व उत्पत्ति का साधन नहीं बनाया जाये। अत: टीपी व्यवस्था द्वारा मिनरल संबंधित लघु उद्योगो पर अवैधानिक वित्तीय भार डालते हुए इन उद्योगों का जीवन समाप्त करने का कुत्सित प्रयास ना कर उक्त आदेश को तत्काल प्रभाव से निरस्त करवाने की मांग की है।

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